हुमा-         तुम सब कहाँ जा रहे हो?
इन्द्र-         हम सब विद्यालय जा रहे हैं।
फेंकन-       वहाँ खेल मुकाबले है, हम सब खेलेंगे।
रामचरण-     क्या मुकाबले केवल लड़कों के लिए ही है?
प्रसन्ना-       नहीं, लड़कियां भी खेलेंगी।
रामचरण-     क्या तुम सब एक ही दल टीम में हो?अथवा अलग अलग टीम में?
प्रसन्ना-       वहाँ लड़कियां और लड़के मिल कर खेलेंगे।
फेकन-       हाँ, बैडमिंटन क्रीडा में मेरी सहभागी जूली है।
प्रसन्ना-       इसके अतिरिक्त कबड्डी, जूडो, क्रिकेट, फुटबॉल, वॉलीबॉल, चेस इत्यादि मुकाबले होंगे।
इंदर-        हमा !  क्या तुम नहीं खेलती हो? तुम्हारी बहन तो मेरे पक्ष में खेलती है।
हुमा-        नहीं मुझे चलचित्र (सिनेमा) अच्छा लगता है। परन्तु यहाँ मैं दर्शक के रूप में बैठूंगी।
फेकन-       अरे! पूरन कहाँ  है? क्या वह किसी भी स्पर्धा में प्रतिभागी नहीं है?
रामचरण-     वह देख नहीं सकता है।उसके लिए हमारे विद्यालय में पढ़ने की तो विशेष व्यवस्था है परंतु खेलने      
            के लिए प्रबंध नहीं है।
हुमा-         यह कैसे भी न्याय संगत नहीं है। पूरन सक्षम है, परंतु प्रबंध के अभाव में खेल नहीं सकता है।
इंदर-         हमारे ऐसे अनेक मित्र हैं।परन्तु वे भिन्न तरीके से  योग्य है। 
फेंकन-        इसलिए हम सभी प्राचार्य से मिलते हैं।उनको कहते हैं|  जल्द ही उसके लिए व्यवस्था हो जाएगी। 
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