हिंदी साहित्य इतिहास लेखन की पद्धतियाँ

वर्णानुक्रम- लेखक और कवियों का परिचय उनके नाम के वर्णों के क्रम के अनुसार ( गार्सा द तासी, शिव सिंह सेंगर) कलानुक्रमी -लेखक और कवियों का परिचय उनके जन्मतिथि तथा ऐतिहासिक काल के क्रम के अनुसार (जार्ज गिर्यसन, मिश्र बन्धु) वैज्ञानिक -पूर्णतः तटस्थ रहकर तथ्यों का संकलन करके व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत करना | यह […]

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हिंदी साहित्य इतिहास दर्शन

इतिहास शब्द से सांस्कृतिक एवं राजनीतिक इतिहास का बोध होता है, किन्तु साहित्य भी इतिहास से भिन्न न होकर उससे जुड़ा हुआ है | साहित्य के इतिहास का अर्थ है-देशकाल की सीमाओं में विकसित साहित्य का समग्र रूप से अध्ययन करना |साहित्य की विकास प्रक्रिया के सम्बन्ध में मुख्य सिद्धांत- तेन-साहित्य की व्याख्या के तिन

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हिंदी की सैंविधानिक स्थिति

14 सितम्बर 1949 ओ संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि जिन्दी भारत की राजभाषा होगी | इसलिए 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाया जाता है | राष्ट्रपति ने अधिसूचना संख्या 59/2/54 दिनांक 03/12/1955 सरकारी प्रयोजनों में हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी के प्रयोग से सम्बन्धित संविधान के भाग 17 के अध्याय धारा

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हिंदी ध्वनियों के वर्गीकरण

हिंदी ध्वनियों के वर्गीकरण के आधार-१. स्वर के आधार पर २. व्यंजन के आधार पर स्वर के आधार पर स्वरों का वर्गीकरण निम्नलिखित आधार पर किया जा सकता है- जिह्वा के उत्थापित(ऊपर उठना) भाग के आधार पर= तीन भेद = अग्रस्वर , मध्य स्वर, पश्च स्वर जिह्वा की ऊँचाई के आधार पर– चार भेद-संवृत्त स्वर

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प्रत्यय

वे शब्दांश जो किसी भी शब्द के पीछे लगकर उसके अर्थ में परिवर्तन करते हैं, प्रत्यय कहलाते हैं । भेद- कृदंत (क्रिया या धातु के अंत में) आ, आई, आन, इया, त, नी तद्धित प्रत्यय (धातुओं को छोड़कर बाक़ी सभी शब्दों के साथ) एरा, एली, ई, इक

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उपसर्ग-

वे शब्दांश जो किसी भी शब्द के आगे आकर उसके अर्थ को बदल देते हैं , उपसर्ग कहलाते हैं । भेद- उपसर्ग तीन प्रकार के होते हैं – 1.तत्सम उपसर्ग- अति, अधि, अभि, अनु, अप, अब, उप, उत/उद, दुर/दुस, निर, निस, परा, परि, प्रति, वि, कु, सम, स, सु, नि, प्र, आ ( व्यंजनांत शब्दांश

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हिंदी का भाषिक स्वरूप- हिंदी की स्वनिम व्यवस्था-खड़्य ओर खड़्येत्तर

किसी भाषा के मूलभूत इकाई स्वनिम कहलाती है।स्वनिम शब्द स्वन से बना है।स्वन का अर्थ है -वाक् ध्वनि। भाषा विशेष में प्रयोग करने पर यह वाक् ध्वनि अर्थभेदक होकर स्वनिम कहलाती है।स्वन या ध्वनि या ध्वनि भाषा की लघुत्तम इकाई मानी जाती है। परिभाषा- ड़ा० भोलानाथ- स्वनिम किसी भाषा की वह अर्थभेदक ध्वन्यात्मक इकाई है,

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कम्प्यूटर ओर हिंदी

आज का युग प्रौद्योगिकी, सूचना तथा संचार का युग है।सूचना प्रौद्योगिकी, तकनीकी उपकरणों द्वारा सूचनाओं का संकलन तथा सम्प्रेषण करता है।आज के युग में कम्प्यूटर द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जो नई क्रांति हुई है, वह है-यांत्रिकी ओर कम्प्यूटर की नई भाषाई माँगों को पूरी करना । इन सब भाषाओं में हिंदी का विशेष

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संचार माध्यम ओर हिंदी

संचार=एक सोचना को दूसरों तक पहुँचाना ।अंग्रेज़ी शब्द कम्यूनिकेशन- किसी बात को आगे बढ़ाना या चलाना। संचार की प्रमुख परिभाषाएँ- राबर्ट एंडरसन- वाणी लेखन या संकेतों के द्वारा विचारों, अभिमतों अथवा सूचना का विविध विनिमय करना संचार कहलाता है। ड़ा० हरिमोहन-संचार एक जटिल प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के बीच अर्थपूर्ण

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