- इनका जन्म 1469 में ननकाना में हुआ |
- इनका जन्म ननकाना के तलवंडी में हुआ था |
- पिता- कालूचंद , माता-तृप्ता
- बाल्यकाल में संस्कृत, फारसी, पंजाबी और हिंदी जी शिक्षा प्राप्त हुई |
- यह सिख धर्म के मूल प्रवर्तक एवं आदि गुरु थे |
- इनकी पत्नी का नाम सुलक्षणी था जोकि गुरदासपुर के मूलचंद खत्री की बेटी थी |
- इनके दो बेटे थे- श्रीचंद और लक्ष्मीचंद
- श्रीचंद विख्यात साधु हुए जिन्होंने “उदासी सम्प्रदाय” की स्थापना की |
- नानक जी ने संगत व पंगत का सिद्धांत चलाया |
- इनकी प्रमुख रचनाएं– जपुजी, आसदीवार, रहिरास और सोहिला हैं | ये गुरु ग्रन्थ में दर्ज हैं |
- इनकी साहित्य की भाषा-हिंदी, फारसी, बहुल पंजाबी और शुद्ध पंजाबी |
- उपमा, रूपक, प्रतिक,अनुप्रास आदि अलंकारों का प्रयोग, इनके पद राग-रागिनियों में रचित हैं |
- शांत, करुण, व श्रृंगार रस का प्रयोग
- जपुजी नानक दर्शन का सार है |
- नसिहतानमा इनकी एक महत्त्वपूर्ण रचना है |
कुछ उदाहरण
इस दम का मैनू किबे भरोसा, आया न आया न आया | यह संसार रैन दा सुपना, कही देखा, कही नाहि दिखाया ||
जो नर दुःख में दुःख नहीं माने | सुख स्नेह और भय नाही जाके,कंचन माटी जाने ||
जिन सर सोहन पटिया मांगी पाई संधुर | ते सिर काती मुनी अहि गल विधि आपै धूड ||
आपे जाणे आपे देई, आखहि सि भि केई केई | जिसनौ बखसे सिफति सालाह, नानक पातिशाही पातिसाहु ||