सुन्दरदास

जन्म-(1596-1689) में जयपुर की राजधानी धौंसा माता-पिता = परमानन्द खंडेलवाल -सती गुरु= छः साल की आयु में दादू दयाल के शिष्य प्रमुख रचनाएँ- (42 रचनाएँ) ज्ञान समुद्र, सुंदर विलास ( भाषा- परिष्कृत ब्रजभाषा) प्रमाणिक संकलन= सुंदर ग्रंथावली (दो भाग) द्वारा-पुरोहित हरिनारायण शर्मा श्रृंगार रस की रचनाओं के विरोधी थे रचनाओं में भक्ति, योग-साधना और नीति […]

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मलूकदास

इनका जन्म1574 में इलाहबाद में कड़ा नामक गाँव में हुआ | जन्म अकबर के समय और मृत्यु औरंगजेब के समय हुई | इनके पिता का नाम सुन्दरदास खत्री था | इनके गुरु का नाम पुरुषोत्तम है | इनकी प्रमुख रचनाएँ- रत्नखान, ज्ञानबोध, ज्ञान परोछि(अवधी), भक्तवच्छावली, भक्ति विवेक, बारह खड़ी, रामावतार लीला, ब्रजलीला, ध्रुवचरित, सुखसागर, शब्द

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भक्तिकाल

भक्ति आंदोलन के उदय के सामाजिक ओर सांस्कृतिक कारण, भक्ति आंदोलन का अखिल भारतीय स्वरूप और उसका अंतःप्रादेशिक वैशिष्ट्य भक्ति काव्य की सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, अलवार संत । भक्ति काव्य के प्रमुख सम्प्रदाय ओर उनका वैचारिक आधार , निर्गुण-सगुण कवि और उनका काव्य

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दादूदयाल

धर्मसुधारक, समाज सुधारक और रहस्यवादी कवि जन्म=अहमदाबाद (गुजरात) देश भ्रमण करते हर सांभर में निवास करनेलगे | इनके सम्प्रदाय को “ब्रह्म सम्प्रदाय” या “परब्रह्म सम्प्रदाय” के नाम से भी जाना जाता है | कालान्तर में इसे दादू पंथ की संज्ञा प्रदान की गई | इनके सत्संग का स्थल “अलख दरीखा” नाम से प्रसिद्ध इनके पंथ

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नानक

इनका जन्म 1469 में ननकाना में हुआ | इनका जन्म ननकाना के तलवंडी में हुआ था | पिता- कालूचंद , माता-तृप्ता बाल्यकाल में संस्कृत, फारसी, पंजाबी और हिंदी जी शिक्षा प्राप्त हुई | यह सिख धर्म के मूल प्रवर्तक एवं आदि गुरु थे | इनकी पत्नी का नाम सुलक्षणी था जोकि गुरदासपुर के मूलचंद खत्री

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रैदास

रैदास का जन्म 1388 में काशी में हुआ | मध्यकालीन साधकों में विशेष स्थान इनी पत्नी का नाम लोना माना जाता है इन्होनें प्रयाग,मथुरा, वृन्दावन, भरतपुर, जयपुर, पुष्कर, और चितौड़ आदि स्थानों का भ्रमण किया सिकंदर लोधी के निमंत्रण पर दिल्ली भी आए थे | इन्हें मीराबाई और उदय का गुरु माना जाता है |

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कबीर

कबीर का जन्म 1398 ई० में काशी में हुआ | चौदह सौ पचपन साल गये,चन्द्रवार एक ठाठ भये।जैठ सुदी बरसाइत को, पूरनमासी प्रगट भये।। इनके माता-पिता का नाम नीरू-नीमा है | कबीर की पत्नी का नाम लोई तथा पुत्र-पुत्री का नाम कमाल-कमाली था | मुसलमानों के अनुसार कबीर के गुरु फ़क़ीर शेख तकी था |

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संत काव्यधारा

संत कवि जन्म-मृत्यु जाति नामदेव 1135-1215 दरजी रैदास 1388-1518 चमार कबीर दास 1398-1518 जुलाहा जम्भ नाथ 1451-1523 राजपूत हरिदास निरंजनी 1455-1543 गुरुनानक 1469-1538 खत्री सींगा 1519-1659 ग्वाला लालदास 1540-1648 मेव दादू दयाल 1544-1603 धुनिया/ मोची मलूक दास 1574-1682 खत्री बाबा लाल 1590-1655 क्षत्रिय सुन्दर दास 1596-1689 बनिया

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निर्गुण भक्ति

ब्रह्म के दो रूप-निर्गुण और सगुण निर्गुण निराकार की भक्ति है इसमें ईश्वर घट-2 में रहता है यह ज्ञानमार्गी है रहस्यवाद भी निर्गुण पर ही आश्रित है यह भक्ति मूर्तिपूजा, कर्मकांड आदि आडम्बरों का विरोध करती है ज्ञान और प्रेम द्वारा एकाकार की प्राप्ति पर बल इसके पहले प्रवर्तक- महाराष्ट्र के नामदेव (13वीं सदी) हैं

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नामदेव

जन्म-मृत्यु= 1135-1215 महाराष्ट्र के नामदेव (13वीं सदी) हैं जो बिठोवा के भक्त थे | इनके गुरु का नाम विसोवा खेचर था यह पहले सगुण उपासक थे लेकिन बाद में नाथपंथ के सम्पर्क के कारण निर्गुण उपासक बन गए | इसकी दोनों तरह की रचनाएँ मिलती हैं | यह बारकारी सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखते थे |

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