विजयपाल रासो

मिश्रबंधुओं ने अपने ग्रंथ “मिश्रबंधु विनोद” में इस ग्रंथ जा उल्लेख मिलता है।इसके रचयिता नल्हसिंह भाट माने जाते हैं।इसका रचनाकाल 1298 ई० माना जाता है। ड़ा० राजनाथ शर्मा के अनुसार इस कृति में विजय पाल सिंह ओर बंग राजा के युद्ध का वर्णन है। ड़ा० राजबली पाण्डेय के अनुसार इस रचना में रचनाकार ने राजा […]

विजयपाल रासो Read More »

हम्मीर रासो

यह अभी तक एक स्वतंत्र कृति के रूप में उपलब्ध नहीं हो सका है ।अपभ्रंश के “प्राकृत पैंगल” नामक संग्रह ग्रंथ में संगृहीत हम्मीर विषयक 8 छंदों को देख शुक्ल जी ने इसे एक स्वतंत्र ग्रंथ मान लिया था ।प्रचलित धारणा के अनुसार इसके रचयिता शारंगधर माने जाते हैं। परंतु कुछ पदों के आधार पर

हम्मीर रासो Read More »

परमाल रासो

इसे आल्हाखंड के नाम से भी जाना जाता है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने इसे बैलेड तथा ड़ा० राम कुमार वर्मा ने इसे वीरगाथा काव्य कहा है।कुछ विद्वान इसे “विकासशील लोककाव्य” कहते हैं ।जनता में अत्यधिक लोकप्रियता को देखते हुए गिर्यसन ने इसे वर्तमान युग का सबसे लोकप्रिय महाकाव्य माना है।लेकिन इसकी प्रामाणिकता अभी तक उपलब्ध

परमाल रासो Read More »

रासो- उत्पत्ति व अर्थ

हिंदी साहित्य के आरंभिक ग्रंथों के अंत में रासो शब्द जुड़ा हुआ है जो काव्य का पर्यायवाची है | रासो शब्द की उत्पत्ति के सम्बन्ध में विभिन्न विद्वानों के मत- गार्सा द तासी -राजसूय यज्ञ से रामचंद्र शुक्ल ने- रसायण से ड़ा० मोतीलाल मेनरिया – रहस्य से श्री नरोत्तम स्वामी-रसिक से अन्य विद्वान- राउस-रासो या

रासो- उत्पत्ति व अर्थ Read More »

गिला

यह कहानी 1932 में हंस पत्रिका में प्रकाशित हुई थी | यह पारिवारिक पृष्ठभूमि और दाम्पत्य संबंधों पर आधारित है |वस्तुतः कहानी एक अत्यंत सीधे-सरल पति की पत्नी की शिकायतों का पिटारा है, जो उसे अपने पति से हैं|कहानी की नायिका “मैं” अपने पति के सीधेपन से बहुत परेशान है | इसके बाद भी पत्नी

गिला Read More »

सद्गति

यह प्रेमचंद जी एक चर्चित कहानी है | यह मानसरोवर पत्रिका में 1931 में प्रकाशित हुई थी | सन 1981 में प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक सत्यजीत राय ने इस पर फिल्म बनाई | इस कहानी में तत्युगीन वर्णाश्रमधर्मी समाज व्यवस्था के अंतर्गत दलितों के प्रति अमानवीय व्यवहार को दर्शाया गया है | कहानी का नायक दलित

सद्गति Read More »

नया विवाह

नया विवाह मुझसे प्रेमचंद द्वारा रचित एक बहुत ही सुंदर कहानी है यह कहानी सामाजिक पृष्ठभूमि पर आधारित है कहानी के केंद्र में लाला डंगामल है जिनकी आयु 45 वर्ष है उनकी पत्नी लीला रोग, उपेक्षा और प्रेम के अभाव में प्राण त्याग देती है । देहलोलुप डंगामल आशा नामक युवती से विवाह कर लेते

नया विवाह Read More »

विद्यापति की पदावली

बिहार के दरभंगा जिले में विपसी गांव में जन्मे विद्यापति (1350 -1450) हिंदी के आदि गीतकार माने जाते हैं |ये तिरहुत के राजा शिव सिंह और कीर्मति सिंह के दरबारी कवि थे| ये शैव सम्मप्धुरदाय के कवि हैं | मधुर गीतों के रचयिता होने के कारण इन्हें अभिनव जय देव के नाम से भी जाना

विद्यापति की पदावली Read More »

अमीर खुसरो काव्य

हिंदी में खड़ी बोली के प्रथम काव्य प्रयोग का श्रेय इन्हीं को जाता है |इनका वास्तविक नाम अबुल हसन था | यह निजामुद्इदीन औलिया के शिष्य थे | इन्होने दिल्ली के सिंहासन पर 11 राजाओं का आरोहण देखा था |इन्होने हिन्दुओं -मुसलमानों में एकता स्थापित करने का प्रेस किया | या अनेक भाषाओँ ( अरबी,

अमीर खुसरो काव्य Read More »

वर्ण रत्नाकर

मैथिली हिंदी में रचित यह एक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है| मैथिलि कवि ज्योतिशेखर ठाकुर इसके लेखक हैं| इसकी रचना 14 वीं सदी के आस-पास मानी जाती है|यह एक शब्दकोशनुमा ग्रन्थ है |इसमें कवित्व, आलंकारिकता तथा शब्दों की तत्सम प्रवृतियाँ मिलाती हैं |हिंदी गद्य के विकास में इसका एक महत्त्वपूर्ण स्थान है |

वर्ण रत्नाकर Read More »

Scroll to Top