प्रश्न 1.
कवि ने गाँव को ‘हरता जन मन’ क्यों कहा है? [Imp.]
उत्तर:
कवि ने गाँव को ‘हरता जन-मन’ इसलिए कहा है क्योंकि गाँव में चारों ओर हरियाली फैली है। गाँव का वातावरण शांत एवं आकर्षक है। वहाँ खेतों में हरी-भरी फ़सलें हैं जो फल-फूल से लदी हैं। वहाँ हरियाली पर चमकती धूप पड़ने से पृथ्वी के मुसकराने का आभास होता है। दूर से देखने पर गाँव मरकत के डिब्बे-से प्रतीत होते हैं। अपनी इसी सुंदरता के कारण गाँव लोगों का मन हर लेते हैं।
प्रश्न 2.
कविता में किस मौसम के सौंदर्य का वर्णन है?
उत्तर:
कविता में शिशिर और वसंत ऋतु का वर्णन है। इसी ऋतु में पेड़ों के पत्ते गिरने शुरू होते हैं। उनमें नई-नई कोंपलें, शाखाएँ, फल-फूल आने शुरू होते हैं। आमों में मंजरियाँ आने का समय भी यही है। खेतों में फसलें-मटर, सेम, अलसी के फलने-फूलने का समय यही होता है। इसी समय चारों ओर फूल खिलने, उन पर तितलियाँ मँडराने लगती हैं। कटहल, जामुन के मुकुलित होने, अमरूद पकने, कोयल के मदमस्त होने का यही समय है।
गाँव को ‘मरकत डिब्बे सा खुला’ क्यों कहा गया है? [Imp.]
उत्तर:
गाँव को मरकत डिब्बे-सा खुला इसलिए कहा गया है क्योंकि गाँव में हरे-भरे पेड़ और हरी-भरी फ़सलें हैं जिससे वहाँ चारों ओर हरियाली ही हरियाली नज़र आती है। मरकत या पन्ना भी हरे रंग का रत्न होता है जो चमकीला होता है। गाँव की हरियाली पर सूर्य की धूप पड़ने से वह चमक उठती है, जिससे हरा-भरा गाँव मरकत-सा प्रतीत होता है।
प्रश्न 4:
अरहर और सनई के खेत कवि को कैसे दिखाई देते हैं? [CBSE]
उत्तर:
अरहर और सनई में फलियाँ आने पर जब हवा चलती है उन फलियों से हल्की-हल्की आवाज़ आती है। इसे सुनकर कवि को लगता है कि धरती ने अपनी कमर पर करधनी बाँध रखी हो। उस करधनी में लगे हुँघरुओं से यह आवाज़ आ रही है। सनई और अरहर के पेड़ उसे धरती की कमर में बँधे किंकिणियों जैसे लगते हैं।
प्रश्न 5.
भाव स्पष्ट कीजिए
- बालू के साँपों से अंकित गंगा की सतरंगी रेती
- हँसमुख हरियाली हिम-आतप सुख से अलसाए-से सोए।
उत्तर:
- गंगा के दोनों किनारों पर फैली चमकती रेत पर पानी की लहरों से जो टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएँ बनी हैं, उन्हें देखकर लगता है कि ये रेखाएँ रेत पर साँपों के चलने से बनी हैं।
- हरियाली पर पड़ी धूप के कारण ऐसा लग रहा है जैसे हँसती हुई हरियाली और सरदी की धूप आलस्य से भरकर सुखपूर्वक सोए हुए हैं।
प्रश्न 6.
निम्न पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
तिनकों के हरे हरे तन पर हिल हरित रुधिर हो रहा झलक
उत्तर:
अलंकार –
- अनुपास अलंकार-‘ह’ और ‘र’ वर्ण की पुनरावृत्ति के कारण।
- हरे-हरे–पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार।
- हरित-रुधिर-रक्त, हरे रंग का। विरोधाभास अलंकार।
- तिनकों के तन पर-रूपक और मानवीकरण अलंकार।
प्रश्न 7.
इस कविता में जिस गाँव का चित्रण हुआ है वह भारत के किस भू-भाग पर स्थित है?
उत्तर:
इस कविता में जिस गाँव का चित्रण हुआ है वह गंगा-यमुना के मैदानी भाग में फैले किसी गाँव का हो सकता है। रचना और अभिव्यक्ति
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 8.
भाव और भाषा की दृष्टि से आपको यह कविता कैसी लगी? उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
भाव – कविता में गाँव के प्राकृतिक सौंदर्य एवं समृधि का सुंदर चित्रण है। कविता में कवि का प्रकृति प्रेम स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। कवि ने फसलों-मटर, सेम, सरसों, तीसी; सब्ज़ियों-गाजर, मूली, लौकी, टमाटर आदि; फलों-आम, जामुन, कटहल, अमरूद, आँवला; पक्षियों-कोयल, मगरौठी, सुरखाव, बगुले आदि के अलावा ढाक, पीपल के पत्तों का गिरना आदि का सूक्ष्म चित्रण किया है।
भाषा – कवि ने तत्सम शब्दों की बहुलता वाली परिनिष्ठित खड़ी बोली का प्रयोग किया है। भाषा सरल, मधुर तथा प्रवाहमयी है, जिसमें उपमा, रूपक, अनुप्रास, पुनरुक्तिप्रकाश, उत्प्रेक्षा, मानवीकरण आदि अलंकारों का प्रयोग है।