Class 8 Sanskrit Chapter 13 क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः

(क) सुपूर्णं सदैवास्ति खाद्यान्नभाण्डं नदीनां जलं यत्र पीयूषतुल्यम्। इयं स्वर्णवद् भाति शस्यैधरेयं क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः॥1॥ अन्वयः- खाद्यान्नभाण्डं सदैव सुपूर्णं अस्ति। यत्र नदीनां जलं पीयूषतुल्यम् (अस्ति)। इयं धरा शस्यैः स्वर्णवत् भाति। भारतस्वर्णभूमिः क्षितौ राजते। शब्दार्थ- भाण्डम्-पात्र। यत्र-जहाँ। पीयूषतुल्यम्-अमृत के समान। स्वर्णवत्-सोने के समान। शस्यैः-फसलों के द्वारा। धरा-पृथ्वी। क्षितौ-पृथ्वी पर। सरलार्थ-खाद्यान्न के पात्र सदा परिपूर्ण रहते हैं। […]

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Class 8 Sanskrit Chapter 12 कः रक्षति कः रक्षितः

(क) (ग्रीष्मौ सायंकाले विद्युदभावे प्रचण्डोष्मणा पीडितः वैभवः गृहात् निष्क्रामति) वैभवः – अरे परमिन्दर्! अपि त्वमपि विद्युदभावेन पीडितः बहिरागतः? परमिन्दर् – आम् मित्र! एकतः प्रचण्डातपकालः अन्यतश्च विद्युदभावः परं बहिरागत्यापि पश्यामि यत् वायुवेगः तु सर्वथाऽवरुद्धः। सत्यमेवोक्तम् प्राणिति पवनेन जगत् सकलं, सृष्टिर्निखिला चैतन्यमयी। क्षणमपि न जीव्यतेऽनेन विना, सर्वातिशायिमूल्यः पवनः॥1॥ विनयः – अरे मित्र! शरीरात् न केवलं स्वेदबिन्दवः अपितु

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Class 8 Sanskrit Chapter 11 सावित्री बाई फुले

ऊपर बने हुए चित्र को देखो। यह चित्र किसी पाठशाला का है। यह सामान्य विद्यालय नहीं है। यह महाराष्ट्र की पहली कन्या पाठशाला है। एक अध्यापिका घर से पुस्तकें लेकर चलती है। मार्ग में कोई उसके ऊपर धूल और कोई पत्थर के टुकड़े फेंकता है। परन्तु वह अपने दृढ़ निश्चय से विचलित नहीं होती है।

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Class 8 Sanskrit Chapter 10 नीतिनवनीतम्

(क) अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः। चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्॥1॥ अन्वयः- अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः तस्य आयुर्विद्यायशोबलम् (इति) चत्वारि वर्धन्ते। शब्दार्थ- अभिवादन:-प्रणाम। उपसेविन:-सेवा करने वाले का। चत्वारि-चार। वर्धन्ते-वृद्धि को प्राप्त होते हैं। सरलार्थ- प्रणाम करने वाले तथा नित्य वृद्ध लोगों की सेवा करने वाले (व्यक्ति) की आयु, विद्या, यश तथा बल-ये चार वस्तुएँ वृद्धि को प्राप्त

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Class 8 Sanskrit Chapter 9 सप्तभगिन्यः

अध्यापिका – सुप्रभात। छात्राएँ – सुप्रभात, सुप्रभात। अध्यापिका – अच्छा, आज क्या पढ़ना है? छात्राएँ – हम सभी अपने देश के राज्यों के विषय में जानना चाहती हैं। अध्यापिका – सुन्दर। बोलो। हमारे देश में कितने राज्य हैं? सायरा – महोदया, चौबीस। सिल्वी – नहीं, नहीं। महाभागा! पच्चीस राज्य हैं। अध्यापिका – कोई अन्य भी

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Class 8 Sanskrit Chapter 6 गृहं शून्यं सुतां विना

शालिनी गर्मी की छुट्टियों में पिता के घर आती है। सभी प्रसन्नमन होकर उसका स्वागत करते हैं, परन्तु उसकी भाभी उदासीन-सी दिखाई पड़ती है। शालिनी – भाभी, (तुम) चिन्तित-सी प्रतीत होती हो। सभी कुशल तो हैं? माला – मैं कुशल हूँ। तुम्हारे लिए क्या लाऊँ? चाय या ठण्डा? शालिनी – इस समय मैं कुछ नहीं

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Class 8 Sanskrit Chapter 5 कण्टकेनैव कण्टकम्

चञ्चल नामक कोई शिकारी था। वह पक्षियों और पशुओं आदि को पकड़ कर अपनी जीविका का निर्वाह करता था। एक बार वह जंगल में जाल फैलाकर घर आ गया। दूसरे दिन प्रातःकाल जब चञ्चल वन में गया, तब उसने देखा कि उसके द्वारा फैलाए गए जाल में दुर्भाग्य से एक बाघ बँधा हुआ था। उसने

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Class 8 Sanskrit Chapter 4 सदैव पुरतो निधेहि चरणम्

(क) चल चल पुरतो निधेहि चरणम्। सदैव पुरतो निधेहि चरणम्॥ गिरिशिखरे ननु निजनिकेतनम्। विनैव यानं नगारोहणम्॥ बलं स्वकीयं भवति साधनम्। सदैव पुरतो …………॥ सरलार्थ- चलो, चलो। आगे चरण रखो। सदा ही आगे कदम रखो। निश्चय ही अपना घर पर्वत की चोटी पर है। अतः सवारी के बिना ही पर्वत पर चढ़ना है। अपना बल ही

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Class 8 Sanskrit Chapter 3 डिजीभारतम्

आज सारे संसार में ‘डिजिटल इण्डिया’ की चर्चा सुनी जाती है। ‘इस शब्द का भाव क्या है’-ऐसी जानने की इच्छा उत्पन्न होती है। काल के परिवर्तन के साथ मानव की आवश्यकता भी परिवर्तित होती है। पुराने समय में ज्ञान का आदान-प्रदान वाणी के द्वारा होता था तथा विद्या श्रवण परम्परा से गृहीत की जाती थी।

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Class 8 Sanskrit Chapter 2 बिलस्य वाणी न कदापि में श्रुता

किसी वन में खरनखर नामक शेर  रहता था। किसी समय भूख से व्याकुल होकर इधर-उधर घूमते हुए उसे कुछ भी भोजन प्राप्त न हुआ। तब सूर्य के अस्त होने के समय एक विशाल गुफा को देखकर वह सोचने लगा-“निश्चित रूप से इस गुफा में रात में कोई प्राणी आता है। अतः यहाँ पर ही छिप

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