रीतिकाल के प्रमुख कवि और उनका काव्य
केशवदास (Keshavdas) मतिराम (Matiram) भूषण (Bhushan) बिहारी लाल (Bihari Lal) घनानंद (Ghananand) पद्माकर (Padmaakar)
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केशवदास (Keshavdas) मतिराम (Matiram) भूषण (Bhushan) बिहारी लाल (Bihari Lal) घनानंद (Ghananand) पद्माकर (Padmaakar)
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हारती जिंदगीयो और जीतती मौत को देखकर मन मे ऐसे कुछ विचार आ रहे हैं क्यों अतिथि अध्यापक मौत को गले लगा रहे है क्यो किसान गले मे फंदा लगा रहे है क्यो हर तरफ टूटती चूड़िया बिलखते परिवार नजर आ रहे है क्यो बेकसूर मासूम यतीम होते जा रहे है क्यों खिलते चमन रूपी
कुछ शिक्षक वो हैं जो इस अपनी ताकत स्कूलों मे लगा रहे है कुछ शिक्षक वो हैं जो ठाठ से मौज उड़ा रहे है कुछ शिक्षक वो हैं जो अपनी ऊर्जा मासूमों पर लुटा रहे है कुछ शिक्षक वो हैं जो सिर्फ कोरी बातो से काम चला रहे है कुछ शिक्षक वो हैं जो जी
Facebook और Whatsup के जमाने में लोग लगे हैं अपनी अपनी setting बैठाने में किसी को status से किसी को posts से प्यार है कोई डूबा है शेरो शायरी मे किसी को कविताओं का खुमार है किसी को pose मारने से फुर्सत नही किसी पर selfie का चढ़ा बुखार है कोई करता रहता है गिनती
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आज का जो दौर है लोग बिक रहे हर और हैं कहीं चीखें कहीं किलकारियां कहीं वाहनों का शोर है हर किसी को सिर्फ अपने स्वार्थ की प्रतिपूर्ति की अपेक्षा है निस्वार्थियों को टोलियाँ जा रहीं किस और हैं कहीं आते जीवन की सुबह कहीं मौत के अँधेरे का छोर है कहीं जात पात कहीं
मुर्दों के इस संसार में मुर्दों के संसार में इंसान बिकते सरे बाजार देखे कुछ सिर्फ देखने में ज़िंदा थे कुछ ज़िंदा मुर्दे देखे कुछ देखे मतवाले कुछ दीवाने देखे कुछ देखे सज्जन कुछ ढोंगीपन के बेताज बादशाह देखे देखि कहीं सच्चाई कहीं बहते झूठ के दरिया देखे कहीं लहू लुहान रिश्तों के धागे देखे
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बुजुर्गों की आँखें क्या कहती हैं जब देखी खामोश आँखें बुजुएगों की कुछ कहना कुछ बताना चाहती हो जैसे कुछ जानना कुछ जताना चाहती हों जैसे एक कातरता एक ठहराव कभी सागर सी गहराई दिखाई देती है जैसे उन आँखों में जीवन की हर सच्चाई दिखती है जैसे लगता है कुछ कह रही हैं अपने
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वो बचपन याद बहुत आता है वो सुहानी यादें फिर बटोर लाता है वो बचपन था जन्नत का बसेरा ना कुछ तेरा था ना कुछ मेरा उस जमाने सब हमारा था वो बहनों भाइयों का प्यार भी न्यारा था न चालाकी ना हेरा फेरी थी ना होशियारी ना गद्दारी थी हर रिश्ते में एक वफादारी
छड्ड दिला दुनिया नु इदा ता सर ही जाणा किन्ने तैनू पूछना जे तू मर वि जाणा तेरी कि औकात वे निमाणया इत्थे ते बड्डे बड्डे कर सके ना ठिकाणा ……………………… सर ही जाणा किन्नू कु तेरी फिकर डून्गा सोच के वेख ले एक बारी सब कुछ छड के ता वेख ले ना किसे ने
ओ मां ये रीत किसने और क्यों बनाई है ? एक ही पल में बेटी क्यों हो जाती पराई है जिसने अपना बचपन तेरे आंचल और बाप की छाया में बिताया जिसने भगवान् को आप दोनों में ही है पाया उस अभागी बेटी ने ये कैसी किस्मत पाई है …………………………………………………एक ही पल में बेटी क्यों