आदिकाल का नामकरण व काल विभाजन

Leave a Comment / Educational / By sukhvinder787 आदिकाल (1050-1375)(महारोज भोज से लेकर हम्मीर देव से पीछे तक) इस काल के विभिन्न नाम साहित्यकार नामकरण समयावधि (ई०) टिप्पणी गिर्यसन चरण काल 7000-1300 मिश्र बंधु प्रारम्भिक काल 0700-1343 (1) 1344-1444 (2) पूर्व आरंभिक उत्तर आरम्भिक आचार्य शुक्ल वीर गाथा काल 1050-1375 12 ग्रंथों (विजयपाल रासो,खुम्माण रासो ,कीर्तिलता आदि) आधार पर […]

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विजयपाल रासो

मिश्रबंधुओं ने अपने ग्रंथ “मिश्रबंधु विनोद” में इस ग्रंथ जा उल्लेख मिलता है।इसके रचयिता नल्हसिंह भाट माने जाते हैं।इसका रचनाकाल 1298 ई० माना जाता है। ड़ा० राजनाथ शर्मा के अनुसार इस कृति में विजय पाल सिंह ओर बंग राजा के युद्ध का वर्णन है। ड़ा० राजबली पाण्डेय के अनुसार इस रचना में रचनाकार ने राजा

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हम्मीर रासो

यह अभी तक एक स्वतंत्र कृति के रूप में उपलब्ध नहीं हो सका है ।अपभ्रंश के “प्राकृत पैंगल” नामक संग्रह ग्रंथ में संगृहीत हम्मीर विषयक 8 छंदों को देख शुक्ल जी ने इसे एक स्वतंत्र ग्रंथ मान लिया था ।प्रचलित धारणा के अनुसार इसके रचयिता शारंगधर माने जाते हैं। परंतु कुछ पदों के आधार पर

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परमाल रासो

इसे आल्हाखंड के नाम से भी जाना जाता है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने इसे बैलेड तथा ड़ा० राम कुमार वर्मा ने इसे वीरगाथा काव्य कहा है।कुछ विद्वान इसे “विकासशील लोककाव्य” कहते हैं ।जनता में अत्यधिक लोकप्रियता को देखते हुए गिर्यसन ने इसे वर्तमान युग का सबसे लोकप्रिय महाकाव्य माना है।लेकिन इसकी प्रामाणिकता अभी तक उपलब्ध

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रासो- उत्पत्ति व अर्थ

हिंदी साहित्य के आरंभिक ग्रंथों के अंत में रासो शब्द जुड़ा हुआ है जो काव्य का पर्यायवाची है | रासो शब्द की उत्पत्ति के सम्बन्ध में विभिन्न विद्वानों के मत- गार्सा द तासी -राजसूय यज्ञ से रामचंद्र शुक्ल ने- रसायण से ड़ा० मोतीलाल मेनरिया – रहस्य से श्री नरोत्तम स्वामी-रसिक से अन्य विद्वान- राउस-रासो या

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गिला

यह कहानी 1932 में हंस पत्रिका में प्रकाशित हुई थी | यह पारिवारिक पृष्ठभूमि और दाम्पत्य संबंधों पर आधारित है |वस्तुतः कहानी एक अत्यंत सीधे-सरल पति की पत्नी की शिकायतों का पिटारा है, जो उसे अपने पति से हैं|कहानी की नायिका “मैं” अपने पति के सीधेपन से बहुत परेशान है | इसके बाद भी पत्नी

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सद्गति

यह प्रेमचंद जी एक चर्चित कहानी है | यह मानसरोवर पत्रिका में 1931 में प्रकाशित हुई थी | सन 1981 में प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक सत्यजीत राय ने इस पर फिल्म बनाई | इस कहानी में तत्युगीन वर्णाश्रमधर्मी समाज व्यवस्था के अंतर्गत दलितों के प्रति अमानवीय व्यवहार को दर्शाया गया है | कहानी का नायक दलित

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नया विवाह

नया विवाह मुझसे प्रेमचंद द्वारा रचित एक बहुत ही सुंदर कहानी है यह कहानी सामाजिक पृष्ठभूमि पर आधारित है कहानी के केंद्र में लाला डंगामल है जिनकी आयु 45 वर्ष है उनकी पत्नी लीला रोग, उपेक्षा और प्रेम के अभाव में प्राण त्याग देती है । देहलोलुप डंगामल आशा नामक युवती से विवाह कर लेते

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