आदिकाल (Aadikaal)

आदिकाल (1050-1375)(महारोज भोज से लेकर हम्मीर देव से पीछे तक) इस काल के विभिन्न नाम चरण काल- गिर्यसन प्रारम्भिक काल- मिश्र बंधु वीर गाथा काल- आचार्य शुक्ल (12 ग्रंथों (विजयपाल रासो,खुम्माण रासो ,कीर्तिलता आदि) आधार पर) आदिकाल- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी (इस मत को व्यापक स्वीकृति आचार्य शुक्ल हिंदी का आरम्भ तो सिद्धों की रचनाओं […]

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हिंदी साहित्य में काल विभाजन

हिंदी साहित्य के 1000 के इतिहास को किस प्रकार पढ़ा जाए इसके लिए इसे विभिन्न विद्वानों ने अलग-अलग काल खण्डों में विभाजित किया है जो इस प्रकार है- हिंदी साहित्य के प्रथम साहित्यकार-“गार्सादत्तासी”(फ्रेंच भाषी पुस्तक- “इस्त्वार द ला लितरेत्युर एन्दुई एन्दुस्तानी”(738 कवियों का जिक्र 72 जा सम्बंध हिंदी से ) शिव सिंह सेंगर – “शिव

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निमन्त्रण

प्रेमचंद  द्वारा रचित निमंत्रण कहानी नवम्बर  1926 में सरस्वती पत्रिका मेंप्रकाशित हुई यह कहानी अकर्मण्य और धरम के नाम पर भी सुस्वादु व्यंजनों परलार टपकाने वाले पाखंडी पंडितों पर करारा व्यंग्य हैं कहानी का मुख्य पात्र हैपंडित मोटेराम शास्त्री ।खाने का नाम आने के पर ही  इनकी बार–बार  जीभ  लपकती है ।ऐसे में इन्हें पता चलता है की रानी साहिबा  ने 7 ब्राह्मणों कोइच्छापूर्ति भोजन का निमंत्रण दिया है पंडित जी की बाँछे खिल उठती है पंडित  मोटे राम  कुचक्र रचकर अपने पाँचों पुत्रों और पत्नी को पुरुष वेश पहनाकरभोजन के  लिए प्रस्थान कर रहे होते हैं  कि उनका मित्र प्रतिस्पर्धी पंडित  चिंतामणी आ टपकते हैं । पंडित चिंतामणि भी खाने के लालची  हैं। ओर वहसमझ जाते हैं कि कहीं  से न्यौता आया है तो वह भी वहाँ जाने के  इच्छुक होते हैं ।पंडित मोटे राम उन्हें साथ नहीं ले जाना चाहते थे । इसलिए दोनों में बुरी तरह सेकहासुनी और मार– पिटाई तक हो जाती है । रानी साहिबा के यहाँ भोजन में थोड़ासमय  था तो पंडित  मोटेराम को जाने क्या सूझी  कि वह पंडित चिंतामणि कोभोजन के  लिए लिवाने चले गए । रानी साहिबा के सामने उनकी चाल आ जाती हैऔर रानी साहिबा के सामने उनकी चाल आ जाती है ।रानी साहिबा खाने के स्थानपर कुत्ते  छुड़वा देती है ।पूरा परिवार बिना भोजन की यह लौट आता है ।औरप्रतिद्वंदी पंडित चिंतामणि पूरे ठाठ  से भोजन करते हैं । कहानी की भाषा सहज, सरल और प्रवाहमयी है संवादों द्वारा दोनों पंडितों के चरित्र को पूरी तरह उजागरकिया गया है ।वर्णात्मक शैली में रची यह कहानी हास्य को जन्म देती है औरसोचने पर  विवश करती है ओर सोचने पर विवश करती है कि आदमी खाने केलिए आदमी कितना गिर सकता है कि अपनी संतान के पिता किसी अन्य को औरपत्नी को पुरुष बना दे । रानी साहिबा  का व्यवहार  भी कोई अच्छा प्रभाव नहींछोड़ता ।पंडित चिंतामणि भी अपने मित्र को नीचा दिखाते हैं ।वस्तुत यह कहानीएक दिखावटी समाज  का प्रतिनिधित्व करती  है जहाँ सब  स्वार्थपूर्ति में लगे हैं।कहानी जा उद्देश्य दिशाभ्रमित लोगों को वास्तविकता का आइना दिखाना है किधर्म के नाम पर किस प्रकार ढोंग रचे जाते हैं ।

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हिंदी साहित्य का इतिहास (Hindi Sahitya ka Itihas)

आर्यभाषाओं का ऐतिहासिक विकास प्राचीन आर्य भाषाएँ :- इनका समय लगता 2000 ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व तक माना गया है के अंतर्गत दो स्थितियां शामिल हैं- वैदिक संस्कृति (2000 से1000 ईसा पूर्व) लौकिक संस्कृत (1000 ईसा पूर्व से 500 ई० पू०) मध्यकालीन आर्य  भाषाएं :- इनका का समय 500 ईसा पूर्व से एक

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वाक्य संरचना

वाक्य-सार्थक शब्दों या पदों की वह व्यवस्थित व क्रमबद्ध समूह होता है जो किसी पूर्ण अर्थ को व्यक्त करने में सक्षम हो । सार्थक वाक्य की शर्तें आकांक्षा= शब्द एक दूसरे के बिना अर्थ बोधन नहीं कर सकते योग्यता= प्रकट से प्रकट होने वाला अभिप्राय व्याकरण को दृष्टि से बाधित नहीं होना चाहिए । सन्निधि

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सभ्यता का रहस्य

यह कहानी प्रेमचंद जी द्वारा मार्च 1925 में माधुरी पत्रिका में प्रकाशित हुई | यह कहानी सामजिक पृष्ठ भूमि पर आधारित है | इसमें लेखक अमीर-गरीब और नौकर मालिक के सम्बन्ध वर्णित करता है | यह कहानी वर्तमान परिवेश में भी अत्यंत प्रासंगिक है | जो लोग बुरा काम करने के बाद पर्दा डालने की

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शतरंज के खिलाड़ी

मुंशी प्रेमचंद  द्वारा रचित शतरंज के खिलाड़ी कहानी अक्तूबर 1924  में माधुरी पत्रिका  में प्रकाशित हुई | सन् 1977  में इस कहानी पर प्रसिद्ध फ़िल्म- निर्माता सत्यजीत राय नव फिल्म बनायी थी | यह कहानी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित है | कहानी में लखनऊ के नवाब  वाजिद अली शाह के  शासन काल का वर्णन किया

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बूढी काकी

बूढी काकी प्रेमचंद द्वारा  द्वारा कहानी है | यह  कहानी सन् 1921 में मर्यादा पत्र में प्रकाशित हुई | यह सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि पर आधारित कहानी है | इसमें समाज  की ज्वलंत  और वृद्ध समस्या का यथार्थ चित्रण है | कहानीकार ने इस कहानी के  माध्यम से कथानक का सर्जन  करते हुए मानव  की

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बड़े घर की बेटी

प्रेमचंद जी द्वारा रचित पहली हिंदी की यह पहली कहानी है |इससे पहले वह उर्दू में नवाबराय के नाम से लिखते थे | यह कहानी सामाजिक पृष्ठभूमि पर आधारित है | इस कहानी की नायिका आनंदी है जो की एक उच्च संस्कारी घर की बेटी ( सात लड़कियों में) है जिसके पिता जी (भूप सिंह)

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रानी सारन्धा

प्रेमचंद द्वारा रचित कहानी रानी सारन्धा सन 1950 में जमाना पत्रिका में प्रकाशित हुई थी | यह कहानी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित है |कहानी मेंबुन्देलखंड के अनिरुद्ध सिंह की आन-बान  और शौर्य की गाथा का बखान किया गया है |सारन्धा अनिरुद्ध सिंह की बहन  और ओरछा के प्रतापी राजा राजाचम्पतराय की पत्नी थी |वह एक स्वाभिमानी राजपूत वीरांगना थी |उसने अपने भाई और

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