कामता प्रसाद गुरु के अनुसार ,” दो या दो से अधिक शब्दों का परस्पर संबंध बताने वाले शब्दों अथवा प्रत्ययों का लोप होने पर, उन दो या दो से अधिक शब्दों से जो एक स्वतंत्र शब्द बनता है, उस शब्द को सामासिक या समस्त पद कहते हैं और उन दो या दो से अधिक शब्दों का जो संयोग होता है, वह समास कहलाता है |

भेद

अव्ययीभाव समास:

जिस समस्त पद में पूर्व पद कोई अव्यय या उपसर्ग होता है वह अव्ययीभाव समास कहलाता है | जैसे- यथामति-मति के अनुसार

तत्पुरुष समास:

तत्पुरुष समास में दुसरा पद प्रधान होता है , पहला पद बहुधा संज्ञा या विशेषण होता है | जैसे- चोरभय- चोर से भय

द्वंद्व समास:

जिस समस्तपद में पूर्व पद और उतर पद दोनों की प्रधानता होती है, द्वंद्व समास कहलाता है | जैसे- माता-पिता – माता और पिता

बहुव्रीहि समास:

जिस समस्तपद में न तो पूर्व पद प्रधान हो न ही उतर पद प्रधान हो बल्कि कोई अन्य पद प्रधान , वह बहुव्रीहि समास कहलाता है |जैसे- गजानन – हाथी जैसा आनन या सर हो जिसका अर्थात गणेश |

अन्य भेद: कर्मधारय समास

वह समस्तपद जिसमें उपमान-उपमेय या विशेषण-विशेष्य सम्बन्ध हो, कर्मधारय समास कहलाता है |जैसे- कालापानी- काला है जो पानी 

द्विगु समास:

जिस समस्तपद में पूर्व पद कोई संख्यावाची हो, उसे द्विगु समास कहते हैं | जैसे- चौराहा-चार राहों का समूह

 

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