यह अभी तक एक स्वतंत्र कृति के रूप में उपलब्ध नहीं हो सका है ।अपभ्रंश के “प्राकृत पैंगल” नामक संग्रह ग्रंथ में संगृहीत हम्मीर विषयक 8 छंदों को देख शुक्ल जी ने इसे एक स्वतंत्र ग्रंथ मान लिया था ।प्रचलित धारणा के अनुसार इसके रचयिता शारंगधर माने जाते हैं। परंतु कुछ पदों के आधार पर राहुल संकृत्यायन ने जज्जल को इसका कवि माना है। हज़ारी प्रसाद ने भी जज्जल को इसका कवि माना है। इसमें हम्मीर देव ओर अल्लाउद्दीन के युद्ध का वर्णन है जिसमें अलाउद्दीन की चढ़ाई के कारण हम्मीरदेव मारे गए थे।यह 13वीं सदी की रचना मानी जाती है। इसका उद्देश्य हम्मीर की वीरता का वर्णन करना है।

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