मालिनी – (पड़ोसिनी से) हे गिरिजा! मेरा पुत्र मामा के घर गया है, किसी दूसरी महिला (औरत)
को काम के लिए जानती हो तो भेजो।।
गिरिजा – हाँ सखी! आज सुबह ही मेरी नौकरानी (सहायिका) अपनी बेटी के लिए काम हेतु पूछ
रही थी। कल सुबह ही उसके साथ बात करूँगी। (अगले दिन सुबह छह बजे ही मालिनी के घर की घंटी किसी आने वाले की सूचना देती है, मालिनी दरवाजा खोलती है कि गिरिजा की नौकरानी दर्शना के साथ एक आठ वर्ष की, लड़की खड़ी है)

दर्शना – महोदया (मैडम)! आप काम के लिए गिरिजा जी (देवी) से पूछ रही थीं कृपया मेरी बेटी को मौका देकर आप उपकार करें।

मालिनी – परंतु यह तो कम उम्र की दिखाई देती है। क्या काम करेगी यह? यह तो इसके पढ़ने और खेलने का समय है।
दर्शना – यह एक घर का सारा काम करती थी। वह परिवार इस समय विदेश चला गया है। काम की कमी के कारण मैं इसके लिए काम ढूँढ रही थी जिससे आप जैसों का काम चले और हमारे जैसों के घर को चलाने के लिए धन की व्यवस्था हो जाए।

मालिनी – परन्तु यह तो पूरी तरह से अनुचित (ठीक नहीं) है। क्या तुम नहीं जानती हो कि शिक्षा तो सभी लड़कों और सभी लड़कियों का मूलभूत (स्वाभाविक) अधिकार है।
दर्शना – देवी (मैडम)! हमारे जैसों का तो मूलभूत अधिकार केवल अपना पेट भरना ही है। इसकी व्यवस्था के लिए ही मैं सब दिन (पूरे दिन) में पाँच-छह घरों का काम करती हूँ। मेरे बीमार पति तो कुछ भी काम नहीं करते हैं। इसलिए मैं और मेरी बेटी मिलकर परिवार का भरण-पोषण (का काम) करते हैं। इस मँहगाई के समय में मूलभूत जरूरतों के लिए ही धन काफी नहीं होता है तो कैसे विद्यालय की फ़ीस, वेशभूषा , पुस्तकें आदि को खरीदने के लिए धन लाएँगे।

मालिनी अरे यह आपकी मूर्खता (नासमझी) है। क्या नहीं जानती हो कि सन् 2001 ई० वर्ष में सरकार ने सब बच्चों, सभी बच्चियों के लिए शिक्षा के मौलिक (स्वाभाविक) अधिकार की घोषणा की है। जिसके अनुसार छह वर्षों से लेकर चौदह वर्ष तक के सारे बच्चे पास के (पास स्थित) सरकारी स्कूल में जाकर न सिर्फ निशुल्क (without fee) पढ़ाई ही करेंगे बल्कि बिना फीस वर्दी (Uniform), पुस्तकें, बस्ते (Bags), जूते, दोपहर का भोजन और वज़ीफा (Scholar ship) आदि सभी कुछ पाएँगे।

दर्शना – ऐसा भी है (आश्चर्य से मालिनी को देखती है)
मालिनी – हाँ! वास्तव में यही है।
दर्शना – (कृतार्थता) (धन्यवाद) को प्रकट करती हुई) मैडम! मैं आभारी हूँ। यह बताने के लिए। मैं आज ही इसका प्रवेश पास (निकट) स्थित विद्यालय में कराऊँगी।
दर्शना की बेटी – (खुशी के साथ) मैं विद्यालय जाऊँगी। मैं भी पढ़ूँगी ! (ऐसा कहकर ताली बजाकर नाचती है और मालिनी के लिए आभार व्यक्त करती है)

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