प्रश्न 1.बाढ़ की खबर सुनकर लोग किस तरह की तैयारी करने लगे? [Imp.]
उत्तर:बाढ़ की खबर सुनकर लोग परेशान हो उठे। वे नीचे का सामान ऊपरी मंजिलों में पहुँचाने लगे। रिक्शा, टमटम, ट्रक टैंपो आदि में सामान लादकर अन्यत्र जाने की तैयारी करने लगे। इसके अलावा कुछ लोग घर में ईंधन, मोमबत्ती दियासलाई, पीने का पानी जैसी आवश्यक चीजें एकत्र करने लगे।
प्रश्न 2.बाढ़ की सही जानकारी लेने और बाढ़ का रूप देखने के लिए लेखक क्यों उत्सुक था?
उत्तर:लेखक उस क्षेत्र का रहने वाला था, जिसके आसपास अकसर बाढ़ आया करती थी। उसने बाढ़ देख रखा था, फिर भी 1967 में पटना में जो बाढ़ आई वह लेखक को असल जीवन में बाढ़ का अनुभव करा गई। उस साल पटना में लगातार अठारह घंटे वर्षा होती रही। उस बाढ़ की सही जानकारी लेने और बाढ़ का रूप देखने की उत्सुकता के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-
- यूँ तो लेखक ने दस वर्ष की आयु से बाढ़-पीड़ित क्षेत्रों में कार्य किया था, किंतु बाढ़ को भोगने का उसका अनुभव नहीं था। वह स्वयं देखना चाहता था कि बाढ़ आने पर क्या-क्या परेशानियाँ झेलनी पड़ सकती हैं।
- तेज गति से निचले स्थानों को आप्लावित करके आगे बढ़ता पानी देख लोगों के चेहरे पर कैसे-कैसे भाव आते हैं, उन्हें किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है? इन्हें लेखक प्रत्यक्ष रूप से देखना चाहता था।
- लेखक के मन में यह इच्छा भी रही होगी कि बाढ़ में फंसे लोगों के प्रति स्वयं-सेवकों, राहतकर्मियों द्वारा अपने कर्तव्य का निर्वहन किस प्रकार किया जाती है तथा दूसरों को विपत्ति में देख कुछ लोगों का व्यवहार कैसा रहता है? यह भी देखा जाए।
प्रश्न 3.सबकी जुबान पर एक ही जिज्ञासा-‘पानी कहाँ तक आ गया है?’-इस कथन से जनसमूह की कौन-सी भावनाएँ व्यक्त होती हैं?
उत्तर:‘पानी कहाँ तक आ गया है?’ इस कथन से जनसमूह की जिज्ञासा, उत्सुकता, भय, निडरता आदि की भावनाएँ व्यक्त हुई हैं। इन्हीं भावनाओं के कारण वे बाढ़ के पानी की स्थिति को जानने के लिए अधीर थे।
प्रश्न 4.‘मृत्यु का तरल दूत’ किसे कहा गया है और क्यों? [Imp.] [CBSE]
उत्तर:‘इस जल प्रलय में” नामक पाठ के अंतर्गत ‘मृत्यु का तरल दूत’ बाढ़ के उस पानी को कहा गया है, जो ऊँचे-नीचे स्थानों को डुबोता हुआ, लोगों को भयभीत करता हुआ मृत्यु का संदेश लेकर आता है। इसे ‘मृत्यु का तरल दूत’ कहने का कारण यह है कि बाढ़ के कारण निचले स्थानों की फसलें, जानवर आदि सभी कुछ जलमग्न हो जाते हैं। कच्चे मकान धराशायी हो जाते हैं। न जाने कितने लोग बाढ़ में फंसकर अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। बाढ़ के कारण कई बार बिजली के खंभे गिर जाते हैं। इनमें प्रवाहित होने वाला करंट पानी में भी प्रवाहित होने से जल-जीव मृत्यु के शिकार बन जाते हैं।
प्रश्न 5.आपदाओं से निपटने के लिए अपनी तरफ़ से कुछ सुझाव दीजिए।अथवा
बाढ़ की खबर सुनकर आपदा के समय हमें क्या करना चाहिए? [CBSE]
उत्तर:बाढ़ जैसी आपदाओं से बचने के लिए मैं कुछ सुझाव देना चाहूँगा-
- नाले-नालियों की प्रतिवर्ष समुचित सफ़ाई की जानी चाहिए।
- नालों में पॉलीथीन की थैलियाँ आदि बहकर नहीं जाने देना चाहिए।
- नदी-नालों के किनारों पर तटबंध बनाना चाहिए ताकि उनकी जलधारण क्षमता बढ़ जाए और पानी बाहर न आने पाए।
- शहरी क्षेत्रों में जलसंचयन का प्रबंधन करना चाहिए।
- लोगों को आपदा प्रबंधन की जानकारी दी जानी चाहिए।
प्रश्न 6.‘ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए अब बूझो!’-इस कथन द्वारा लोगों की किसे मानसिकता पर चोट की गई है?
उत्तर:पटना में बाढ़ का पानी भरता जा रहा था तभी बाढ़ देखने की उत्सुक भीड़ में से एक युवक ने कहा कि यहाँ तो सब तमाशा देखने आ गए हैं किंतु जब दानापुर डूब रहा था पटनिया बाबू लोग उसे देखने भी नहीं आए थे। इस कथन के माध्यम से पटना के लोगों की स्वार्थपरता, संकुचित मानसिकता, संवेदनहीनता, आत्म-केंद्रियता पर चोट की गई है। दानापुर जब डूब रहा था तब पटना के लोगों ने वहाँ के लोगों की सहायता नहीं की थी।
प्रश्न 7.खरीद-बिक्री बंद हो चुकने पर भी पान की बिक्री अचानक क्यों बढ़ गई थी? [CBSE]
उत्तर:खरीद-बिक्री बंद होने पर भी पान की बिक्री अचानक इसलिए बढ़ गई क्योंकि बाढ़ की खबर सुनकर लोगों में बेचैनी और हलचल बढ़ गई थी। यद्यपि उन्होंने सामान खरीदना बंद कर दिया था पर बाढ़ के बारे जानने के लिए अत्यंत उत्सुक थे। वे पान की दुकान के पास खड़े होकर बाढ़ के बारे में तरह-तरह की बातें कर रहे थे और पान खाए जा रहे थे। इस तरह पान वाले की बिक्री बढ़ गई थी।
प्रश्न 8.
जब लेखक को यह अहसास हुआ कि उसके इलाके में भी पानी घुसने की संभावना है तो उसने क्या-क्या प्रबंध किए? [Imp.] [CBSE]
उत्तर:
लेखक को जब अहसास हुआ कि बाढ़ का बढ़ता पानी उसके इलाके में भी घुस सकता है तो वह चिंतित हो उठा। उसने मोमबत्ती, दियासलाई, सिगरेट, पीने का पानी और कॉपोज की गोलियाँ आदि की व्यवस्था की। उसने राजेंद्र नगर चौराहे पर ‘मैगज़ीन कॉर्नर’ की सीढ़ियों पर बिछी पत्र-पत्रिकाओं में से कई हिंदी-बाँग्ला और अंग्रेजी की सिने पत्रिकाएँ खरीद लिया। उसका सोचना था कि इन पत्रिकाओं को पढ़ते हुए हफ्ते भर का समय आराम से बिताया जा सकता है।
प्रश्न 9.बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में कौन-कौन सी बीमारियों के फैलने की आशंका रहती है?
उत्तर:बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में जिन बीमारियों के फैलने की आशंका रहती है उनमें पकाही घाव, हैजा, आंत्रशोथ, मलेरिया जैसी बीमारियाँ प्रमुख हैं।
प्रश्न 10.नौजवान के पानी में उतरते ही कुत्ता भी पानी में कूद गया। दोनों ने किन भावनाओं के वशीभूत होकर ऐसा किया? [Imp.]
उत्तर:बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में बीमार व्यक्तियों को कैंप में ले जाया जा रहा था। एक बीमार नौजवान के साथ उसका कुत्ता भी नाव पर चढ़ आया। डॉक्टर साहब भयभीत हो चिल्लाने लगे। बीमार नौजवान पानी में उतर गया। उसके उतरते ही कुत्ता भी पानी में उतर गया। युवक के पानी में उतरने का कारण यह था कि वह नौजवान कुत्ते से अपनापन तथा भावनात्मक लगाव रखता था। वह कुत्ते को अपने परिवार के सदस्य की तरह मानता था। वह अपने परिवार के इस सदस्य को कैसे छोड़कर जा सकता था? यही स्थिति कुत्ते की भी थी। उसने देखा कि जब उसका मालिक नाव से उतर गया है तो वह कैसे नाव में बैठा रहे। अपने मालिक को बाढ़ में छोड़कर वह अकेले कैंप में कैसे जाए, इसी भावना के अधीन हो कुत्ता भी नाव से उतर गया।
प्रश्न 11.‘अच्छा है, कुछ भी नहीं। कलम थी, वह भी चोरी चली गई। अच्छा है, कुछ भी नहीं-मेरे पास।’-मूवी कैमरा, टेप रिकॉर्डर आदि की तीव्र उत्कंठा होते हुए भी लेखक ने अंत में उपर्युक्त कथन क्यों कहा?अथवा
लेखक के पास कलम, मूवी कैमरा और टेपरिकार्डर आदि का न होना सुखद एहसास भी था-क्यों?
उत्तर:
लेखक के मन में मूवी कैमरा, टेपरिकार्डर आदि की तीव्र उत्कंठी थी कि ये सब उसके पास होता तो वह बाढ़ग्रस्त लोगों की तसवीरें खींचता और पानी के कल-कल के अलावा लोगों की चीख-पुकार को टेप कर लेता, पर ऐसा करने के लिए पानी के अत्यंत निकट जाना पड़ता जिसके लिए लेखक में इतना साहस न था। इसके अलावा इस तरह के दृश्य और आवाजें किसी सैलानी या संवेदनहीन व्यक्ति को आनंदित कर सकते थे, किसी संवेदनशील को नहीं। लेखक संवेदनशील व्यक्ति था, इसलिए लेखक ने अंत में उक्त कथन कहा।
प्रश्न 12.आपने भी देखा होगा कि मीडिया द्वारा प्रस्तुत की गई घटनाएँ कई बार समस्याएँ बन जाती हैं, ऐसी किसी घटना का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:मीडिया द्वारा प्रस्तुत की गई घटनाएँ समस्याएँ बन जाती हैं। इसका ताजा उदाहरण-सन् 2010 के सितंबर महीने में जब दिल्ली में कई दिनों तक रुक-रुककर वर्षा होती रही तथा इन्हीं दिनों में हरियाणा सरकार द्वारा ताजेवाला के हथिनी कुंड बैराज से लाखों क्यूसेक पानी एक साथ छोड़ दिया तो यमुना उफान पर आ गई। दिल्ली में निचली कॉलोनियों तथा निचले स्थानों पर वर्षा का प्रानी जमा हो गया।
पानी नाले से बहकर यमुना में न जा सका। इस ठहरे हुए पानी को कई समाचार चैनल विभिन्न कोणों से बार-बार दिखा रहे थे, और उद्घोषणा कर रहे थे-देखिए ये लोग कैसे पानी में डूब रहे हैं। इसके अलावा यमुना में बढ़ते पानी को यूँ दिखा रहे थे, मानो पूरी दिल्ली ही डूब जाएगी। इससे लोगों में अनायास भय का वातावरण बन गया था। हैरान-परेशान जनमानस अफरा-तफरी में पड़ गया था।
प्रश्न 13.अपनी देखी-सुनी किसी आपदा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:कुछ साल पहले हम सबने सपरिवार उत्तराखंड भ्रमण का आनंद उठाने का निश्चय किया। जून के दिन थे। हम परिवार के सदस्य अपनी कार से दिल्ली से कार द्वारा देहरादून के लिए निकल पड़े। हमने पहले हरिद्वार, फिर देहरादून और फिर अन्य स्थलों को देखने के लिए दस दिनों का कार्यक्रम बनाया था। दुर्भाग्य से हरिद्वार देहरादून जाते ही बरसात शुरू हो गई। पता चला कि बदरीनाथ, केदारनाथ आदि तो बाढ़ में फँसे हैं।सड़कें टूटने से आना-जाना बंद हो गया है। केदारनाथ का मंदिर तक क्षतिग्रस्त हो गया है। अखबारों में गाँव के गाँव बहने और लोगों के मरने की खबर पढ़कर मनभर आया। बाढ़ के दृश्य संबंधी चित्र इन स्थानों की दुर्दशा की कहानी कह रहे थे। कई स्थानों पर यातायात सुचारू होने में महीनों लग गए। अब हम आगे जाने का विचार छोड़ चुके थे और मौसम ठीक होने के दो दिन बाद दिल्ली वापस आ गए।