प्रश्न 1.
गुरुदेव ने शांतिनिकेतन को छोड़ कहीं और रहने का मन क्यों बनाया? [CBSE]
उत्तर:
गुरुदेव ने शांतिनिकेतन छोड़कर अन्यत्र रहने का मन इसलिए बनाया क्योंकि-

  • गुरुदेव का स्वास्थ्य अच्छा नहीं था।
  • वे आराम करना चाहते थे।
  • वे ऐसी जगह रहना चाहते थे जहाँ आने-जाने वाले उनसे मिलने-जुलने वाले कम लोग आ सकें।
  • वे शांत वातावरण में रहना चाहते थे।

प्रश्न 2.
मूक प्राणी मनुष्य से कम संवेदनशील नहीं होते। पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। [Imp.]
उत्तर:
मूक प्राणी भी कम संवेदनशील नहीं होते हैं। यह एक कुत्ता और एक मैना’ पाठ से कुत्ते की स्वामिभक्ति एवं व्यवहार से प्रकट होता है

  1. गुरुदेव जब श्री निकेतन के तितल्ले भवन में आकर रहने लगते हैं तो उनका कुत्ता उनको खोजते-खोजते वहाँ आ जाता है। वह गुरुदेव का स्पर्श पाकर आनंद अनुभव करता है।
  2. गुरुदेव की मृत्यु के उपरांत कुत्ता अस्थिकलश के पास कुछ देर तक उदास बैठा रहता है। वह भी अन्य लोगों की तरह ही शोक प्रकट करता है।
  3. लँगड़ी फुदकती मैना की चाल में लेखक को एक प्रकार की करुणा दिख रही थी।

प्रश्न 3.
गुरुदेव द्वारा मैना को लक्ष्य करके लिखी कविता के मर्म को लेखक कब समझ पाया? [Imp.]
उत्तर:
गुरुदेव द्वारा लिखी गई कविता के मर्म को लेखक तब समझ पाया जब गुरुदेव ने लेखक को पहली बार मैना दिखाते हुए कहा, “देखते हो, यह यूथभ्रष्ट है। रोज़ फुदकती है यहीं आकर। मुझे इसकी चाल में एक करुणभाव दिखाई देता है।” इससे पहले लेखक यही समझता था कि मैना करुणभाव दिखाने वाली पक्षी है ही नहीं। वह तो दूसरों पर अनुकंपा ही दिखाया करती है।

प्रश्न 4.
प्रस्तुत पाठ एक निबंध है। निबंध गद्य-साहित्य की उत्कृष्ट विधा है, जिसमें लेखक अपने भावों और विचारों को कलात्मक और लालित्यपूर्ण शैली में अभिव्यक्त करता है। इस निबंध में उपर्युक्त विशेषताएँ कहाँ झलकती हैं? किन्हीं चार का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
लेखक ने अपने भावों और विचारों को कलात्मक एवं लालित्यपूर्ण शैली में अभिव्यक्त किया है। इस विशेषता को निम्नलिखित स्थानों पर देखा जा सकता है

  1. आश्रम के अधिकांश लोग बाहर चले गए, एक दिन हमने सपरिवार उनके ‘दर्शन’ की ठानी।
  2. यहाँ दुख के साथ कह देना चाहता हूँ कि दर्शनार्थियों में कितने ही इतने प्रगल्भ थे कि समय-असमय, स्थान-अस्थान, अवस्था-अनवस्था की एकदम परवा नहीं करते और रोकते रहने पर भी आ ही जाते थे। ऐसे दर्शनार्थियों से गुरुदेव भीत-भीत रहते थे। अस्तु, मैं मय बाल-बच्चों के एक दिन श्री निकेतन जा पहुँचा।
  3. उस समय लँगड़ी मैना फुदक रही थी। गुरुदेव ने कहा, “देखते हो, यह यूथभ्रष्ट है। रोज फुदकती है, ठीक यही आकर मुझे इसकी चाल में एक करुण भाव दिखाई देता है।”
  4. पक्षियों की भाषा तो मैं नहीं जानता, पर मेरा निश्चित विश्वास है कि उनमें कुछ इस तरह की बातें हो जाया करती हैंपत्नी-ये लोग यहाँ कैसे आ गए जी? पति-ऊँह बेचारे आ गए हैं, तो रहे जाने दो। क्या कर लेंगे!
    पत्नी-लेकिन फिर भी इनको इतना तो ख्याल होना चाहिए कि यह हमारा प्राइवेट घर है।
    पति-आदमी जो हैं, इतनी अक्ल कहाँ।

प्रश्न 5.
आशय स्पष्ट कीजिए| इस प्रकार कवि की मर्मभेदी दृष्टि ने इस भाषाहीन प्राणी की करुण दृष्टि के भीतर उस विशाल मानव-सत्य को देखा है, जो मनुष्य, मनुष्य के अंदर भी नहीं देख पाता। [Imp.]
उत्तर:
गुरुदेव ने जब कुत्ते की पीठ पर हाथ फेरा तो उसका रोम-रोम आनंद से पुलकित हो उठा और वह सुख एवं परितृप्ति का अनुभव करने लगा। कुत्ते के इस परितृप्ति को सामान्य व्यक्ति अनुभव नहीं कर सकता है। यहाँ तक एक मनुष्य दूसरे मनुष्य के विषय में नहीं जान पाता है, पर कवि अपनी आँखों से कुत्ते की परितृप्ति और मैना की करुण भावना को पहचान लेता है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 6.
पशु-पक्षियों से प्रेम इस पाठ की मूल संवेदना है। अपने अनुभव के आधार पर ऐसे किसी प्रसंग से जुड़ी रोचक घटना को कलात्मक शैली में लिखिए।
उत्तर:
मेरे गाँव में एक किसान ने गाय पाल रखी थी। वह जी-जान से गाय की सेवा करता था। वह खाने के बाद शाम को उसे रोज एक रोटी खिलाता था। गाय भी उसका हाथ चाटकर अपना प्रेम प्रकट करती थी। सर्दियों के दिन थे। किसान की तबीयत खराब हो गई। शाम को वह बिस्तर से न उठ सका।
नित्य की भाँति उसका बेटा रोटी लेकर गाय को खिलाने आया, पर गाय ने रोटी न खाई। किसान को न देखकर गाय दुखी थी। उसने चारा न खाया न रोटी। चौथे दिन जब किसान कुछ ठीक हुआ और उठकर गाय के पास आया तो गाय बड़ी देर तक उसे देखती रही। उसकी आँखों में आँसू थे।
शाम को उसने किसान के हाथ से रोटी खाई। धीरे-धीरे गाय ने खाना-पीना शुरू कर दिया। लोगों ने यह देख कहना शुरू कर दिया कि जरूर इन दोनों का पूर्वजन्म में रिश्ता रहा होगा।

प्रश्न 7.

  • गुरुदेव जरा मुसकरा दिए।
  • मैं जब यह कविता पढ़ता हूँ।

ऊपर दिए गए वाक्यों में एक वाक्य में अकर्मक क्रिया है और दूसरे में सकर्मक। इस पाठ को ध्यान से पढ़कर सकर्मक और अकर्मक क्रिया वाले चार-चार वाक्य छाँटिए।
उत्तर:
सकर्मक क्रिया वाले वाक्य-

  • हम लोग उस कुत्ते के आनंद को देखने लगे।
  • उसे किसी ने राह नहीं दिखाई थी।
  • उन्होंने ‘आरोग्य’ में इस भाव की एक कविता लिखी थी।
  • कुछ और पहले की एक घटना याद आ रही है।

अकर्मक क्रिया वाले वाक्य-

  • हम लोगों को देखकर मुसकराए।
  • उसी समय उनकी कुत्ता धीरे-धीरे ऊपर आया।
  • वह कुत्ता आश्रम के द्वार तक आया।
  • आचार्य क्षितिमोहन सबके आगे थे।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित वाक्यों में कर्म के आधार पर क्रिया-भेद बताइए

  1. मीना कहानी सुनाती है।
  2. अभिनव सो रहा है।
  3. गाय घास खाती है।
  4. मोहन ने भाई को गेंद दी।
  5. लड़कियाँ रोने लगीं।

उत्तर:

  1. सकर्मक
  2. अकर्मक
  3. संकर्मक
  4. द्विकर्मक
  5. अकर्मक

प्रश्न 9.
नीचे पाठ में से शब्द-युग्मों के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। जैसे समय-असमय, अवस्था-अनवस्था इन शब्दों में ‘अ’ उपसर्ग लगाकर नया शब्द बनाया गया है। पाठ में से कुछ शब्द चुनिए और उनमें ‘अ’ एवं ‘अन्’ उपसर्ग लगाकर नए शब्द बनाइए।
उत्तर:

  • निर्णय              –    अनिर्णय
  • दर्शनीय           –    अदर्शनीय अचल
  • कारण             –    अकारण
  • भद्र                 –    अभद्र
  • कही                –    अनकही
  • हिंदी                 –   अहिंदी
  • प्रगल्भ               –  अप्रगल्भ
  • प्रचलित             –  अप्रचलित
  • भीत                  –  अभीत
  • पुस्तकीय           –  अपुस्तकीय
  • कुशल               –  अकुशल
  • संग                   –  असंग
  • स्वीकार             –  अस्वीकार
  • स्वीकृति            –   अस्वीकृति
  • चैतन्य               –   अचैतन्य मानव
  • अमानव मूल्य    –   अमूल्य
  • सहज               –   असहज
  • करुण              –   अकरुण
  • परिचय             –   अपरिचय
  • प्रत्यक्ष              –   अप्रत्यक्ष
  • शांत                –   अशांत
  • गंभीर              –   अगंभीर
  • बाध्य               –   अबाध्य
  • उद्देश्य             –   अनुद्देश्य
  • उपस्थित         –   अनुपस्थित
  • भाव               –   अभाव
  • नियमित         –   अनियमित
  • उपयोग          –   अनुपयोग
  • निश्चित           –   अनिश्चित
  • विश्वास           –   अविश्वास
  • आहत            –   अनाहत

 

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