(क) उदिते सूर्ये धरणी विहसति।
पक्षी कूजति कमलं विकसति॥1॥
सरलार्थ :
सूर्य के उगने पर (निकलने पर) पृथ्वी हँस रही है, पक्षी चहचहा रहा है, कमल खिल रहा है।
(ख) नदति मन्दिरे उच्चैढक्का।
सरितः सलिले सेलति नौका॥2॥
सरलार्थ :
मन्दिर में नगाड़ा ज़ोर से आवाज़ कर रहा है। नदी के जल में नाव डगमगा रही है।
(ग) पुष्पे पुष्पे नानारङ्गाः।
तेषु डयन्ते चित्रपतङ्गाः॥3॥
सरलार्थ :
विभिन्न फूलों पर विभिन्न रंग हैं। उन पर रंगबिरंगी तितलियाँ उड़ती हैं।
(घ) वृक्षे वृक्षे नूतनपत्रम्।
विविधैर्वर्णैर्विभाति चित्रम्॥4॥
सरलार्थ :
प्रत्येक पेड़ पर नए-नए पत्ते हैं। विभिन्न रंगों से चित्र (दृश्य) सुशोभित होता है।
(ङ) धेनुः प्रातर्यच्छति दुग्धम्।
शुद्धं स्वच्छं मधुरं स्निग्धम्॥5॥
सरलार्थ :
गाय सुबह शुद्ध, साफ़, मीठा (और) चिकना दूध देती है।
(च) गहने विपिने व्याघ्रो गर्जति।
उच्चस्तत्र च सिंहः नर्दति॥6॥
सरलार्थ :
घने जंगल में बाघ गरजता है और वहाँ शेर ज़ोर से दहाड़ता है।
(छ) हरिणोऽयं खादति नवघासम्।
सर्वत्र च पश्यति सविलासम्॥7॥
सरलार्थ :
यह हिरण नई घास खाता है और सब स्थानों पर प्रसन्नता से देखता है।
(ज) उष्ट्रः तुङ्गः मन्दं गच्छति।
पृष्ठे प्रचुरं भारं निवहति ॥8॥
सरलार्थ :
ऊँचा ऊँट धीरे-धीरे चलता है। पीठ पर बहुत अधिक भार (बोझ) ढोता (ले जाता) है।
(झ) घोटकराजः क्षिप्रं धावति।
धावनसमये किमपि न खादति॥9॥
सरलार्थः
घोड़ा तेज़ी से दौड़ता है। दौड़ते समय कुछ भी नहीं खाता है।
(ञ) पश्यत भल्लुकमिमं करालम्।
नृत्यति थथथै कुरु करतालम्॥10॥
सरलार्थ :
इस भयानक भालू को देखो। ताली बजाओ, (यह) थाथैया नाचता है।