प्रश्न 1.साक्षात्कार पढ़कर आपके मन में धनराज पिल्लै की कैसी छवि उभरती है? वर्णन कीजिए।
उत्तर-नराज पिल्लै का साक्षात्कार पढ़कर यही छवि उभरती है कि वे सीधा-सरल जीवन व्यतीत करने वाले मध्यमवर्गीय परिवार से नाता रखने वाले हैं। वे देखने में बहुत सुंदर नहीं हैं। हॉकी के खेल में इतनी प्रसिद्धि प्राप्त करने का जरा भी अभिमान उनमें नहीं है। आम लोगों की भाँति लोकल ट्रेनों में सफर करने में भी कतराते नहीं। विशेष लोगों से मिलकर बहुत प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। उन्हें माँ से बहुत लगाव है। इतनी प्रसिद्धि पाने पर भी आर्थिक समस्याओं से जूझते रहें। उन्हें हॉकी खेल से बहुत लगाव है। लोग भले ही उनको तुनुकमिज़ाज समझे लेकिन वे बहुत सरल हृदय मनुष्य हैं।
प्रश्न 2.धनराज पिल्लै ने जमीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक की यात्रा तय की है। लगभग सौ शब्दों में इस सफ़र का वर्णन कीजिए।
उत्तर-धनराज पिल्लै का बचपन काफ़ी आर्थिक संकटों के बीच गुजरा है। उन्होंने गरीबी को काफ़ी करीब से देखा है। धनराज पिल्लै ने ज़मीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक का सफर तय किया है। उनके पास अपने लिए एक हॉकी स्टिक तक खरीदने के पैसे नहीं थे। शुरुआत में मित्रों से उधार लेकर और बाद में अपने बड़े भाई की पुरानी स्टिक से उन्होंने काम चलाया लेकिन आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई। अंत में मात्र 16 साल की उम्र में उन्हें मणिपुर में 1985 में जूनियर राष्ट्रीय हॉकी खेलने का मौका मिला। इसके बाद इन्हें सन् 1986 में सीनियर टीम में स्थान मिला। उस वर्ष अपने बड़े भाई के साथ मिलकर उन्होंने मुंबई लीग में अपने बेहतरीन खेल से खूब धूम मचाई। अंततः 1989 में उन्हें ऑलविन एशिया कप कैंप के लिए चुना गया। उसके बाद वे लगातार सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते रहे और उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
प्रश्न 3.‘मेरी माँ ने मुझे अपनी प्रसिद्धि को विनम्रता से सँभालने की सीख दी है’–धनराज पिल्लै की इस । बात का क्या अर्थ है?
उत्तर-धनराज पिल्लै का यह कहना ‘मेरी माँ ने मुझे अपनी प्रसिद्धि को विनम्रता से सँभालने की सीख दी है। का तात्पर्य है कि मनुष्य चाहे कितनी भी सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ जाए उसे कभी घमंड नहीं करना चाहिए और किसी को अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए। माँ की इसी सीख को उन्होंने जीवन में अपनाया है।
भाषा की बात
प्रश्न 1.नीचे कुछ शब्द लिखे हैं जिसमें अलग-अलग प्रत्ययों के कारण बारीक अंतर है। इस अंतर को समझाने के लिए इन शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए?
प्रेरणा | प्रेरक | प्रेरित |
संभव | संभावित | संभवतः |
उत्साह | उत्साहित | उत्साहवर्धक |
उत्तर-(क)
प्रेरणा-हमें महापुरुषों के विचारों से प्रेरणा लेनी चाहिए।
प्रेरक-महापुरुषों का जीवन सदैव जन-जन के प्रेरक रहे हैं।प्रेरित-गुरु जी ने हमें उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित किया।
(ख)संभव-आज उसका दिल्ली आना संभव है।
संभावित-अपनी संभावित कश्मीर यात्रा के लिए मुझे तैयारियाँ तो करनी होंगी।
संभवतः-संभवतः पिता जी आज दिल्ली आए।
(ग)उत्साह-खेल के मैदान में खिलाड़ियों का उत्साह देखते बनता था।
उत्साह-इस त्योहार को लेकर मेरे मन में बड़ा उत्साह है।
उत्साहित-मैं इस यात्रा को लेकर काफ़ी उत्साहित हूँ।
उत्साहवर्धक-खेल के मैदान में प्रधानमंत्री का संदेश खिलाड़ियों के लिए उत्साहवर्धक था।
प्रश्न 2.तुनुकमिज़ाज शब्द तुनुक और मिज़ाज दो शब्दों के मिलने से बना है? क्षणिक, तनिक और तुनुक एक ही शब्द के भिन्न रूप हैं। इस प्रकार का रूपांतर दूसरे शब्दों में भी होता है, जैसे बादल, बादर, बदरा, बदरिया, मयूर, मयूरा, मोर, दर्पण, दर्पन, दरपन। शब्दकोश की सहायता लेकर एक ही शब्द के दो या दो से अधिक रूपों को खोजिए। कम से कम चार शब्द और उनके अन्य रूप लिखिए।
उत्तर-
आग, अग्नि, ज्वाला
चाँद, चंद्र, चंदा
समुद्र, समंदर, सागर
मातृ, माता, माँ
प्रश्न 3.हर खेल के अपने नियम, खेलने के तौर-तरीके और अपनी शब्दावली होती है। जिस खेल में आपकी रुचि हो उससे संबंधित कुछ शब्दों को लिखिए, जैसे–फुटबॉल के खेल से संबंधित शब्द हैं-गोल, बैकिंग, पासिंग, बूट इत्यादि।
उत्तर-क्रिकेट – एंपायर, रन, क्षेत्ररक्षण, चौका, छक्का।