Class 8 Sanskrit Chapter 14 आर्यभटः

सूर्य पूर्व दिशा में निकलता है तथा पश्चिम में अस्त होता है-ऐसा संसार में दिखाई देता है। परन्तु इससे यह नहीं समझना चाहिए कि सूर्य गतिशील है। सूर्य स्थिर है और पृथिवी गतिशील है, जो अपनी धुरी पर घूमती है-यह सिद्धान्त अब भली प्रकार स्थापित हो चुका है। यह सिद्धान्त जिनके द्वारा सर्वप्रथम प्रवर्तित किया […]

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Class 8 Sanskrit Chapter 13 क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः

(क) सुपूर्णं सदैवास्ति खाद्यान्नभाण्डं नदीनां जलं यत्र पीयूषतुल्यम्। इयं स्वर्णवद् भाति शस्यैधरेयं क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः॥1॥ अन्वयः- खाद्यान्नभाण्डं सदैव सुपूर्णं अस्ति। यत्र नदीनां जलं पीयूषतुल्यम् (अस्ति)। इयं धरा शस्यैः स्वर्णवत् भाति। भारतस्वर्णभूमिः क्षितौ राजते। शब्दार्थ- भाण्डम्-पात्र। यत्र-जहाँ। पीयूषतुल्यम्-अमृत के समान। स्वर्णवत्-सोने के समान। शस्यैः-फसलों के द्वारा। धरा-पृथ्वी। क्षितौ-पृथ्वी पर। सरलार्थ-खाद्यान्न के पात्र सदा परिपूर्ण रहते हैं।

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8 दिसम्बर 2022

  *♨️मुख्य समाचार* *◼️गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की मतगणना आज* *◼️दिल्‍ली नगर-निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी ने पूर्ण बहुमत हासिल किया* *◼️विदेश मंत्री सुब्रह्मण्‍यम जयशंकर ने कहा – भारत वास्‍तविक नियंत्रण रेखा पर एकतरफा बदलाव के चीन के किसी भी प्रयास को बर्दाश्‍त नहीं करेगा* *◼️सरकार ने कहा – रेलवे के निजीकरण

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Class 8 Sanskrit Chapter 12 कः रक्षति कः रक्षितः

(क) (ग्रीष्मौ सायंकाले विद्युदभावे प्रचण्डोष्मणा पीडितः वैभवः गृहात् निष्क्रामति) वैभवः – अरे परमिन्दर्! अपि त्वमपि विद्युदभावेन पीडितः बहिरागतः? परमिन्दर् – आम् मित्र! एकतः प्रचण्डातपकालः अन्यतश्च विद्युदभावः परं बहिरागत्यापि पश्यामि यत् वायुवेगः तु सर्वथाऽवरुद्धः। सत्यमेवोक्तम् प्राणिति पवनेन जगत् सकलं, सृष्टिर्निखिला चैतन्यमयी। क्षणमपि न जीव्यतेऽनेन विना, सर्वातिशायिमूल्यः पवनः॥1॥ विनयः – अरे मित्र! शरीरात् न केवलं स्वेदबिन्दवः अपितु

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Class 8 Sanskrit Chapter 11 सावित्री बाई फुले

ऊपर बने हुए चित्र को देखो। यह चित्र किसी पाठशाला का है। यह सामान्य विद्यालय नहीं है। यह महाराष्ट्र की पहली कन्या पाठशाला है। एक अध्यापिका घर से पुस्तकें लेकर चलती है। मार्ग में कोई उसके ऊपर धूल और कोई पत्थर के टुकड़े फेंकता है। परन्तु वह अपने दृढ़ निश्चय से विचलित नहीं होती है।

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Class 8 Sanskrit Chapter 10 नीतिनवनीतम्

(क) अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः। चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्॥1॥ अन्वयः- अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः तस्य आयुर्विद्यायशोबलम् (इति) चत्वारि वर्धन्ते। शब्दार्थ- अभिवादन:-प्रणाम। उपसेविन:-सेवा करने वाले का। चत्वारि-चार। वर्धन्ते-वृद्धि को प्राप्त होते हैं। सरलार्थ- प्रणाम करने वाले तथा नित्य वृद्ध लोगों की सेवा करने वाले (व्यक्ति) की आयु, विद्या, यश तथा बल-ये चार वस्तुएँ वृद्धि को प्राप्त

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Class 8 Sanskrit Chapter 9 सप्तभगिन्यः

अध्यापिका – सुप्रभात। छात्राएँ – सुप्रभात, सुप्रभात। अध्यापिका – अच्छा, आज क्या पढ़ना है? छात्राएँ – हम सभी अपने देश के राज्यों के विषय में जानना चाहती हैं। अध्यापिका – सुन्दर। बोलो। हमारे देश में कितने राज्य हैं? सायरा – महोदया, चौबीस। सिल्वी – नहीं, नहीं। महाभागा! पच्चीस राज्य हैं। अध्यापिका – कोई अन्य भी

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Class 8 Sanskrit Chapter 8 संसारसागरस्य नायकाः

वे अज्ञात नाम वाले कौन थे? सैकड़ों व हजारों तालाब अचानक ही शून्य से प्रकट नहीं हुए हैं। ये तालाब ही यहाँ संसार सागर हैं। इनके आयोजन का पर्दे के पीछे बनाने वालों की इकाई और बनने वालों की दहाई थी। यह इकाई व दहाई गुणित होकर सौ तथा हजार की रचना करते थे। परन्तु

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Class 8 Sanskrit Chapter 7 भारतजनताऽहम्

(क) अभिमानधना विनयोपेता, शालीना भारतजनताऽहम्। कुलिशादपि कठिना कुसुमादपि, सुकुमारा भारतजनताऽहम् ॥ अन्वयः- अहं भारतजनता अभिमानधना विनयोपेता शालीना कुलिशादपि कठोरा कुसुमादपि सुकुमारा (अस्मि)। शब्दार्थ- अभिमानधना-स्वाभिमान रूपी धन वाली। विनयोपेता-विनम्रता से परिपूर्ण। कुलिशादपि-वज्र से भी। कुसुमादपि-फूल से भी। सुकुमारा-अत्यधिक कोमल। सरलार्थ- मैं भारत की जनता हूँ।मैं स्वाभिमान रूपी धन वाली हूँ। मैं वज्र से भी कठोर हूँ।

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Class 8 Sanskrit Chapter 6 गृहं शून्यं सुतां विना

शालिनी गर्मी की छुट्टियों में पिता के घर आती है। सभी प्रसन्नमन होकर उसका स्वागत करते हैं, परन्तु उसकी भाभी उदासीन-सी दिखाई पड़ती है। शालिनी – भाभी, (तुम) चिन्तित-सी प्रतीत होती हो। सभी कुशल तो हैं? माला – मैं कुशल हूँ। तुम्हारे लिए क्या लाऊँ? चाय या ठण्डा? शालिनी – इस समय मैं कुछ नहीं

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