Facebook और Whatsup के जमाने में
लोग लगे हैं अपनी अपनी setting बैठाने में
किसी को status से किसी को posts से प्यार है
कोई डूबा है शेरो शायरी मे
किसी को कविताओं का खुमार है
किसी को pose मारने से फुर्सत नही
किसी पर selfie का चढ़ा बुखार है
कोई करता रहता है गिनती likes की
किसी को हर पल रहता comments का इंतजार है
कोई खोजता है लड़कियो के profile को
किसी पर नाम बदलकर chatting करने का चढ़ा रहता ज्वार है
किसी की सादगी रहती है अनदेखी
किसी के थोड़े से Exposure पर लाखों likes की बौछार है
किसी को फुर्सत नही मां बाप से बात करने की भी
किसी को रोज नए नए friends की दरकार है
कही शालीनता सुंदर शब्दावली की बानगी है
कही भद्दी टिप्पणीयो की बौछार है
कही बूढों के तरसते profile भी दिख जाते है
कही बहती ज्ञान की पवित्र रसधार है
आदमी की जगह मशीनो से प्यार का बढता प्रभाव देखकर
कही मानवता के लिए खतरे का तो नही आसार है
संवेदनाएँ शून्य हो रही है भावनाए दम तोड़ रही हैं
किसी का live मरने तक के भी विचार है
यह किस तरफ जा रहे हैं हम अब दोबारा सोचना पड़ेगा
आपसी तालमेल के साथ रिश्तों रूपी वृक्ष को प्रेम के जल से सींचना होगा
द्वारा-सुखविन्द्र