आषाढ़ का एक दिन

मुख्य बिंदु  आषाढ़ का एक दिन नाटक 1958 में प्रकाशित हुआ था। मोहन राकेश की यह प्रथम और सर्वाधिक महत्वपूर्ण नाटक है। सन् 1959 में इस नाटक को सर्वश्रेष्ठ नाटक होने का संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिला था। 1971 में ‘मणिकौल’ के निर्देशन में इसपर ‘अषाढ़ का एक दिन’ फिल्म भी बनी जिसे सर्वश्रेष्ठ फिल्म […]

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अमीर खुसरो की पहेलियाँ और मुकरियाँ (UGC NET इकाई-5)

अमीर खुसरो प्रथम मुस्लिम कवि थे जिन्होंने हिन्दी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया है। वे  पहले व्यक्ति थे जिन्होंने हिंदी, हिन्दवी और फारसी में एक साथ लिखा।उन्हे खड़ी बोली के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है। वे अपनी पहेलियों और मुकरियों के लिए जाने जाते हैं। सबसे पहले खुसरो ने अपनी भाषा के लिए ‘हिन्दवी’ का उल्लेख

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महाभोज’ (नाटक) मन्नू भंडारी

संक्षिप्त परिचय मन्नू भंडारी को साहित्य जगत में आपका बंटी उपन्यास से प्रसिद्धी मिली । महाभोज नाटक सबसे पहले उपन्यास के रूप में 1979 में प्रकाशित हुआ था। यह नाटक राजनिति पर आधारित यथार्थपरक है। इसी उपन्यास को नाटक के रूप में 1983 में प्रकाशित किया गया। इसका पहला मंचन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दिल्ली के

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स्कंदगुप्त (नाटक) जयशंकर प्रसाद

पृष्ठभूमि जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित ‘स्कन्दगुप्त’ नाटक 1928 में प्रकाशित एक ऐतिहासिक नाटक है। स्कंदगुप्त नाटक में गुप्तवंश के सन् 455 से लेकर सन् 466 तक के 11 वर्षों का वर्णन है। इस नाटक में लेखक ने गुप्त कालीन संस्कृति, इतिहास, राजनीति संधर्ष, पारिवारिक कलह एवं षडयंत्रों का वर्णन किया है। स्कंदगुप्त हूणों के आक्रमण (455

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जयशंकर प्रसाद

माखनलाल चतुर्वेदी के शब्दों में– “कविता प्रसाद का प्यार है, उनका गद्य उनका कर्तव्य है।” संक्षिप्त परिचय- नाम जयशंकर प्रसाद जन्म सन 1890 ईस्वी में जन्म स्थान उत्तर प्रदेश राज्य के काशी में पिता का नाम श्री देवी प्रसाद शैक्षणिक योग्यता अंग्रेजी, फारसी, उर्दू, हिंदी व संस्कृत का स्वाध्याय रुचि साहित्य के प्रति, काव्य रचना,

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रामधारी सिंह ‘दिनकर’ (उर्वशी- तृतीय अंक)

उर्वशी रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा रचित एक काव्य नाटक है। यह 1961 ई० में प्रकाशित हुआ था। इस काव्य में दिनकर ने उर्वशी और पुरुरवा के प्राचीन आख्यान को एक नये अर्थ से जोड़ना चाहा है। इसके लिए 1972 ई० में उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला था।इस कृति में पुरुरवा और उर्वशी दोनों अलग-अलग तरह की प्यास लेकर आये हैं। पुरुरवा धरती पुत्र है और उर्वशी देवलोक से

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विद्यापति की पदावली (पद संख्या 1-25 तक )

पद संख्या: 1   नन्दक नन्दन कदम्बक तरु-तर धीरे-धीरे मुरली बजाव। समय संकेत निकेतन बइसल, बेरि बेरि बोली पठाब।। सामरि तोरा लागि, अनुखन विकल मुरारि।। जमुनाक तिर उपवन उद्वेगल, फिरि फिरि ततहि निहारि। गोरस बेचत अवइत जाइत, जनि जनि पुछ बनमारि तो हे मतिमान, सुमति! मधुसुदन बचन सुनह किछु मोरा भनइ विद्यापति सुन वरजौरित वन्दह

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रिपोर्ताज (Riportaj)

रिपोर्ताज (Riportaj) रिपोर्ताज फ्रांसीसी भाषा का शब्द है और अंग्रेजी शब्द ‘रिपोर्ट’ से मिलता-जुलता है। लेकिन ‘Report’ समाचार पत्रों के संवाददाता लिखते हैं, जो तथ्यों का संकलन मात्र होता है, क्योंकि उसका लक्ष्य पाठकों को तथ्यों से परिचित कराना होता है। वास्तविक घटना को ज्यों का त्यों प्रस्तुत कर देना रिपोर्ट है अर्थात ‘रिपोर्ट’ सूचनात्मक

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यमक अलंकार

यमक अलंकार की परिभाषा जिस काव्य में समान शब्द के अलग-अलग अर्थों में आवृत्ति हो, वहाँ यमक अलंकार होता है। यानी जहाँ एक ही शब्द जितनी बार आए उतने ही अलग-अलग अर्थ दे। जैसे– कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय। या खाए बौरात नर या पाए बौराय।। इस पद्य में ‘कनक’ शब्द का प्रयोग दो

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राही मासूम रज़ा

राही मासूम रज़ा (1 सितंबर, 1925-15 मार्च 1992) का जन्म गाजीपुर जिले के गंगौली गांव में हुआ था और प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा गंगा किनारे गाजीपुर शहर के एक मुहल्ले में हुई थी। राही की प्रारम्भिक शिक्षा ग़ाज़ीपुर में हुई, बचपन में पैर में पोलियो हो जाने के कारण उनकी पढ़ाई कुछ सालों के लिए छूट गयी,

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