Class 8 Sanskrit Chapter 5 कण्टकेनैव कण्टकम्

चञ्चल नामक कोई शिकारी था। वह पक्षियों और पशुओं आदि को पकड़ कर अपनी जीविका का निर्वाह करता था। एक बार वह जंगल में जाल फैलाकर घर आ गया। दूसरे दिन प्रातःकाल जब चञ्चल वन में गया, तब उसने देखा कि उसके द्वारा फैलाए गए जाल में दुर्भाग्य से एक बाघ बँधा हुआ था। उसने […]

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Class 8 Sanskrit Chapter 4 सदैव पुरतो निधेहि चरणम्

(क) चल चल पुरतो निधेहि चरणम्। सदैव पुरतो निधेहि चरणम्॥ गिरिशिखरे ननु निजनिकेतनम्। विनैव यानं नगारोहणम्॥ बलं स्वकीयं भवति साधनम्। सदैव पुरतो …………॥ सरलार्थ- चलो, चलो। आगे चरण रखो। सदा ही आगे कदम रखो। निश्चय ही अपना घर पर्वत की चोटी पर है। अतः सवारी के बिना ही पर्वत पर चढ़ना है। अपना बल ही

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Class 8 Sanskrit Chapter 3 डिजीभारतम्

आज सारे संसार में ‘डिजिटल इण्डिया’ की चर्चा सुनी जाती है। ‘इस शब्द का भाव क्या है’-ऐसी जानने की इच्छा उत्पन्न होती है। काल के परिवर्तन के साथ मानव की आवश्यकता भी परिवर्तित होती है। पुराने समय में ज्ञान का आदान-प्रदान वाणी के द्वारा होता था तथा विद्या श्रवण परम्परा से गृहीत की जाती थी।

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Class 8 Sanskrit Chapter 2 बिलस्य वाणी न कदापि में श्रुता

किसी वन में खरनखर नामक शेर  रहता था। किसी समय भूख से व्याकुल होकर इधर-उधर घूमते हुए उसे कुछ भी भोजन प्राप्त न हुआ। तब सूर्य के अस्त होने के समय एक विशाल गुफा को देखकर वह सोचने लगा-“निश्चित रूप से इस गुफा में रात में कोई प्राणी आता है। अतः यहाँ पर ही छिप

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Class 7 Sanskrit Chapter 15 लालनगीतम्

(क) उदिते सूर्ये धरणी विहसति। पक्षी कूजति कमलं विकसति॥1॥ सरलार्थ : सूर्य के उगने पर (निकलने पर) पृथ्वी हँस रही है, पक्षी चहचहा रहा है, कमल खिल रहा है। (ख) नदति मन्दिरे उच्चैढक्का। सरितः सलिले सेलति नौका॥2॥ सरलार्थ : मन्दिर में नगाड़ा ज़ोर से आवाज़ कर रहा है। नदी के जल में नाव डगमगा रही

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Class 7 Sanskrit Chapter 14 अनारिकायाः जिज्ञासा

बालिका अनारिका के मन में हमेशा बड़ा कुतूहल (जानने की इच्छा) होता है। इसलिए वह बहुत प्रश्न पूछती है। उसके प्रश्नों से सबकी बुद्धि पहिए के समान घूमने लगती है। सुबह उठकर उसने अनुभव किया कि उसका मन प्रसन्न (खुश) नहीं है। मन प्रसन्न करने के लिए वह घूमने के लिए घर से बाहर गई।

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Class 7 Sanskrit Chapter 13 अमृतं संस्कृतम्

संसार की सभी उपलब्ध भाषाओं में संस्कृत भाषा सबसे अधिक प्राचीन है। यह भाषा अनेक भाषाओं की माता मानी गई है। प्राचीन ज्ञान विज्ञान का खज़ाना इसमें सुरक्षित है। संस्कृत के महत्त्व के विषय में किसी के द्वारा कहा गया है- भारत की दो प्रतिष्ठाएँ हैं- संस्कृत और (देश की) संस्कृति। यह भाषा बहुत वैज्ञानिकी

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Class 7 Sanskrit Chapter 12 विद्याधनम्

(क) न चौरहार्यं न च राजहार्य न भ्रातभाज्यं न च भारकारि। व्यये कृते वर्धत एव नित्यं विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्॥1॥ न चोरों के द्वारा चुराने योग्य है और न राजा के द्वारा छीनने योग्य है, न भाइयों के द्वारा बाँटने योग्य है और न भार (बोझ) बढ़ाने वाला है। हमेशा खर्च करने पर बढ़ता ही है। विद्या

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Class 7 Sanskrit Chapter 11 समवायो हि दुर्जयः

प्राचीन काल में एक पेड़ पर एक चिड़िया रहती थी। समय से उसके बच्चे हुए। एक बार किसी मतवाले हाथी ने उस पेड़ के नीचे आकर उसकी शाखा को तोड़ डाला। चिड़िया का घोंसला भूमि पर गिर गया। उससे अण्डे नष्ट हो गए। अब वह चिड़िया रोने लगी। उसका रोना सुनकर काष्ठकूट नामक पक्षी ने

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Class 7 Sanskrit Chapter 10 विश्वबंधुत्वम्

पर्व (त्योहार) में, संकट के समय में, अकाल पड़ने पर, देश पर विपत्ति आने पर और दैनिक व्यवहार में जो सहायता करता है, वह भाई होता है। यदि संसार में सब स्थानों पर ऐसी भावना हो, तब संसार में भाईचारा सम्भव होता है परन्तु अब सारे विश्व में लड़ाई और अशान्ति का वातावरण है। मनुष्य

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