Class 10 Sanskrit Chapter 6 सुभाषितानि

1. आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः। नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति ॥1॥ शब्दार्थाः आलस्यम् – आलस्य। हि-निश्चय से। मनुष्याणां – मनुष्यों के (को)। शरीरस्थः – शरीर में रहने वाला। रिपुः – शत्रु (है)। अद्यमसमः – परिश्रम के समान। बन्धुः – मित्र (भाई/सखा)। नास्ति – नहीं है।। सम् – जिसे, जिसको। कृत्वा – करके। अवसीदति-दुखी […]

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Class 10 Sanskrit Chapter 5 जननी तुल्यवत्सला

कोई किसान बैलों से खेत जोत रहा था। उन बैलों में एक (बैल) शरीर से कमज़ोर और तेज़ी से चलने में असमर्थ (अशक्त) था। अतः किसान उस दुबले बैल को कष्ट देते हुए (ज़बरदस्ती) हाँकने लगा। वह बैल हल को उठाकर चलने में असमर्थ होकर खेत में गिर पड़ा। क्रोधित किसान ने उसको उठाने के

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Class 10 Sanskrit Chapter 4 शिशुलालनम्

(श्रीराम सिंहासन पर बैठे हैं। उसके बाद विदूषक से उपदेश दिए जाते हुए (बातचीत करते हुए) तपस्वी कुश और लव प्रवेश करते हैं।) विदूषक – हे आर्य! इधर से-इधर से। कुश-लव – (राम के पास जाकर और प्रणाम करके) क्या महाराजा की कुशलता है? राम – तुम्हारे दर्शन से कुशल जैसा हूँ। क्या दोनों के

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Class 10 Sanskrit Chapter 3 व्यायामः सर्वदा पथ्यः

1. शरीरायासजननं कर्म व्यायामसंज्ञितम्। तत्कृत्वा तु सुखं देह विमृद्नीयात् समनततः ॥1॥ शब्दार्थाः शरीर – शरीर (के)। आयासजननम् – परिश्रम से प्राप्त (उत्पन्न)। व्यायामसंज्ञितम् – व्यायाम नाम वाला। देहम् – देह का। विमृद्नीयात् – मालिश करनी चाहिए। समन्ततः – एक ओर से। हिंदी अनुवाद शरीर के परिश्रम का काम व्यायाम नाम वाला होता है। उसे करके

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Class 10 Sanskrit Chapter 2 बुद्धिर्बलवती सदा

देउल नाम का गाँव था। वहाँ राजसिंह नाम का राजपुत्र रहता था। एक बार किसी जरूरी काम से उसकी पत्नी बुद्धिमती दोनों पुत्रों के साथ पिता के घर की तरफ चली गई। रास्ते में घने जंगल में उसने एक बाघ को देखा। बाघ को आता हुआ देखकर उसने धृष्टता से दोनों पुत्रों को एक-एक थप्पड़

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Class 10 Sanskrit Chapter 1 शुचिपर्यावरणम्

1. दुर्वहमत्र जीवितं जातं प्रकृतिरेव शरणम्। शुचि-पर्यावरणम्॥ महानगरमध्ये चलदनिशं कालायसचक्रम्। मनः शोषयत् तनुः पेषयद् भ्रमति सदा वक्रम्॥ दुर्दान्तैर्दशनैरमुना स्यान्नैव जननसनम्। शुचि… ॥1॥ शब्दार्थाः: दुर्वहम् – कठिन। जीवितम् – जीवन। जातम् – हो गया है। शुचिः – पवित्र शुद्ध। महानगरमध्ये – महानगरों के बीच में। चलत् – चलते हुए। कालायसचक्रम् – काला लोहे का पहिया। अनिशम्

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Class 9 Sanskrit Shemushi शेमुषी भाग 1

Chapter-1 भारतीवसन्तगीतिः  अभ्यास   Chapter-2 स्वर्णकाकः अभ्यास  Chapter-3 गोदोहनम् अभ्यास  Chapter-4 कल्पतरूः अभ्यास  Chapter-5 सूक्तिमौक्तिकम् अभ्यास  Chapter-6 भ्रान्तो बालः अभ्यास  Chapter-7 प्रत्यभिज्ञानम् अभ्यास  Chapter-8 लौहतुला अभ्यास  Chapter-9 सिकतासेतुः अभ्यास  Chapter-10 जटायोः शौर्यम् अभ्यास  Chapter-11 पर्यावरणम् अभ्यास  Chapter-12 वाङ्मनःप्राणस्वरूपम् अभ्यास

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Class 9 Sanskrit Chapter 12 वाङ्मनःप्राणस्वरूपम्

श्वेतकेतु – हे भगवन्! मैं श्वेतकेतु (आपको) प्रणाम करता हूँ। आरुणि – हे पुत्र! दीर्घायु हो। श्वेतकेतु – हे भगवन्! मैं कुछ पूछना चाहता हूँ? आरुणि – हे पुत्र! आज तुम क्या पूछना चाहते हो? श्वेतकेतु – हे भगवन्! मैं पूछना चाहता हूँ कि यह मन क्या है? आरुणि – हे पुत्र! पूर्णतः पचाए गए

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Class 9 Sanskrit Chapter 11 पर्यावरणम्

प्रकृति सब प्राणियों की रक्षा के लिए प्रयत्न करती है। यह विभिन्न प्रकार से सबको पुष्ट करती है तथा सुख-साधनों से’ तृप्त करती है। पृथ्वी, जल, तेज़, वायु और आकाश ये इसके प्रमुख तत्व हैं। ये ही मिलकर या अलग-अलग हमारे पर्यावरण को बनाते हैं। संसार जिसके द्वारा सब ओर से आच्छादित किया जाता है,

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Class 9 Sanskrit Chapter 10 जटायोः शौर्यम्

1. सा तदा करुणा वाचो विलपन्ती सुदुःखिता। वनस्पतिगतं गृधं ददर्शायतलोचना॥ शब्दार्था:- तदा – तब, करुणा वाचो: – दुख भरी आवाज़ से, विलपन्ती – रोती हुई, सुदुःखिता – बहुत दुखी, वनस्पतिगतम् – वृक्ष पर बैठे हुए को, गृध्रम् – गिद्ध को, ददर्श – देखा, आयतलोचना-बड़ी – बड़ी आँखों वाली। अर्थ – तब करुण वाणी में रोती

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