अष्टछाप कवि
वल्लभाचार्य के पुष्टिमार्ग को मानने वाले 8 कवियों का समूह अष्टछाप कवि कहलाए क्योंकि इनके ऊपर वल्लभाचार्य के पुत्र गोस्वामी विट्ठलनाथ ने अपने आशीर्वाद की छाप लगाईं थी | अष्टछाप की स्थापना विट्ठलनाथ ने अपने पिता के 84 शिष्यों में से 4 और अपने 252 शिष्यों में से 4 को लेकर 1565 में की थी | ये आठों ब्रजभूमि के निवासी थे | इनके इष्ट श्रीनाथ जी थे | इन आठों में से सबसे बड़े कुम्भनदास और सबसे छोटे नंददास थे |सूरदास पुष्टिमार्ग के नायक थे |ये आठों भक्त कवि समकालीन थे |
- वल्लभाचार्य के चार शिष्य थे- कुम्भनदास , सूरदास, परमानंद दास और कृष्णदास
- गोस्वामी विट्ठलनाथ के चार शिष्य थे- गोविन्द स्वामी, नंददास, छीतस्वामी और चतुर्भुजदास
- कुम्भनदास = ये परमानंद जी के समकालीन थे |इनके 7 पुत्र थे जिनमें से चतुर्भुजदास को छोड़कर बाकी खेती करते थे | ये कृष्ण की भक्ति में लीं रहते थे साधुस्वभाव थे |इन्होने 1492 में वल्लभाचार्य से दीक्षा ली | इन्हें गायन के लिए अकबर के दरबार में बुलाया गया | वे इनकी भगवदभक्ति से बहुत प्रसन्न हुए | इनका कोई स्वतंत्र ग्रन्थ नहीं मिलता परन्तु दूसरे ग्रंथों में इनके पद मिलते हैं |
- परमानंददास= इनका अष्टछाप कवियों में प्रमुख स्थान था | जन्म 1493 में कन्नौज के कान्यकुब्ज ब्राह्मणपरिवार में हुआ | इन्होने वल्लभाचार्य से दीक्षा लेकर बाललीला संबंधी पदों की रचना करनी शुरू की | इनकी रचनाओं का प्रकाशन परमानंद सागर , परमानंद के पद और वल्लभीसम्प्रदाय कीर्तन दर्प संग्रह नाम से हुआ | बाललीला पर ही इनकी सबसे ज्यादा पद हैं |
- कृष्णदास= इनका जन्म 1496 ई० में गुजरात के अहमदाबाद के चिलोतरा गाँव में हुआ | इनके पिता गाँव के मुखिया| बचपन में कृष्णदास घर छोडकर ब्रज आ गए | गोस्वामी विट्ठलनाथ इनकी कुशाग्र बुद्धि के प्रशंसक थे | ये काव्य और संगीत के मर्मज्ञ होने के कारण सुकवि और गायक थे | इन्होने बाललीला, राधा-कृष्ण प्रेमप्रसंग, रूप सौन्दर्य पर लिखा| इनके पद शुद्ध ब्रजभाषा में लिखे गए हैं |
- सूरदास
- गोविन्द स्वामी= राजस्थान के भरतपुर के आंतरी गाँव में 1505 ई० इनका जन्म हुआ | वैराग्य के बाद ब्रजमंडल महावन में आकर बस गए | 1553 में गोस्वामी विट्ठलनाथ से दीक्षा ली | दीक्षा के बाद ये गोवर्धन चले गए | वहां आज भी उनका स्थान “गोविंदस्वामी की कदमखंडी” के नाम से विख्यात है |इनका कोई स्वतंत्र ग्रन्थ नहीं है | परन्तु इनके कुछ(600) पद “गोविन्द स्वामी के पद” संकलन ने दर्ज हैं | इनकी भाषा ब्रज थी |
- छीतस्वामी=ये मथुरा के चतुर्वेदी ब्राह्मण थे | इनका जन्म 1515 ई० में हुआ | इनकी पद रचना को देखकर विट्ठल ने इन्हें पुष्टिमार्ग में शामिल कर लिया | इनकी संगीत में रूचि थी |इनका कोई स्वतंत्र ग्रन्थ नहीं लेकिन 200 पदों के संकलन की पदावली मिलती है |
- चतुर्भुज दास=ये कुम्भनदास के सबसे छोटे पुत्र थे |जन्म 1530 ई० में गोवर्धन के समीप जमुनावती गाँव में हुआ था |ये बचपन में काव्य रचना करने लगे थे |इनका भी कोई स्वतंत्र ग्रन्थ नहीं लेकिन पदों का संकलन चतुर्भुज कीर्तन-संग्रह, कीर्तनावली और दानलीला नाम से प्रकाशित है |
- नंददास