आमिर खुसरो की हिन्दी कविता

जीवन परिचय 13वीं शताब्दी के आरंभ में, जब दिल्ली का राजसिंहासन गुलाम वंश के सुल्तानों के अधीन हो रहा था, अमीर सैफुद्दीन नामक एक सरदार मुग़लों के अत्याचार के कारण भागकर भारत आया और एटा के पटियाली नामक ग्राम में रहने लगा। सौभाग्य से सुल्तान शम्सुद्दीन अल्तमश के दरबार में उसकी पहुँच जल्दी हो गई […]

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2 January 2023

  *♨️मुख्य समाचार* *◼️नई एकीकृत राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अन्तर्गत 81 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त खाद्यान्‍न उपलब्‍ध कराया जाएगा* *◼️चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के लिए विभिन्न छोटी बचत योजनाओं पर बढ़ी हुई ब्याज दरें लागू* *◼️लुइज़ इनासियो लूला द सिल्वा ब्राजील के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली* *◼️युकी भांबरी

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31 दिसंबर 2022

*♨️मुख्य समाचार* *◼️प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्‍यम से पश्चिम बंगाल में पांच हजार करोड रुपये से अधिक लागत की चार रेलवे परियोजनाएं राष्‍ट्र को समर्पित कीं* *◼️विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा – सरकार की व्‍यापार नीतियों और सुधारों से भारत प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश का मजबूत गन्‍तव्‍य बना* *◼️केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह

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30 दिसंबर 2022

  *♨️मुख्य समाचार* *◼️केन्‍द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नई दिल्‍ली में केन्‍द्रशासित प्रदेशों के उपराज्‍यपालों और प्रशासकों के सम्‍मेलन की अध्‍यक्षता की* *◼️भारत-ऑस्‍ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्‍यापार समझौता लागू* *◼️राष्‍ट्रीय अन्‍वेषण अभिकरण ने केरल में प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के नेताओं से जुडे ठिकानों पर छापे मारे* *◼️रूस ने वार्ता के आधार के

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बिहारी (हिन्दी की बोलियाँ)

बिहारी हिंदी का विकास मागधी अपभ्रंश से हुआ है। जिसे दो भागों– पूर्वी बिहारी और पश्चिमी बिहारी में विभाजित किया जा सकता है। पूर्वी बिहारी की दो बोलियाँ हैं- मगही और मैथिली। पश्चिमी बिहारी के अंतर्गत भोजपुरी बोली आती है। जार्ज ग्रियर्सन ने मगही को मैथिली की एक बोली मानते हैं। वहीं सुनीति कुमार चटर्जी भोजपुरी

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दक्खिनी हिन्दी

दक्खिनी हिन्दी  प्राचीनकाल से ही दक्खिनी में साहित्य सर्जन होता रहा है।दक्षिण में प्रयुक्त होने के कारण इसे ’दक्खिनी’ बोली कहा जाता है। दक्खिनी का मूल आधार दिल्ली के आसपास की 14 वीं-15वीं सदी की खङी बोली है। मुस्लिम शासन के विस्तार के साथ हिन्दुस्तानी बोलने वाले प्रशासक, सिपाही, व्यापारी, कलाकार, फकीर, दरवेश इत्यादि भारत के पश्चिमी

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पहाङी हिन्दी

पहाङी हिन्दी अपभ्रंश से ही पहाड़ी भाषाएँ भी निकली हैं। इनकी लिपि देवनागरी है। हिमालय के तराई (निचले) भागों में बोली जाती है। पूर्व में नेपाल से लेकर पश्चिम में भद्रवाह तक की भाषाओँ को जार्ज ग्रियर्सन ने पहाड़ी हिन्दी माना है। उन्होंने पहाड़ी हिन्दी को तीन वर्गों में विभजित किया गया है- पूर्वी पहाड़ी, पश्चिमी

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राजस्थानी हिन्दी (बोलियाँ)

हिंदी की पाँच उपभाषाएँ – पश्चिमी हिंदी, पूर्वी हिंदी, बिहारी, पहाड़ी और राजस्थानी लोक साहित्य की दृष्टि से ’मारवाङी’ सम्पन्न उपभाषा है। राजस्थान शब्द का इस प्रांत के लिए पहला लिखित प्रयोग ‘कर्नल टॉड’ ने किया था, जिनको आधार बनाकर जार्ज ग्रियर्सन ने इस क्षेत्र की भाषा को राजस्थानी कहा और साथ-साथ राजस्थानी की बोलियों का सर्वेक्षण भी प्रस्तुत किया। इस

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हिन्दी की बोलियाँ- वर्गीकरण तथा क्षेत्र

हिन्दी की पाँच उपभाषाएँ हैं- पश्चिमी हिन्दी पूर्वी हिन्दी राजस्थानी पहाङी बिहारी पश्चिमी हिन्दी हरियाणवी खड़ी बोली (कौरवी) ब्रजभाषा  कन्नौजी बुन्देली   पूर्वी हिन्दी अवधी  बघेली छत्तीसगढ़ी राजस्थानी मारवाङी जयपुरी मेवाती मालवी पहाङी कुमाउँनी गढ़वाली बिहारी बिहारी हिन्दी  भोजपुरी  मैथिली दक्खिनी हिन्दी  

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पूर्वी हिन्दी

जार्ज ग्रियर्सन ने हिंदी क्षेत्र को दो भागों– पश्चिमी हिंदी और पूर्वी हिंदी में विभाजित किया है। इन्हीं क्षेत्रों में बोली जाने वाली बोलियों को वे हिंदी की बोलियाँ मानते हैं। ग्रियर्सन पूर्वी हिंदी की उत्पत्ति अर्धमागधी अपभ्रंश  से मानते हैं। वहीं धीरेन्द्र वर्मा (हिंदी साहित्यकोश) के अनुसार पूर्वी हिंदी का विकास मागधी अपभ्रंश से

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