मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित शतरंज के खिलाड़ी कहानी अक्तूबर 1924 में माधुरी पत्रिका में प्रकाशित हुई | सन् 1977 में इस कहानी पर प्रसिद्ध फ़िल्म- निर्माता सत्यजीत राय नव फिल्म बनायी थी | यह कहानी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित है | कहानी में लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह के शासन काल का वर्णन किया गया है | जब प्रदेश में ब्रिटिश राज स्थापित था | अंग्रेजों ने अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए पूंजीवादी व्यवस्था को जन्म दिया और सामंतवाद को बढ़ावा दिया | कहानी में उस समय का वर्णन है जब राजा और प्रजा दोनों ही विलासिता के रंग में डूबे थे | यह काल सामंतवाद के पतन का काल है | कहानी में प्रेमचंद ने इसी सामंतवादी व्यवस्था पर प्रहार किया है | इसलिए यह भारतीय नवजागरण की प्रतीक मानी जाती है | कहानी के दो मुख्य पात्र है – मिर्जा सज्जाद अली और मीर रोशन अली जो सांकेतिक रूप से सामंतवादी शासन का प्रतिनिधित्व करते हैं | पहले वे मिर्जा के घर पर शतरंज खेला करते थे | एक दिन बेगम के सर में दर्द होने के बाद जब मिर्जा साहब नहीं आये तो बेगम उनकी अच्छी खबर लेती है | फिर खुद शतरंज को बाहर फैंक देती है | जिसके बाद मीर के घर पर शतरंज खेलने लग जाते हैं | वहाँ पर भी मीर की बेगम उनसे परेशान हो जाती है | जब नवाब का सैनिक मीर को बुलाने के लिए आता है तो वे डर कर एक सुनसान जगह पर जाकर शतरंज खेलने लग जाते हैं | उन्हें जनता की पुकार और घर- परिवार से कोई मतलब नहीं था | दोनों शतरंज के खेल के व्यसनी थे | शतरंज की लत में उन्हें अपनी बेगमों के ग़ुस्से की भी परवाह नहीं थी | बीवियों ने घर में शतरंज खेलने से मना किया तो वे गोमती के किनारे एक मस्जिद में शतरंज खेलने लगे| उनके सामने अंग्रेजी फ़ौज आयी और नवाब वाजिद अली को गिरफ़्तार करके ले गई | लेकिन इस बात का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा | जबकि अपने बादशाह की रक्षा करना उन दोनों का नैतिक कर्त्तव्य था | अपना राजनीतिक और मुख्य कर्त्तव्य भूलकर दोनों शतरंज खेलते रहे और एक दूसरे को मौत के घाट उतार दिया | अंग्रेजों ने भारतीय समाज की कमज़ोरी का फ़ायदा उठाया और अपना शासन स्थापित कर दिया | कहानी में अत्यंत सरल भाषाशैली का प्रयोग किया गया है | भाषा में उर्दू शब्दों मुहावरों और कहावतों की अधिकता है | मुख्य पात्र तो उर्दू में ही बोलते हैं | वर्णात्मक शैली माध्यम से लेखक में लखनऊ के वातावरण मुख्य पात्रों मिर्जा और अमीर की हैसियत, पारिवारिक वातावरण तथा उनके मनःस्थितियों का सजीव चित्रण किया है|