Class 9 Sanskrit Chapter 9 सिकतासेतुः

(इसके बाद तपस्या करता हुआ तपोदत्त प्रवेश करता है) तपोदत्त – मैं तपोदत्त हूँ। बचपन में पूज्य पिताजी के द्वारा क्लेश किए जाने पर भी मैने विद्या नहीं पढ़ी। इसीलिए परिवार के सब सदस्यों, मित्रों और सम्बन्धियों के द्वारा मेरा अपमान किया गया। (ऊपर की ओर साँस छोड़कर) हे प्रभो! मैंने यह क्या किया? उस […]

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Class 9 Sanskrit Chapter 8 लौहतुला

किसी स्थान पर जीर्णधन नामक एक बनिए का पुत्र था। धन की कमी के कारण विदेश जाने की इच्छा से उसने सोचा- जिस देश अथवा स्थान पर अपने पराक्रम से भोग भोगे जाते हैं वहाँ धन-ऐश्वर्य से हीन रहने वाला मनुष्य नीच पुरुष होता है। उसके घर पर उसके पूर्वजों द्वारा खरीदी गई लोहे से

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Class 9 Sanskrit Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम्

भट – महाराज की जय हो। राजा – तुम्हारी प्रसन्नता अद्भुत-सी लग रही है, बताओ किस कारण इतने प्रसन्न हो? भट – अविश्वसनीय प्रिय प्राप्त हो गया है, अभिमन्यु पकड़ लिया गया। राजा – अब वह किस प्रकार पकड़ लिया गया है? भट – रथ पर पहुँचकर निश्शङ्क भाव से हाथों द्वारा उतार लिया गया

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Class 9 Sanskrit Chapter 6 भ्रान्तो बालः

कोई भ्रमित बालक पाठशाला जाने के समय खेलने के लिए चला गया किंतु उसके साथ खेल के द्वारा समय बिताने के लिए कोई भी मित्र उपलब्ध नहीं था। वे सभी पहले दिन के पाठों को याद (स्मरण) करके विद्यालय जाने की शीघ्रता से तैयारी कर रहे थे। आलसी बालक लज्जावश उनकी दृष्टि से बचता हुआ

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Class 9 Sanskrit Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम्

1. वृत्तं यत्नेन संरक्षेद् वित्तमेति च याति च। अक्षीणो वित्ततः क्षीणो वृत्ततस्तु हतो हतः॥ -मनुस्मृतिः शब्दार्थाः- वित्तम् – धन, ऐश्वर्य, वृत्तम् – आचरण, चरित्र अक्षीणः – नष्ट नहीं होता क्षीणः – नष्ट होना वृत्ततः – आचरण से हतः – नष्ट हो जाना एति – आता है याति – जाता है संरक्षेत् – रक्षा करनी चाहिए

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Class 9 Sanskrit Chapter 3 गोदोहनम्

(पहला दृश्य) (मल्लिका लड्डुओं को बनाती हुई धीमी आवाज़ में शिव की स्तुति करती है।) (उसके बाद लड्डुओं की सुगन्ध को अनुभव करते हुए प्रसन्न मन से चन्दन प्रवेश करता है।) चन्दन – वाह! सुगन्ध तो मनोहारी है (देखकर) अरे लड्डू बनाए जा रहे हैं? (प्रसन्न होकर) तो स्वाद लेता हूँ। (लड्डू को लेना चाहता

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Class 9 Sanskrit Chapter 2 स्वर्णकाकः

प्राचीन समय में किसी गाँव में एक निर्धन (ग़रीब) बुढ़िया स्त्री रहती थी। उसकी एक नम्र स्वभाव वाली और सुंदर बेटी थी। एक बार माँ ने थाली में चावलों को रखकर पुत्री को आज्ञा दी – सूर्य की गर्मी में चावलों की पक्षियों से रक्षा करो। कुछ समय बाद एक विचित्र कौआ उड़कर वहाँ आया।

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Class 9 Sanskrit Chapter 1 भारतीवसन्तगीतिः

1. निनादय नवीनामये वाणि! वीणाम् मृदुं गाय गीति ललित-नीति-लीनाम्। मधुर-मञ्जरी-पिञ्जरी-भूत-माला: वसन्ते लसन्तीह सरसा रसालाः कलापाः ललित-कोकिला-काकलीनाम्॥ निनादय… ॥ शब्दार्था: – नवीनामये – सुंदर मुखवाली वाणि – हे सरस्वती वीणाम् – वाणी को गाय – गाओ, गीतिम्-गीत को मधुर – मीठी (मीठे) काकलीनाम् – कोयल के स्वरों की। अर्थ – हे सरस्वती (वाणी) आप अपनी नवीन

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Class 10 Hindi Kshitij (क्षितिज) भाग 2

काव्य – खंड Chapter 1 पद Chapter 2 राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद Chapter 3 सवैया और कवित्त Chapter 4 आत्मकथ्य Chapter 5 उत्साह और अट नहीं रही Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल Chapter 7 छाया मत छूना Chapter 8 कन्यादान Chapter 9 संगतकार गद्य – खंड Chapter 10 नेताजी का चश्मा Chapter 11 बालगोबिन भगत

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