पश्चिमी हिन्दी

पश्चिमी हिन्दी- शौरसेनी अपभ्रंश से विकसित पश्चिमी हिंदी के अन्तर्गत पाँच बोलियों आती है- हरियाणी, खड़ी बोली, ब्रजभाषा, कन्नौजी और बुन्देली। डॉ. भोलानाथ तिवारी ने पश्चिमी हिंदी के अन्तर्गत दो अन्य बोलियों ताजब्बेकी तथा निमाड़ी को भी स्वीकार किया है। जार्ज ग्रियर्सन ‘कन्नौजी’ को बोली न मानकर ब्रजभाषा की उपबोली मानते हैं, परन्तु उन्होंने जनमत को ध्यान में रखकर […]

पश्चिमी हिन्दी Read More »

मानक हिन्दी का भाषा वैज्ञानिक विवरण (रूपगत)

मानक भाषा मानक भाषा मानक का अभिप्राय है- आदर्श, श्रेष्ठ अथवा परिनिष्ठित।मानक भाषा की पहचान यह भी है कि उसका प्रयोग शिक्षित वर्ग के द्वारा अपने सामाजिक, सांस्कृतिक, व्यापारिक, वैज्ञानिक तथा प्रशासनिक कार्यों में किया जाता है।व्याकरणसम्मत परिनिष्ठित रूप मानक भाषा कहलाता है जो विकास की प्रक्रिया से निखरकर प्रयोग करने वालों का माध्यम बन

मानक हिन्दी का भाषा वैज्ञानिक विवरण (रूपगत) Read More »

28 दिसंबर 2022

  *♨️मुख्य समाचार* *◼️देश में अस्‍पतालों ने कोविड प्रबंधन से जुडी तैयारियों के आकलन के लिए मॉक ड्रिल का आयोजन किया* *◼️केंद्र और मणिपुर सरकार ने मणिपुर के उग्रवादी गुट जेलियांग्रोंग यूनाइटेड फ्रंट के खिलाफ अभियान रोकने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए* *◼️निर्वाचन आयोग ने असम में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन

28 दिसंबर 2022 Read More »

27 दिसंबर 2022

  *♨️मुख्य समाचार* *◼️प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा – भारत को सफलता की ऊंचाई हासिल करने के लिए अतीत के संकीर्ण विचारों से मुक्त होने की जरूरत है* *◼️स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने डॉक्टरों से जनता में कोविड के प्रति भय दूर करने और महामारी की सटीक जानकारी से भ्रांतियां मिटाने का आग्रह किया* *◼️सरकार

27 दिसंबर 2022 Read More »

साहित्यिक हिन्दी के रूप में खड़ी बोली का उदय और विकास

खड़ी बोली गद्य के आरम्भिक रचनाकारों में फ़ोर्ट विलियम कॉलेज के बाहर दो रचनाकारों— सदासुख लाल ‘नियाज’ (सुखसागर) व इंशा अल्ला ख़ाँ (रानी केतकी की कहानी) तथा फ़ोर्ट विलियम कॉलेज, कलकत्ता के दो भाषा मुंशियों— लल्लू लालजी (प्रेम सागर) व सदल मिश्र (नासिकेतोपाख्यान) के नाम उल्लेखनीय हैं। भारतेन्दु पूर्व युग में मुख्य संघर्ष हिंदी की

साहित्यिक हिन्दी के रूप में खड़ी बोली का उदय और विकास Read More »

काव्य भाषा के रूप में ब्रजभाषा का उदय और विकास

“ब्रजभाषा” को अंतर्वेदी के नाम से भी जाना जाता है। पश्चिमी हिन्दी की सर्वाधिक प्रमुख बोली “ब्रजभाषा” है जो इसलिए इतनी महत्त्वपूर्ण हो गई, क्योंकि इसका प्रयोग 600 वर्षों तक साहित्य में होता रहा। यही कारण है कि यह बोली के सीमित क्षेत्र को छोङकर भाषा कही जाने लगी। ब्रज शब्द संस्कृत के ब्रज शब्द

काव्य भाषा के रूप में ब्रजभाषा का उदय और विकास Read More »

26 दिसंबर 2022

  *♨️मुख्य समाचार* *◼️प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा – वर्ष 2022 के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में सफलताओं ने विश्व में भारत को विशेष स्थान दिलाया* *◼️राष्ट्र ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती, सुशासन दिवस पर, श्रद्धांजलि अर्पित की* *◼️कोविड की आपात तैयारियों के अन्तर्गत मंगलवार को देश भर में स्वास्थ्य केन्द्रों में मॉक

26 दिसंबर 2022 Read More »

DALIT KAVI & KAVITA

रैदास जन्मना दलित है, इसलिए उन्हें पहला दलित कवि कहना तर्क सम्मत इतिहास-सम्मत है।दलित लेखन की शुरूआत 1960 के आसपास मराठी भाषा से होती है।कुछ विद्वान 1914 में ’सरस्वती’ पत्रिका में हीरोडम द्वारा लिखित ’अछूत की शिकायत’ को पहली दलित कविता मानते हैं। कुछ अन्य विद्वान अछूतानन्द को पहला दलित कवि कहते हैं, उनकी कविताएँ 1910

DALIT KAVI & KAVITA Read More »

अरस्तू का विरेचन सिद्धान्त-काव्यशास्त्र

प्लेटो ने काव्य पर आरोप लगाया था कि काव्य हमारी वासनाओं का दमन करने के स्थान पर उनका पोषणकरता है। अरस्तू का मत इससे भिन्न है। वे यह तो मानते हैं कि काव्य मानवीय वासनाओं का दमन नहीं करता, पोषण ही करता है, पर वे यह स्वीकार नहीं करते कि वह अनैतिक भावनाओं को उभारता

अरस्तू का विरेचन सिद्धान्त-काव्यशास्त्र Read More »

टी. एस. ईलियट के काव्य सिद्धान्त-काव्यशास्त्र

आधुनिक काल के पाश्चात्य समीक्षकों में टी. एस. ईलियट (1888-1965 ई. ) का नाम अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उनका जन्म सेन्ट लुई (अमेरिका) में हुआ, किन्तु शिक्षा पेरिस और लन्दन में हुई। बाद में वे लन्दन में बस गए। वे बीसवीं शती के महान कवियों में गिने जाते है। न्हें 1948 ई. में साहित्य का नोबल

टी. एस. ईलियट के काव्य सिद्धान्त-काव्यशास्त्र Read More »

Scroll to Top