वे अज्ञात नाम वाले कौन थे? सैकड़ों व हजारों तालाब अचानक ही शून्य से प्रकट नहीं हुए हैं। ये तालाब ही यहाँ संसार सागर हैं। इनके आयोजन का पर्दे के पीछे बनाने वालों की इकाई और बनने वालों की दहाई थी। यह इकाई व दहाई गुणित होकर सौ तथा हजार की रचना करते थे। परन्तु बीते हुए दो सौ वर्षों में नई पद्धति के द्वारा समाज ने जो कुछ पढ़ा है। उस पठित समाज ने इकाई, दहाई और हजार को शून्य में ही बदल दिया है।
इस नये समाज के मन में यह जानने की इच्छा भी नहीं उत्पन्न हुई कि इससे पहले इन तालाबों को किसने बनाया था। ऐसे कार्यों को करने के लिए ज्ञान की जो नई विधि विकसित हुई उस विधि के द्वारा भी पहले बनाए गए इस कार्य को मापने के लिए किसी ने भी प्रयास नहीं किया। आज जो अज्ञात नाम हैं, पहले वे बहुत प्रसिद्ध थे। सम्पूर्ण देश में तालाब बनाए जाते थे। उन्हें बनाने वाले भी सम्पूर्ण देश में निवास करते थे।
‘गजधर’ यह सुन्दर शब्द तालाबों को बनाने वालों के सादर स्मरण के लिए है। राजस्थान के कुछ भागों में यह शब्द आज भी चलता है। (यह) गजधर कौन है? जो हाथी (गज = 3 फुट) के माप को धारण करता है, वह गजधर है। मापन कार्य में गज का माप ही उपयोग किया जाता है। समाज में तीन हाथ के माप वाली लोहे की छड़ी को हाथ में लेकर चलते हुए गजधर अब शिल्पी के रूप में आदर नहीं पाते हैं। जो समाज की गहराई (गंभीरता) को मापे-इसी रूप में जाने जाते हैं।
गजधर भवननिर्माण करने वाले होते थे। भले ही, ग्रामीण समाज हो अथवा नगरीय समाज हो, उसके नवनिर्माण का और सुरक्षाप्रबन्धन का दायित्व गजधर निभाते थे। नगर नियोजन से लेकर छोटे निर्माणकार्य तक सभी कार्य इन पर ही आधारित थे। वे योजना को प्रस्तुत करते थे, भावी व्यय का अनुमान करते थे तथा साधन सामग्री का संग्रह करते थे। बदले में वे वह नहीं माँगते थे, जो उनके स्वामी न दे सकें। कार्य की समाप्ति पर वेतन से अतिरिक्त गजधरों को सम्मान भी प्रदान किया जाता था। ऐसे शिल्पियों को नमस्कार।