समाज में महिलाओं का योगदान

वैदिक काल में, भारत में महिलाओं का बहुत सम्मानपूर्ण स्थान था। वे देवियों की तरह पूजी जाती थीं। किंतु, बाद में समय ऐसा आयाजब चीजें बदल गईं। हमारा समाज पुरुष–प्रधान बन गया। महिलाओं को उतना सम्मान नहीं दिया जाता था, जिसकी वे पात्रा थीं। उन्हेंबहुतसी जिम्मेदारियाँ दी जाती थीं किंतु सम्मान बिलकुल नहीं। उन्हें स्वतंत्र […]

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चित्र कहानी लेखन ( Picture Story Writing)

कहानी लेखन एक ऐसी विधा है जो हिंदी तथा अंग्रेजी साहित्य को एक अलग पैमाने पर खड़ा करती है। कहानी पढ़ना और सुनना जितना आसान होता है, कहानी लिखना उतना ही कठिन होता है, क्योंकि कहानी एक काल्पनिक घटना होती है, जिसे वास्तविक घटना में परिवर्तित करना होता है, तथा परिवर्तन के समय सभी प्रकार

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अनुच्छेद-लेखन (Paragraph Writing)

‘अनुच्छेद’ शब्द अंग्रेजी भाषा के ‘Paragraph’ शब्द का हिंदी पर्याय है। अनुच्छेद ‘निबंध’ का संक्षिप्त रूप होता है। इसमें किसी विषय के किसी एक पक्ष पर सीमित शब्दों में अपने विचार व्यक्त किए जाते हैं।अनुच्छेद में हर वाक्य मूल विषय से जुड़ा रहता है। अनावश्यक विस्तार के लिए उसमें कोई स्थान नहीं होता। अनुच्छेद में

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संवाद लेखन

परिभाषा संवाद – ‘वाद’ मूल शब्द में ‘सम्’ उपसर्ग लगाने से ‘संवाद’ शब्द बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘बातचीत’ है। इसे वार्तालाप भी कहा जाता है। सामान्य रूप से दो लोगों के बीच होने वाली बातचीत को संवाद कहा जाता है। दो लोगों में हुई बातचीत को लिखना संवाद-लेखन कहलाता है। संवाद की विशेषता-संवाद में

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श्लेष अलंकार

श्लेष अलंकार की परिभाषा श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ।  जब एक ही शब्द से हमें विभिन्न अर्थ मिलते हों तो उस समय श्लेष अलंकार होता है। यानी जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है लेकिन उससे अर्थ कई निकलते हैं तो वह श्लेष अलंकार कहलाता है।

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यमक अलंकार

यमक अलंकार की परिभाषा जिस काव्य में समान शब्द के अलग-अलग अर्थों में आवृत्ति हो, वहाँ यमक अलंकार होता है। यानी जहाँ एक ही शब्द जितनी बार आए उतने ही अलग-अलग अर्थ दे। जैसे– कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय। या खाए बौरात नर या पाए बौराय।। इस पद्य में ‘कनक’ शब्द का प्रयोग दो

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बिहारी (हिन्दी की बोलियाँ)

बिहारी हिंदी का विकास मागधी अपभ्रंश से हुआ है। जिसे दो भागों– पूर्वी बिहारी और पश्चिमी बिहारी में विभाजित किया जा सकता है। पूर्वी बिहारी की दो बोलियाँ हैं- मगही और मैथिली। पश्चिमी बिहारी के अंतर्गत भोजपुरी बोली आती है। जार्ज ग्रियर्सन ने मगही को मैथिली की एक बोली मानते हैं। वहीं सुनीति कुमार चटर्जी भोजपुरी

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संज्ञा परिभाषा, भेद एवं उदाहरण

संज्ञा  किसी जाति, द्रव्य, गुण, भाव, व्यक्ति, स्थान और क्रिया आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं। जैसे – पशु (जाति), सुन्दरता (गुण), व्यथा (भाव), मोहन (व्यक्ति), दिल्ली (स्थान), मारना (क्रिया)। यह पाँच प्रकार की होती है — 1. व्यक्तिवाचक संज्ञा 2. जातिवाचक संज्ञा 3. समूहवाचक संज्ञा 4. द्रव्यवाचक संज्ञा 5. भाववाचक संज्ञा    

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अविकारी शब्द

  अव्यय या अविकारी शब्द किसे कहते हैं? जो शब्द लिंग, वचन, कारक, पुरूष और काल के कारण नहीं बदलते, वे अव्यय या अविकारी शब्द कहलाते हैं. अविकारी शब्द के भेद- 1.क्रिया विशेषण 2.सम्बन्ध बोधक 3.समुच्चय बोधक 4.विस्मयादि बोधक क्रियाविशेषण: वे शब्द जो क्रिया की विशेषता को प्रकट करते हैं. उन्हें क्रिया-विशेषण कहते हैं |

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संधि, परिभाषा, भेद, विग्रह

संधि (Sandhi)- संधि की परिभाषा, भेद और उदाहरण संधि – संधि की परिभाषा, भेद और उदाहरण संधि परिभाषा दो समीपवर्ती वर्णों के मेल से जो परिवर्तन होता है वह सन्धि कहलाता है। सन्धि में पहले शब्द के अंतिम वर्ण और शुरुआती पहले वर्ण का मेल होता है। जैसे- हिम+ आलय= हिमालय सन्धि के तीन भेद

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