हर प्रकार की हिंदी परीक्षाओं और प्रतियोगताओं के लिए उपयोगी
जन्म=सोलहवीं शताब्दी के आरम्भ में
रचना=मधुमालती 1545
नायक= मनोहर,
नायिका= महानस नगर की राजकुमारी मधुमालती
नायक का एकनिष्ठ (एकतरफा) प्रेम
उसे पाने के लिए अनेक कष्ट
प्रथम दर्शन में नायिका से प्रेम , उसे पाने के लिए योगी के वेश में घर से निकलकर, रस्ते में एक अन्य सुन्दरी को राक्षस से बचाता है, माँ के श्राप से नायिका पक्षी बन जाती है |
उदात्त प्रेम का चित्रं किया गया है |
महासुंदरी प्रेमा के शादी (प्रणय)के प्रस्ताव को ठुकरा देता है
इसमें प्रेमा और तारा की कथा भी समानांतर चलती है |
सामान्यतः बहुपत्नीवाद के विपरीत यह एक अपवाद है |
भाषा=अवधी
कड़वक शैली (दोहा-चौपाई शैली)
मधुमालती के आधार पर दक्षिण के शायर नसरती ने दक्खिनी उर्दू में “गुलशने इश्क” प्रेमकथा लिखी है |