अध्यापिका – सुप्रभात।
छात्राएँ – सुप्रभात, सुप्रभात।
अध्यापिका – अच्छा, आज क्या पढ़ना है?
छात्राएँ – हम सभी अपने देश के राज्यों के विषय में जानना चाहती हैं।
अध्यापिका – सुन्दर। बोलो। हमारे देश में कितने राज्य हैं?
सायरा – महोदया, चौबीस।
सिल्वी – नहीं, नहीं। महाभागा! पच्चीस राज्य हैं।
अध्यापिका – कोई अन्य भी …………।
स्वरा – (बीच में ही) महोदया, मेरी बहन कहती है कि हमारे देश में अट्ठाईस राज्य हैं। इसके अतिरिक्त सात केन्द्रशासित प्रदेश भी हैं।

अध्यापिका –तुम्हारी बहन अच्छी प्रकार जानती है। ठीक है, क्या तुम जानते हो कि इन राज्यों में सात राज्यों का एक समूह है, जो ‘सात बहनें’ इस नाम से प्रसिद्ध है। सभी (आश्चर्यपूर्वक एक-दूसरे को देखते हुए) सात बहनें? सात बहनें?
निकोलस – ये राज्य ‘सात बहनें’ इस नाम से किस प्रकार कहे जाते हैं?

अध्यापिका – यह प्रयोग सांकेतिक है। संभवतः सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण की समानता के कारण ये उक्त उपाधि (अर्थात् विशेषण) के द्वारा प्रसिद्ध हो गए हों।
समीक्षा – मेरी जिज्ञासा शान्त नहीं हो रही है। सुनाइए, वे कौन-से राज्य हैं?

अध्यापिका – सुनो,
‘अ’ वर्ण से प्रारम्भ होने वाले (अरुणाचल और असम) दो, ‘म’ वर्ण से प्रारम्भ होने वाले (यथा मणिपुर, मिजोरम और मेघालय) तीन, तथा ‘न’ वर्ण और ‘त्रि’ से प्रारम्भ होने वाले (यथा-नगालैण्ड और त्रिपुरा) दो-यह सात राज्यों का समूह ‘भगिनी सप्तक’ के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार ‘भगिनी सप्तक’ में ये राज्य हैं-अरुणाचलप्रदेश, असम, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, नगालैण्ड और त्रिपुरा। यद्यपि क्षेत्रफल की दृष्टि से ये (राज्य) छोटे हैं, फिर भी गुण और गौरव की दृष्टि से बड़े प्रतीत होते हैं।
सभी – कैसे? कैसे?

अध्यापिका – ये सात बहनें अपने प्राचीन इतिहास में प्रायः स्वाधीन ही दृष्टिगोचर होती हैं। किसी भी शासक ने इन्हें अपने अधीन नहीं किया। अनेक संस्कृतियों से विशिष्ट भारतभूमि में इन बहनों की संस्कृति महत्त्वपूर्ण है।
तन्वी – सबसे पहले इस शब्द का प्रयोग कब हुआ?
अध्यापिका – सुनने में मधुर लगने वाला यह शब्द गत शती के बहत्तरवें साल में (1972 ई.) त्रिपुरा राज्य के उद्घाटन
क्रम में किसी के द्वारा प्रयोग किया गया। इस समय ही इन राज्यों का पुनः गठन किया गया।

स्वरा – इनकी दूसरी भी कोई विशेषता है।
अध्यापिका – अवश्य ही है। पर्वत, वृक्ष तथा पुष्प आदि प्राकृतिक सम्पदाओं के द्वारा ये राज्य समृद्ध हैं। भारत रूपी वृक्ष पर ये (राज्य) फूलों के गुच्छों के समान विराजमान हैं।
राजीव – आप! जिस प्रकार घर में बहन सबसे अधिक रमणीय और सुन्दर होती है, उसी प्रकार भारत रूपी घर में ये सात बहनें सबसे अधिक सुन्दर हैं।

अध्यापिका – तुम्हारे मन में आई हुई यह भावना परमकल्याणमयी है, परन्तु सभी ऐसा नहीं सोचते हैं। ठीक है, इनके विषय में कुछ विशेषता भी कहनी चाहिए। सावधान मन से सुनो यह जनजाति बहुल प्रदेश है। गारो, खासी, नगा तथा मिजो आदि अनेक जनजातियाँ यहाँ निवास करती हैं। शरीर से ऊर्जा से भरे हुए इन प्रदेशों के निवासी अनेक भाषाओं से युक्त त्योहारों की परम्पराओं से पूर्ण अपनी क्रियाओं और कलाओं में प्रवीण होते हैं।

मालती – महोदया! वहाँ तो बाँस के वृक्ष भी प्राप्त होते हैं?

अध्यापिका – हाँ। इस प्रदेश में हस्तशिल्पों की अधिकता है। वस्त्र व आभूषणों से लेकर घरों के निर्माण तक प्रायः बाँस के वृक्षों से निर्मित वस्तुओं का उपयोग किया जाता है। क्योंकि यहाँ बाँस के वृक्षों की अधिकता है। अब यह बाँसों का उद्योग (व्यवसाय) अन्तर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि को प्राप्त हो गया है।
अभिनव – यह भगिनीप्रदेश अत्यधिक आकर्षक ज्ञात होता है।
सलीम – क्या भ्रमण के लिए यह भगिनीप्रदेश उचित है?
सभी छात्र – (जोर से) महोदया! आने वाले अवकाश में हम वहाँ ही जाना चाहते हैं।
स्वरा – आप भी हमारे साथ चलें।
अध्यापिका – मुझे यह विचार अच्छा लगता है। ये राज्य भ्रमण के लिए स्वर्ग के समान हैं।
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