अष्टछाप कवि
अष्टछाप कवि वल्लभाचार्य के पुष्टिमार्ग को मानने वाले 8 कवियों का समूह अष्टछाप कवि कहलाए क्योंकि इनके ऊपर वल्लभाचार्य के पुत्र गोस्वामी विट्ठलनाथ ने अपने आशीर्वाद की छाप लगाईं थी | […]
अष्टछाप कवि वल्लभाचार्य के पुष्टिमार्ग को मानने वाले 8 कवियों का समूह अष्टछाप कवि कहलाए क्योंकि इनके ऊपर वल्लभाचार्य के पुत्र गोस्वामी विट्ठलनाथ ने अपने आशीर्वाद की छाप लगाईं थी | […]
जन्मकाल=1533- 1583 ड़ा० नागेन्द्र के अनुसार इनका जन्म 1533 ई० में सूकर क्ष्रेत्र के रामपुर में हुआ था | अष्टछाप के कवियों में सूरदास के बाद नंददास का स्थान काव्य सौष्ठ्य और भाषा की प्रांजलता के लिए जाना जाता है | अष्टछाप कवि नंददास के गुरु विट्ठलनाथ जी थे | सूरदास के सम्पर्क में आकर
जन्मकाल=1478-1583 (आधार-भक्तमाल (नाभादास), चौरासी वैष्णव की वार्ता (गोकुल नाथ) बल्लभ दिग्विजय (यदुनाथ)) ये वल्ल्भाचार्य से दस दिन छोटे थे | जन्म स्थान=सीही (दिल्ली के निकट) सारस्वत ब्राह्मण परिवार में गुरु= 1509-10 में महाप्रभु बल्लभाचार्य से भेंट के बाद उनके शिष्य बनकर पारसोली गाँव में रहने लगे वे जन्मांध थे या बाद में अंधे हुए इसको
राधा कृष्ण की लीलाओं का वर्णन रीति तत्व, आनंद, उल्लास और श्रृंगार, नायिका भेद और अलंकार प्रेममयी भक्ति या प्रेम लक्षणा भक्ति जीवन के प्रति आवश्यक राग-रंग प्रकृति चित्रण (ब्रजभूमि, राधा-कृष्ण के सौन्दर्य का चित्रण) अलंकार (उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, विभावना, असंगति आदि) छंद योजना( दोहा चौपाई का प्रयोग) रस योजना श्रृंगार रस, वात्सल्य रस भाषा
कृष्ण काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ/ विशेषताएं Read More »
मध्यकालीन सगुण भक्ति के आराध्य देवों में सर्वोच्च वेद के कुछ सूक्तों के रचयिता कृष्ण हैं | छान्दोग्योपनिषद् में भी कृष्ण आंगिरस के शिष्य हैं | कृष्ण लीलाओं का सर्वप्रथम उल्लेख अश्वघोष के ब्रह्मचरित में किया गया है | महाकवि हाल द्वारा रचित गाथा सप्तशती में कृष्ण, राधा, गोपी, यशोदा आदि का उल्लेख संस्कृत कवि
कृष्ण काव्य का अर्थ एवं उत्पत्ति Read More »
जन्म=सोलहवीं शताब्दी के आरम्भ में रचना=मधुमालती 1545 नायक= मनोहर, नायिका= महानस नगर की राजकुमारी मधुमालती नायक का एकनिष्ठ (एकतरफा) प्रेम उसे पाने के लिए अनेक कष्ट प्रथम दर्शन में नायिका से प्रेम , उसे पाने के लिए योगी के वेश में घर से निकलकर, रस्ते में एक अन्य सुन्दरी को राक्षस से बचाता है, माँ
शुक्ल में प्रेमाख्यान परम्परा का पहला ग्रन्थ माना है | जन्म=1493 में चिश्ती वंश के शेखबुरहान के शिष्य थे | जौनपुर के बादशाह हुसैन शाह के आश्रित कवि थे | रचना=मृगावती 1503 नायक= एक राजकुमार (चंद्रपुर के) (पिता=राजा गणपति देव) नायिका= एक राजकुमारी मृगावती (कंचनपूरी की) (पिता=राजा रूपमुरारी) प्रथम दर्शन में नायिका से प्रेम ,
इनका जन्म= 1493 माना गया है असली नाम दाउद था, सूफी होने के कारण मुल्ला की उपाधि नाम में जुड़ गई | इन्हें एक शिक्षक भी माना गया है | इन्हें अप्रमाणिक रूप से रोज शाह तुगलक और अमीर खुसरो के समकालीन माना जाता है | प्रमुख रचना=चंदायन (लोरकथा नाम ड़ा० माताप्रसाद गुप्त ने दिया) नायक
अमेठी के निकट जायस में रहते थे | पिता का नाम= मलिक शेख ममरेज या मलिक राजे अशरफ बचपन में माता-पिता की मृत्यु देखने में कुरूप थे , एक आँख व कान से रहित इसलिए शेर शाह ने इनका मजाक उड़ाया मृत्यु=अमेठी में तीर से, वहीँ समाधि प्रसिद्द सूफी फ़क़ीर=शेख मोहिदी (मुहीउद्दीन) के शिष्य शेरशाह
मालिक मोहम्मद जायसी Read More »
सूफी मत का वैचारिक आधार इसका और प्रचलित नाम – प्रेममार्गी शाखा, प्रेमाश्रयी शाखा, प्रेमाख्यान काव्य परम्परा,रोमंसिक कथा है इसमें प्रेम तत्व की प्रधानता मध्यकालीन प्रेमाख्यान ग्रंथों में इसी रोमांस का चित्रण शुक्ल ने इन प्रेमाख्यानों पर फारसी मसनवियों (नायिका का विवाह प्रतिनायक से हो जाता है और नायक आत्महत्या कर लेता है )प्रभाव माना