आज सारे संसार में ‘डिजिटल इण्डिया’ की चर्चा सुनी जाती है। ‘इस शब्द का भाव क्या है’-ऐसी जानने की इच्छा उत्पन्न होती है। काल के परिवर्तन के साथ मानव की आवश्यकता भी परिवर्तित होती है। पुराने समय में ज्ञान का आदान-प्रदान वाणी के द्वारा होता था तथा विद्या श्रवण परम्परा से गृहीत की जाती थी। तत्पश्चात् तालपत्र के ऊपर तथा भोजपत्र पर लेखन कार्य आरम्भ हुआ। परिवर्तन के काल में कागज का तथा लेखनी के आविष्कार से सभी के मन में स्थित भावों का कागज के ऊपर लेखन प्रारम्भ हुआ। छपाई के यन्त्र के आविष्कार के द्वारा लिखित सामग्री छापी जाकर बहुत समय तक सुरक्षित हो गई।
वैज्ञानिक तकनीक विधि की प्रगतियात्रा पुनः आगे चलती रही। आज सभी कार्य कम्प्यूटर नामक यन्त्र के द्वारा सिद्ध होते हैं। समाचारपत्र तथा पुस्तकें कम्प्यूटर के माध्यम से पढ़ी जाती हैं तथा लिखी जाती हैं। कागज के उद्योग में वृक्षों का उपयोग होने से वृक्ष काटे जाते थे, परन्तु कम्प्यूटर के अधिकाधिक प्रयोग से वृक्षों के काटने में कमी होगी-यह विश्वास है। इससे पर्यावरण की सुरक्षा की दिशा में महान् उपकार होगा।
अब बाजार में वस्तुओं को खरीदने के लिए रुपयों की अनिवार्यता नहीं है। डेबिट कार्ड तथा क्रेडिट कार्ड इत्यादि ने सभी स्थानों पर रुपयों का स्थान ले लिया है। बैंक के सभी कार्य कम्प्यूटर यन्त्र के द्वारा सम्पन्न किए जाते हैं। अनेक प्रकार के अनुप्रयोग मुद्रारहित लेन-देन के लिए सहायक हैं।
कहीं भी यात्रा करनी हो, रेल टिकट तथा हवाई जहाज टिकट की आज अनिवार्यता नहीं है। सभी पत्र हमारे मोबाइल फोन में ‘ई-मेल’ स्थान पर सुरक्षित होते हैं, जिन्हें दिखलाकर हम सुगमता से यात्रा के आनन्द को ग्रहण करते हैं। अस्पताल में भी इलाज के लिए रुपयों की आवश्यकता अनुभव नहीं की जाती है। सभी स्थानों पर कार्ड के माध्यम से तथा ई-बैंक के माध्यम से फीस दी जा सकती है।
वह दिन दूर नहीं है, जब हम हाथ में एकमात्र मोबाइलफोन लेकर सभी कार्य सिद्ध करने में समर्थ होंगे। जेब में रुपयों की आवश्यकता नहीं होगी। पासबुक तथा चैकबुक-इनकी आवश्यकता नहीं होगी। पढ़ने के लिए पुस्तकों की तथा समाचारपत्रों की अनिवार्यता लगभग समाप्त हो जाएगी। लिखने के लिए अभ्यासपुस्तिका की अथवा कागज की, नवीन ज्ञान के खोजने के लिए डिक्शनरी की भी आवश्यकता नहीं होगी।
अनजान मार्ग के ज्ञान के लिए मार्गदर्शक मैप की आवश्यकता की अनुभूति भी नहीं होगी। यह सब एक ही यन्त्र के द्वारा किया जा सकता है। सब्जी आदि खरीदने के लिए, फल खरीदने के लिए, विश्रामगृह में कमरा सुनिश्चित करने के लिए, अस्पताल में फीस देने के लिए तथा स्कूल या कालेज में भी फीस देने के लिए, अधिक क्या कहें, दान देने के लिए भी मोबाइल फोन ही पर्याप्त है। ‘डिजिटलभारत’ इस दिशा में हम भारतीय तीव्रगति से आगे बढ़ रहे हैं।