Class 10 Sanskrit Chapter 6 सुभाषितानि
1. आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः। नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति ॥1॥ शब्दार्थाः आलस्यम् – आलस्य। हि-निश्चय से। मनुष्याणां – मनुष्यों के (को)। शरीरस्थः – शरीर में रहने वाला। रिपुः – शत्रु (है)। अद्यमसमः – परिश्रम के समान। बन्धुः – मित्र (भाई/सखा)। नास्ति – नहीं है।। सम् – जिसे, जिसको। कृत्वा – करके। अवसीदति-दुखी […]
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