पाठ 6 रक्त और हमारा शरीर

प्रश्न 1.रक्त के बहाव को रोकने के लिए क्या करना चाहिए।
उत्तर-रक्त के बहाव को रोकने के लिए उस स्थान पर कसकर एक साफ़ कपड़ा बाँध देना चाहिए। ताकि दबाव पड़ने से रक्त का बहना कम हो जाता है। फिर घायल व्यक्ति को जल्द ही डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।

प्रश्न 2.खून को ‘भानुमती का पिटारा’ क्यों कहा जाता है? 
उत्तर-‘भानुमती का पिटारा’ यह एक ऐसी लोकोक्ति है जिसका अर्थ है एक पिटारे में भाँति-भाँति की वस्तुएँ। खून को भानुमती का पिटारा कहा गया है क्योंकि यदि सूक्ष्मदर्शी से खून की एक बूंद को जाँचा जाए तो उसमें लाखों की संख्या में लाल रक्त-कण मौजूद होते हैं जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। इसके अलावा सफ़ेद कण व प्लेटलैट कण भी उसमें पाए जाते हैं।

प्रश्न 3. एनीमिया से बचने के लिए क्या-क्या खाना चाहिए?
उत्तर-एनीमिया से बचने के लिए हमें पौष्टिक भोजन का सेवन करना चाहिए। मसलन हरी सब्जी, फल, दूध, अंडा और मांस का प्रयोग करना चाहिए। इनमें प्रोटीन, लौह तत्व और विटामिन काफ़ी मात्रा में मिलते हैं। ये रक्त के निर्माण में सहायक होते हैं, जिससे एनीमिया रोग होने का खतरा टल जाता है।

प्रश्न 4.पेट में कीड़े क्यों हो जाते हैं? इनसे कैसे बचा जा सकता है।
उत्तर-पेट में कीड़े दूषित जल और खाद्य पदार्थों द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं। अतः इनसे बचने के लिए खाद्य पदार्थ ग्रहण करना चाहिए। साफ़ जल पीना चाहिए और भोजन करने से पहले हाथ अच्छी तरह धोना चाहिए। इसके अलावे नंगे पैर हमें नहीं घूमना चाहिए, क्योंकि कुछ कीड़े ऐसे हैं, जिनके अंडों से उत्पन्न लार्वा त्वचा के रास्ते शरीर में प्रवेश कर आँतों में पहुँच जाते हैं। इनसे बचने के लिए जरूरी है कि शौचालय का प्रयोग किया जाए और नंगे पाँव नहीं घूमे।।

प्रश्न 5.रक्त के सफ़ेद कणों को ‘वीर सिपाही’ क्यों कहा गया है?
उत्तर-रक्त के सफ़ेद कणों को वीर सिपाही इसलिए कहा गया है, क्योंकि ये हमारे शरीर की रक्षा करते हैं। ये रोग के कीटाणुओं को शरीर में घुसने नहीं देते उनसे डटकर मुकाबला करते हैं।

प्रश्न 6.ब्लड-बैंक में रक्तदान से क्या लाभ है?
उत्तर-ब्लड-बैंक में दान दिए गए रक्त को सुरक्षित रूप में रखा जाता है। किसी भी व्यक्ति को रक्त की आवश्यकता पड़े तो उसके लिए किसी भी रक्त समूह को रक्त वहाँ से लिया जा सकता है। इस प्रकार आपातकालीन स्थिति में जरूरतमंद व्यक्ति की जान बचाने में ब्लड-बैंक में किया हुआ रक्तदान काम आता है।

प्रश्न 7.साँस लेने पर शुद्ध वायु से जो ऑक्सीजन प्राप्त होती है, उसे शरीर के हर हिस्से में कौन पहुँचाता है

सफ़ेद कण
साँस नली
लाल कण
फेफड़े

उत्तर-साँस लेने पर शुद्ध वायु से ऑक्सीजन प्राप्त होती है, उसे शरीर के हर हिस्से में लाल रक्त कण पहुँचाता है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.(क) चार महीने के होते-होते ये नष्ट हो जाते हैं
इस वाक्य को ध्यान से पढ़िए। इस वाक्य में ‘होते-होते’ के प्रयोग से यह बताया गया है कि चार महीने से पूर्व ही ये नष्ट हो जाते हैं। इस तरह के पाँच वाक्य बनाइए जिनमें इन शब्दों का प्रयोग हो

बनते-बनते, पहुँचते-पहुँचते, लेते-लेते, करते-करते

उत्तर-

  • बनते-बनते–मेरा काम बनते-बनते बिगड़ गया।
  • पहुँचते पहुँचते–स्टेशन पहुँचते पहुँचते ट्रेन खुल गई ।
  • लेते-लेते-मैं कार लेते-लेते रह गया।
  • करते-करते-वह होम वर्क करते-करते थक गया।

(ख) इन वाक्यों को पढ़िए

सड़क के किनारे-किनारे पेड़ लगे हैं।
आज दूर-दूर तक वर्षा होगी।
  • इन वाक्यों में होते-होते’ की तरह ‘किनारे-किनारे’ और ‘दूर-दूर’ शब्द दोहराए गए हैं। पर हर वाक्य में अर्थ भिन्न है। किनारे-किनारे का अर्थ है-किनारे से लगा हुआ और दूर-दूर का-बहुत दूर तक।
  • आप भी निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए और उनके अर्थ लिखिए-
ठीक-ठीक, घड़ी-घड़ी, कहीं-कहीं, घर-घर, क्या-क्या

उत्तर-

  • ठीक-ठीक (एकदम सही)-वह ठीक-ठीक काब कर लेता है।
  • घड़ी-घड़ी (हर पल)-वह घड़ी-घड़ी रुपये माँगता रहता है।
  • कहीं-कहीं (कुछ जगहों पर)-रास्ते में कहीं-कहीं पेड़ नज़र आ रहे थे।
  • घर-घर (हर घर में)-घर-घर में राम की सफलता की चर्चा हो रही है।
  • क्या-क्या (कौन सी)-आज तुमने बाजार से कौन-कौन-सा फल लाया।

प्रश्न 2 .इस पाठ में दिए गए मुहावरों और कहावतों को पढ़िए और वाक्यों में प्रयोग कीजिए-

भानुमती का पिटारा, दस्तक देना, धावा बोलना, घर करना, पीठ ठोकना ।

उत्तर-
भानुमती का पिटारा – भाँति-भाँति की वस्तुएँ-जादूगर की झोली तो मानो भानुमती का पिटारा हो।
दस्तक देना            – खटखटाना-रात को जब किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी तो मैं घबरा गई।
धावा बोलना           – आक्रमण करना- यदि पाकिस्तान ने जरा भी सर उठाया तो भारत उस पर धावा बोलने से चूकेगा नहीं।
घर करना              – अपना स्थान बनाना-रोगाणु धीरे-धीरे मनुष्य के शरीर में घर करने लगते हैं।
पीठ ठोकना           – शाबाशी देना-कक्षा में प्रथम आने पर पिताजी ने मेरी पीठ ठोकी।

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