भारत के बहुसंख्यक लोगों की भाषा हिंदी है जो मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली,राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान , मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ , बिहार और झारखण्ड आदि |

बोली-

वह भाषिक संचार माध्यम जिसका प्रयोग सीमित जगह में किया जाता है, बोली कहलाती है | जैसे-भोजपुरी इत्यादि |

इसी प्रकार हिंदी क्षेत्र में पांच उपभाषाएँ और अठारह बोलियाँ शामिल हैं |

  • पश्चिमी हिंदी
  • पूर्वी हिंदी
  • राजस्थानी
  • पहाड़ी
  • बिहारी

  • खड़ी बोली(कौरवी) ब्रजभाषा, बुन्देली, हरियाणवी(बांगरू), कन्नौजी
  • अवधि, बघेली, छत्तीसगढ़ी
  • मारवाड़ी, जयपुरी, मेवाती, मालवी
  • गढ़वाली, कुमांयुनी, नेपाली
  • मैथिलि, मगही, भोजपुरी

प्रमुख बोलियों की संक्षिप्त व्याख्या

ब्रजभाषा- यह ब्रज क्षेत्र में बोली जाती है| इसका क्षेत्र आगरा, मथुरा, अलीगढ, एटा, फिरोजाबाद, हरियाणा का गुरुग्राम,राजस्थान का भरतपुर,उत्तर प्रदेश के बदांयू और मैनपुरी जिले में बोली जाती है| ब्रजभाषा बोलने वालो की संख्या लगभग 1.5 करोड़ है|मध्यकाल में इसे प्रमुखता मिली और मुख्य काव्य भाषा के रूप में मान्यता मिली | इसकी मुख्य विशेषता- 1. औकारांत प्रवृत्ति | जैसे- आयौ, गायौ आदि | 2. विशिष्ट संख्सयावाची शब्द-एकु, द्वै, तिनी आदि | इसके प्रसिद्ध कवि- सूरदास, नंददास, रसखान, घनानंद, बिहारी, केशव, भारतेंदु, जगन्नाथ रत्नाकर, सत्यानारायण कविरत्न आदि |

खड़ी बोली-

कौरवी नाम- राहुल सांकृत्यायन,ड़ा ० भोलाराम तिवारी | प्रमुख पश्चिमी हिंदी बोली, रामपुर, मुरादाबाद, बिजनौर, मेरठ, मुजफ्फरपुर,सहारनपुर,और देहरादून आदि | बोलने वालो की संख्या लगभग 1.5 करोड़ है| मानक हिंदी का विकास खड़ी बोली से ही हुआ है| खाखादी बोली की दो बेटियाँ -हिंदी और उर्दू | विशेषता- आकारान्त शब्दों का प्रयोग- आणा खोट्टा | व्यंजन द्वित्व-बट्टा , उप्पर, गड्डी | न की जगह ण |

बुन्देली-

क्षेत्र-झाँसी, जालौन, हमीरपुर, ओरछा, भोपाल, सागर, नरसिंहपुर, सिवनी तथा होशंगाबाद | इसमें कम साहित्य की रचना हुई है |लाल कवि ने छत्र प्रकाश की रचना की है| प्रसिद्ध लोक कवि- ईसुरी | विशेषता- औकारांत शब्दों का प्रयोग, विशिष्ट परसर्ग -कर्म=खों, सम्प्रदान-के लाने

कन्नौज-

इसका क्ष्रेत्र अवधि और ब्रज के बीच में है| यह इटावा, फर्रुखाबाद, शाहजहांपुर, हरदोई, पीलीभीत, मैनपुरी | बोलनेवालों की संख्या-75 लाख |इसमें साहित्य उपलब्ध नहीं हैं |ओकारांत शब्दों का प्रयोग- बड़ो, छोटो |

बांगरू-

यह पंजाब के दक्षिणी-पश्चिमी भाग में और हरियाणा के करनाल, रोहतक, पटियाला, नाभा, जींद आदि | बोलने वालों की संख्या- 75 लाख |सर्वनाम -मन्नै, तन्नै , ओ |

अवधी-

यह अवध क्षेत्र में बोली जाती है| जिसमें फतेहपुर, इलाहाबाद, कानपुर, लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, सीतापुर, फैजाबाद, गोंडा, बहराइच,सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, बाराबंकी जिले शामिल हैं| बोलने वालों की संख्या- 2 करोड़ से अधिक |समृद्ध साहित्यिक भाषा | प्रसिद्ध कवि- तुलसीदास, जायसी , नूर, मोहम्मद, , कुतुबन, मंझन, लालदास, नाभादास, अग्रदास आदि | विशेषता- ए का उच्चारण अइ , औ के स्थान पर अउ |ध्वनी परिवर्तन= गुण -गुन, योग-जोग आदि|दो विशिष्ट प्रत्यय- इया-डिबिया, वा-जगदीश-जगदीशवा

बघेली-

बघेलखंड में बोले जाने के कारण बघेली कहलाती है| क्षेत्र-रीवा, दमोह, जबलपुर, मांडला, बलाघाट, बांदा, हमीरपुर जिले में |कोई साहित्यिक रचना नहीं| ध्वनि परिवर्तन-तेरा-त्वार, मेरा-म्हार आदि |

छत्तीसगढ़ी-

क्षेत्र- रायपुर, बिलासपुर, संभलपुर, कांकेर, नांदगांव, चांदा, बस्तर, एवं बिहार के कुछ भाग | बोलने वाले-50 लाख |साहित्य रचना नहीं परन्तु लोकसाहित्य काफी मात्र में उपलब्ध | विशेषता- कर्ता कारक में परसर्ग का प्रयोग नहीं होता |

मानक भाषा

हिंदी के कई क्षेत्रीय रूपांतरण हैं| इसलिए इसके मानकीकरण की आवश्यकता हुई | अर्थात एक ऐसी भाषा जिसका मानकीकरण कर दिया गया हो तथा जिसका एक निश्चित या परिनिष्ठित रूप निश्चित हो गया है ,मानक भाषा कहलाती है| पढ़े-लिखे लोगों द्वारा प्रयोग की जाती है |इसके अंतर्गत बोलियाँ शामिल नहीं होती |

राज भाषा

संविधान (अनुच्छेद 343-351) द्वारा स्वीकृत सरकारी कामकाज की भाषा | संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा |1950 में 15 वर्ष के लिए |कुछ राज्यों की भी राजभाषा-उ० प्र०, हिमाचल, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश आदि |

राष्ट्र भाषा

किसी देश की राष्ट्रभाषा उस देश के बहुसंख्यक लोगों की भाषा को माना जाता है|जब कोइकोई भाषा विस्तृत भू-भाग में जनता द्वारा अपना ली जाती है तो वह स्वतः राष्ट्र भाषा का पद प्राप्त कर लेती है| भारतीय संविधान में अनुच्छेद 343-351 तक राजभाषा विषयक प्रावधान | संविधान को राष्ट्र भाषा से कोई लेना-देना नहीं है|

सम्पर्क भाषा 

दो विभिन्न भाषा-भाषी लोगों द्वारा आपसी बातचीत द्वारा विचारों के आदान-प्रदान करते हैं, इसे ही सम्पर्क भाषा कहते हैं|आज अंग्रेजी भारत की सम्पर्क भाषा व्यवहारिक रूप में है क्योंकि यह विभिन्न भाषा-भाषी लोगों द्वारा विचारों के आदान-प्रदान करते हैं|

Scroll to Top