Class 9 Sanskrit Chapter 3 गोदोहनम्

(पहला दृश्य) (मल्लिका लड्डुओं को बनाती हुई धीमी आवाज़ में शिव की स्तुति करती है।) (उसके बाद लड्डुओं की सुगन्ध को अनुभव करते हुए प्रसन्न मन से चन्दन प्रवेश करता है।) चन्दन – वाह! सुगन्ध तो मनोहारी है (देखकर) अरे लड्डू बनाए जा रहे हैं? (प्रसन्न होकर) तो स्वाद लेता हूँ। (लड्डू को लेना चाहता

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Class 9 Sanskrit Chapter 2 स्वर्णकाकः

प्राचीन समय में किसी गाँव में एक निर्धन (ग़रीब) बुढ़िया स्त्री रहती थी। उसकी एक नम्र स्वभाव वाली और सुंदर बेटी थी। एक बार माँ ने थाली में चावलों को रखकर पुत्री को आज्ञा दी – सूर्य की गर्मी में चावलों की पक्षियों से रक्षा करो। कुछ समय बाद एक विचित्र कौआ उड़कर वहाँ आया।

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Class 9 Sanskrit Chapter 1 भारतीवसन्तगीतिः

1. निनादय नवीनामये वाणि! वीणाम् मृदुं गाय गीति ललित-नीति-लीनाम्। मधुर-मञ्जरी-पिञ्जरी-भूत-माला: वसन्ते लसन्तीह सरसा रसालाः कलापाः ललित-कोकिला-काकलीनाम्॥ निनादय… ॥ शब्दार्था: – नवीनामये – सुंदर मुखवाली वाणि – हे सरस्वती वीणाम् – वाणी को गाय – गाओ, गीतिम्-गीत को मधुर – मीठी (मीठे) काकलीनाम् – कोयल के स्वरों की। अर्थ – हे सरस्वती (वाणी) आप अपनी नवीन

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