पं० कामता प्रसाद गुरु के अनुसार लिखित भाषा में मूल ध्वनियों के लिए जो चिह्न लिए गए है वे भी वर्ण कहलाते हैं और जिस रूप में ये लिखे जाते हैं उसे लिपि कहते हैं । लिखित ध्वनि संकेतों को लिपि कहते हैं |
लिपि के विकास की मुख्यतः निम्न अवस्थाएँ मानी जाती है –
चित्रलिपि
प्रतीक लिपि
भावलिपि
ध्वनिलिपि – 2 भेद हैं – अक्षरात्मक और वर्णनात्मक
भारत में प्राचीन समय से 3 लिपियाँ प्रचलित थी
सिंधू घाटी लिपि
खरोष्ठी लिपि ( दाएँ से बाएँ) 37 वर्ण (5 स्वर 11 व्यंजन)
ब्राह्मी लिपि
इसी से देवनागरी का विकास
- दक्षिणी शैली ( तेलुगु तमिल कन्नड़ लिपियों का विकास)
- उत्तरी शैली -गुप्त लिपि(4-5 शताब्दी में) -सिद्धमात्रिका (सन 588-89 का वैध हुआ का अभिलेख) या कुटिल लिपि (इससे दोलिपियाँ- देवनागरी ओर शारदा लिपि ।
देवनागरी (नौवीं शताब्दी)
नामकरण-
- नाग़लिपि (बौद्ध ग्रंथ “ललित विस्तार”) से नगरी नामकरण
- नगरों में प्रचलित होने के कारण
- पाटलिपुत्र को “नागर” ओर चंद्रगुप्त को देव कहने के कारण
- गुजरातके नागर ब्राह्मणों के नाम पर
विशेषताएँ
- आक्षरिक या अक्षरात्मक
- प्रत्येक वर्ण के लिए अलग ध्वनि
- वर्णमाला का वर्णक्रम वैज्ञानिक
- उच्चारण व लेखन में एकरूपता
- नियतता- प्रत्येक ध्वनि के लिए निश्चित चिह्न नियत किया गया है |
- समग्रता-सम्पूर्ण ध्वनियों के लिए अलग-2 चिह्न
- निश्चितता-प्रत्येक चिह्न के लिए निश्चित उच्चारण
- स्पष्टता-सभी वर्ण स्पष्ट-न, ण आदि |
लिपि सुधार
- बम्बई में महादेव रानाडे ने लिपि सुधर समिति बनाई |
- महाराष्ट्र साहित्य परिषद पुणे ने लिपि सुधर योजना बनाई |
- तिलक ने केसरी पत्र में लिपि सुधर की चर्चा की |
- सावरकर, गांधी, काका कालेलकर (अ की बारहखड़ी का सुझाव), डा० श्यामसुंदर ने पंचम वर्ण के स्थान पर अनुस्वार का सुझाव
- 1945 में नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा नागरी लिपि सुधार हेतु समिति गठित
- 1953 में लखनऊ में “लिपि सुधार परिषद” का गठन , अध्यक्षता राधा कृष्ण सर्वपल्ली-ह्रस्व इ की मात्रा व्यंजन से पहले लगे जाए , ख, ध, भ,छ के नए रूपों का प्रयोग किया जाए |
- राजभाषा 14 सितम्बर 1949 को भारतीय संविधान में राजकीय भाषा का दर्जा
- संविधान के भाग-17 अनुच्छेद 343-351 राजभाषा का प्रावधान
मानकीकरण
- एक ध्वनि के लिए एक निश्चित चिह्न होना चाहिए
- उच्चारण में एकरूपता-पैसा-पइसा-पाइसा
- वर्तनी में एकरूपता-संज्ञा शब्दों के अंत में ई का प्रयोग=मिठाई
- हिंदी निदेशालय ने हिंदी के संख्यावाची रूपों का मानकीकरण कर दिया है- छे-छै-छअ = छः/छह
- क्रिया रूपों का मानकीकरण=करा-किया, होएंगे -होंगे