कफ़न

कफ़न प्रेमचंद द्वारा रचित एक उत्कृष्ट और अंतिम कहानी है जो अप्रैल 1936 ई० में चाँद नाम की पत्रिका में प्रकाशित हुई थी।मूल रूप से ये उर्दू में लिखी गई थी जो दिसंबर 1935 वीं में जामिया पत्रिका में प्रकाशित हुई थी।यह कहानी दलित चेतना से ओतप्रोत एक वातावरण प्रधान सामाजिक कहानी है।कहानी के मूल […]

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मुफ्त का यश

मुफ्त का यश मुन्शी प्रेमचंद द्वारा रचित है।यह अगस्त में हंस पत्रिका में प्रकाशित हुई है हुई थी।यह कहानी मनोविश्लेषणात्मक आधार पर रची गई व्यंग्यप्रधान कहानी है।कहानी का शीर्षक विषयवस्तु से संबद्ध तथा जिज्ञासावर्धक है।कहानी का नायक स्वयं लेखक हैं, जो वर्णात्मक शैली में लोगों के विचारों, भावनाओं और क्रियाकलापों की यथार्थ अभिव्यक्ति करता है।लेखक

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दूध का दाम

मुन्शी प्रेमचंद द्वारा रचित चर्चित कहानी दूध का दाम जुलाई 1934 में हंस पत्रिका में प्रकाशित हुई।यह कहानी सामाजिक वैषम्य, वर्णाश्रम भेद, जात-पात, ऊँच-नीच, छुआछूत जैसी समस्याओं पर आधारित है। यह कहानी ग्रामीण क्षेत्र में चिकित्सकीय सुविधाओं की बदहाल अवस्था को भी इंगित करती है। गांव के अस्पतालों में अच्छे डॉक्टर, नर्सों के अभाव में

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ईदगाह

प्रेमचंद द्वारा रचित ईदगाह कहानी1933 में चाँद पत्रिका में प्रकाशित हुई।ईद का कहानी बाल मनोविज्ञान की कहानी है।यह मुस्लिम समाज की पृष्ठभूमि पर आधारित है। इसमें लेखक ने मुसलमानों के सबसे बड़े और पवित्र त्योहार ईद का और ईदगाह जाने का जीवंत चित्रण किया है।कहानी का नायक नन्हा हामिद है।उसकी उम्र महज 4-5 साल की

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फेसबुक(facebook.)

फेसबुक पर आई दोस्तों की बहार है कुछ जाने पहचाने कुछ अनजाने चेहरों की बहार है कुछ से सिखने को मिलता है बहुत कुछ कुछ के पास चंद फोटो और शेयर इट का जुगाड़ है कुछ रच रहे हैं इतिहास ज्ञान के संग्रह का कुछ अकेले ही पड़े सूखे पत्तों से निराश हैं किसी ग्रुप

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हारती जिंदगियो

हारती जिंदगीयो और जीतती मौत को देखकर मन मे ऐसे कुछ विचार आ रहे हैं क्यों अतिथि अध्यापक मौत को गले लगा रहे है क्यो किसान गले मे फंदा लगा रहे है क्यो हर तरफ टूटती चूड़िया बिलखते परिवार नजर आ रहे है क्यो बेकसूर मासूम यतीम होते जा रहे है क्यों खिलते चमन रूपी

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शिक्षक (Teacher)

कुछ शिक्षक वो हैं जो इस अपनी ताकत स्कूलों मे लगा रहे है कुछ शिक्षक वो हैं जो ठाठ से मौज उड़ा रहे है कुछ शिक्षक वो हैं जो अपनी ऊर्जा मासूमों पर लुटा रहे है कुछ शिक्षक वो हैं जो सिर्फ कोरी बातो से काम चला रहे है कुछ शिक्षक वो हैं जो जी

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Facebook और Whatsapp के जमाने में

Facebook और Whatsup के जमाने में लोग लगे हैं अपनी अपनी setting बैठाने में किसी को status से किसी को posts से प्यार है कोई डूबा है शेरो शायरी मे किसी को कविताओं का खुमार है किसी को pose मारने से फुर्सत नही किसी पर selfie का चढ़ा बुखार है कोई करता रहता है गिनती

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आज का जो दौर

आज का जो दौर है लोग बिक रहे हर और हैं कहीं चीखें कहीं किलकारियां कहीं वाहनों का शोर है हर किसी को सिर्फ अपने स्वार्थ की प्रतिपूर्ति की अपेक्षा है निस्वार्थियों को टोलियाँ जा रहीं किस और हैं कहीं आते जीवन की सुबह कहीं मौत के अँधेरे का छोर है कहीं जात पात कहीं

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