परिस्थितियां

  • राजनीतिक परिस्थिति-युद्ध और अशांति का काल, हर्षवर्धन की मृत्यु के बाद छोटे स्वतंत्र ( परमार, चौहान,चंदेल) राज्यों का उदय
  • राजनीतिक अन्तः क्लेश के कारण शक्ति क्षीण, महमूद गजनबी(10 वीं सदी), मुहम्मद गोरी (12 वीं सदी) का आक्रमण
  • 8-14 वीं सदी तक यह काल युद्ध, संघर्ष, अशांति, अराजकता, गृहक्लेश, विद्रोह का काल
  • धार्मिक परिस्थिति-वैदिक, बौद्ध और जैन धर्म प्रभाव के लिए प्रयासरत, उतर भारत में धीरे-धीरे शैव मत बौद्धों एवं स्मार्तों के प्रभाव को ग्रहण करता हुआ एक नए रूप नाथ सम्प्रदाय में विकसित हो रहा था |
  • बौद्ध वज्रयान से सिद्धों का उदय-अशिक्षित जनता पर अधिक प्रभाव- इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप नाथों का उदय-योग पर बल, बह्याडम्बरों का विरोध
  • खंडन-मंडन , हठयोग, वीरता एवं श्रृंगारपरक रचनाओं का निर्माण
  • सामाजिक परिस्थिति-जनता शासन तथा धर्म दोनों और से निराश्रित
  • वर्ण व्यवस्था व ब्राहमणों के वर्चस्व में कवि
  • सती प्रथा, राजा, सामंत लोग रंगरंग्लियों में व्यस्त थे
  • निर्धनता, युद्ध, अशांति के जनता आतंकित
  • साहित्यिक परिस्थिति-तीन साहित्यिक धाराएं-
  • संस्कृत(9वीं -11वीं सदी तक) आनन्दवर्धन, मम्मट, भोज, क्षेमेन्द्र, कुंतक,राजशेखर, विश्वनाथ,भवभूति और हर्ष जैसी प्रतिभाएं
  • प्राकृत-अपभ्रंश– कवियों ने गुजरात में रहकर अनेक पुरानों को अपभ्रंश में प्रस्तुत किए |जैसे- स्वयंभू, पुष्पदंत, धनपाल, हेमचन्द्र आदि साहित्यकार
  • हिंदी साहित्य– इस समय भाट या चारण कवि जनता की मानसिक एवं भावनात्मक दशाओं को अभिव्यक्ति कर रहे थे |
  • सांस्कृतिक स्थिति- हर्षवर्धन के बाद भारत पर मुस्लिमों के आगमन से भारतीय मन्दिर, मठों आदि को नष्ट करना प्रारंभ किया जो संस्कृति के केंद्र थे |
  • उन्नत साहित्य केंद्र- आबू का जैन मंदिर, खुजराहो का कन्देपेश्वर, पूरी, भुवनेश्वर,वेलोर,कांची के मंदिर इस काल की देन है |
  • भारतीय संस्कृति परम्परा पर मुस्लिम संस्कृति का प्रभाव दिखने लगा था
  • हिन्दू वाद्ययंत्र सारंगी, तबला, अलगोजा से परिचित हुए |

आदिकालीन साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ

  • ऐतिहासिकता का आभाव
  • युद्ध-वर्णन में सजीवता
  • प्रामाणिकता में संदेह
  • वीर एवं श्रृंगार रस की प्रधानता
  • आश्रयदाताओं की प्रशंसा
  • संकुचित राष्ट्रीयता
  • कल्पना की प्रचुरता
  • विविध छंदों का प्रयोग
  • डिंगल-पिंगल भाषा का प्रयोग
  • अलंकारों का स्वाभाविक समावेश
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