स्वामी रामानंद

जीवनकाल= 1400-1470 ई० के बीच माना जाता है | इनका जन्म काशी में हुआ | राघवानंद से दीक्षा ली | इनके बारह शिष्यों का उल्लेख भक्तमाल में हुआ है जिनमें प्रमुख- कबीर, रैदास, धन्ना, पीपा आदि | इन्होने रामावत सम्प्रदाय का प्रवर्तन किया | ये संस्कृत के भी प्रकांड पंडित थे | प्रसिद्ध ग्रन्थ=वैष्णव मताब्ज […]

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रामकाव्य का अर्थ एवं उत्पत्ति

इसमें राम को आधार बनाकर काव्य रचना की गई है | मुख्य स्रोत्र वाल्मीकि रामायण है जिसका वर्णन महाभारत में भी वर्णन है-आरण्यक पर्व, द्रोण और शांति पर्व | उपनिषदों (रामरहस्योपनिषद) तथा पुराणों (विष्णु, वायु, भागवत, कर्म ) में भी रामकथा का वर्णन | बौद्ध जातक कथाओं (दशरथजातक, अनार्मतजातक) जैन धर्म ग्रंथों (पउमचरिउ, राम-मंदोदरी संवाद,

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अन्य प्रमुख कृष्णभक्त कवि

मीरा बाई=इनका जन्म 1457 ई० में मेड़ता के समीप कुडकी गाँव में हुआ | इनका पिता का नाम रतनसिंह था , माँ बचपन में चल बसी | अतः इनका पालन-पोषण राव दूदा ने किया |1516 में राणा सांगा के बड़े बेटे भोज के साथ हुआ | 7 वर्ष बाद उनकी मृत्यु हो गई | वे

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अष्टछाप कवि

                                                 अष्टछाप कवि वल्लभाचार्य के पुष्टिमार्ग को मानने वाले 8 कवियों का समूह अष्टछाप कवि कहलाए क्योंकि इनके ऊपर वल्लभाचार्य के पुत्र गोस्वामी विट्ठलनाथ ने अपने आशीर्वाद की छाप लगाईं थी |

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नंददास

जन्मकाल=1533- 1583 ड़ा० नागेन्द्र के अनुसार इनका जन्म 1533 ई० में सूकर क्ष्रेत्र के रामपुर में हुआ था | अष्टछाप के कवियों में सूरदास के बाद नंददास का स्थान काव्य सौष्ठ्य और भाषा की प्रांजलता के लिए जाना जाता है | अष्टछाप कवि नंददास के गुरु विट्ठलनाथ जी थे | सूरदास के सम्पर्क में आकर

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सूरदास

जन्मकाल=1478-1583 (आधार-भक्तमाल (नाभादास), चौरासी वैष्णव की वार्ता (गोकुल नाथ) बल्लभ दिग्विजय (यदुनाथ)) ये वल्ल्भाचार्य से दस दिन छोटे थे | जन्म स्थान=सीही (दिल्ली के निकट) सारस्वत ब्राह्मण परिवार में गुरु= 1509-10 में महाप्रभु बल्लभाचार्य से भेंट के बाद उनके शिष्य बनकर पारसोली गाँव में रहने लगे वे जन्मांध थे या बाद में अंधे हुए इसको

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कृष्ण काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ/ विशेषताएं

राधा कृष्ण की लीलाओं का वर्णन रीति तत्व, आनंद, उल्लास और श्रृंगार, नायिका भेद और अलंकार प्रेममयी भक्ति या प्रेम लक्षणा भक्ति जीवन के प्रति आवश्यक राग-रंग प्रकृति चित्रण (ब्रजभूमि, राधा-कृष्ण के सौन्दर्य का चित्रण) अलंकार (उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, विभावना, असंगति आदि) छंद योजना( दोहा चौपाई का प्रयोग) रस योजना श्रृंगार रस, वात्सल्य रस भाषा

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कृष्ण काव्य का अर्थ एवं उत्पत्ति

मध्यकालीन सगुण भक्ति के आराध्य देवों में सर्वोच्च वेद के कुछ सूक्तों के रचयिता कृष्ण हैं | छान्दोग्योपनिषद् में भी कृष्ण आंगिरस के शिष्य हैं | कृष्ण लीलाओं का सर्वप्रथम उल्लेख अश्वघोष के ब्रह्मचरित में किया गया है | महाकवि हाल द्वारा रचित गाथा सप्तशती में कृष्ण, राधा, गोपी, यशोदा आदि का उल्लेख संस्कृत कवि

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मंझन

जन्म=सोलहवीं शताब्दी के आरम्भ में रचना=मधुमालती  1545 नायक= मनोहर, नायिका= महानस नगर की राजकुमारी मधुमालती नायक का एकनिष्ठ (एकतरफा) प्रेम उसे पाने के लिए अनेक कष्ट प्रथम दर्शन में नायिका से प्रेम , उसे पाने के लिए योगी के वेश में घर से निकलकर, रस्ते में एक अन्य सुन्दरी को राक्षस से बचाता है, माँ

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कुतुबन

शुक्ल में प्रेमाख्यान परम्परा का पहला ग्रन्थ माना है | जन्म=1493 में चिश्ती वंश के शेखबुरहान के शिष्य थे | जौनपुर के बादशाह हुसैन शाह के आश्रित कवि थे | रचना=मृगावती 1503 नायक= एक राजकुमार (चंद्रपुर के) (पिता=राजा गणपति देव) नायिका= एक राजकुमारी मृगावती (कंचनपूरी की) (पिता=राजा रूपमुरारी) प्रथम दर्शन में नायिका से प्रेम ,

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