हिंदी साहित्य के 1000 के इतिहास को किस प्रकार पढ़ा जाए इसके लिए इसे विभिन्न विद्वानों ने अलग-अलग काल खण्डों में विभाजित किया है जो इस प्रकार है-
- हिंदी साहित्य के प्रथम साहित्यकार-“गार्सादत्तासी”(फ्रेंच भाषी पुस्तक- “इस्त्वार द ला लितरेत्युर एन्दुई एन्दुस्तानी”(738 कवियों का जिक्र 72 जा सम्बंध हिंदी से )
- शिव सिंह सेंगर – “शिव सिंह सरोज” (दूसरी महत्त्वपूर्ण हिंदी भाषा का ग्रन्थ) (838 कवि)
- जार्ज गिर्यसन -“द माडर्न वर्नेक्युलर लिटरेचर आफ हिन्दुस्तान” (952 कवि) प्रकाशन-एशियाटिक सोसायटी आफ बंगाल द्वारा , इन्होंने ही सबसे पहले भक्तिकाल को स्वर्ण काल माना था ।
- मिश्र बंधू (गणेश बिहारी, श्याम बिहारी, शुकदेव बिहारी मिश्र)-“मिश्रबंधु विनोद” (4591 कवि)
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल- 1929 में “हिंदी साहित्य का विकास” (फले इसे “हिंदी शब्द सागर” के रूप में लिखा गया था
- नागरी प्रचारणी सभा-हिंदी साहित्य का इतिहास (1000 कवि)
- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी-3 ग्रन्थ 1. हिंदी साहित्य की भूमिका 2. हिंदी साहित्य: उद्भव और विकास 3. हिंदी साहित्य का आदिकाल
- भारतीय हिंदी परिषद् द्वारा- प्राचीन तथा आधुनिक काल
- जार्ज गियर्सन- 11 भाग ( चरण काल 700-1300 आदि )* पहले इतिहासकार जिसने नामकरण की शुरुआत की
- मिश्र बंधु- 5 भाग
- आचार्य शुक्ल – 1. आदिकाल(वीरगाथा काल) (1050-1375) 2. पूर्व मध्यकाल( भक्तिकाल) (1375-1700) 3. उत्तर मध्यकाल(रीतिक़ाल) (1700-1900) 4. आधुनिक काल(गद्यकाल)(1900-1984)
- रामकुमार वर्मा- 5 भाग ( हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास) शुक्ल की के वीरगाथा काल को चारणकाल कहा ।
- हज़ारी प्रसाद द्विवेदी ः शुक्ल जी के वीरगाथाकाल को आदिकाल कहा
- ड़ा० नागेन्द्र- 1. आदिकाल (650-1350) 2. भक्तिकाल (1350-1650) 3. रीतिकाल (1650-1850) 4. आधुनिक काल (1850 से अब तक) -1. पुनर्जागरण काल ( भारतेंदु काल) (1857-1900) 2. जागरण सुधार काल (द्विवेदी काल)(1900-1918) 3. छायावाद काल (1918-1938) 4. छायोत्तर काल -(क) प्रगति-प्रयोग काल (1938-1953) (ख) नवलेखन काल (1953-से अब तक)
- बच्चन सिंह-(1) अपभ्रंश काल (2) भक्तिकाल (3) रीतिकाल (4)आधुनिक काल
अंततः काल निर्धारण –आदिकाल, भक्तिकाल,रीतिकाल, आधुनिककाल