स्थानांतरित अध्यापकों को समर्पित

शिक्षण के इस पेशे में आना और जाना है
कोशिश कर लो कितनी भी , कहाँ यहाँ कोई पक्का ठिकाना है
कल आए से हिचकिचाए से , इस लिए ही तो आज भरे मन से चले जाना है
जैसे बसाया था यहाँ एक लघु संसार- सा सालों में , आगे भी तो बसाना है
नव छात्रो से मिलकर उनकी शंकाओं को निरंतर सुलझाना है
पर आगे कहाँ ऐसे सहकर्मियों का पुनः पुनः सहयोग मिल जाना है
सदकर्मों, सद् गुणों व सद्चरित्र , उच्च आदर्श व कर्तव्यनिष्ठता का द्योतक-सा व्यक्तित्व बनाना है
दुनिया में शिक्षक की महिमा को और बढ़ाना है
आना-जाना मिलना बिछुड़ना यह तो रोग पुराना है
जब पता है सब तो क्यों , इस पल को मायूसी में बिताना है
उठो , बढ़ो आगे, मज़बूत कदमों से, कल फिर नया जीवन सजाना है
दोस्तों से मिलना कहाँ मुश्किल है साहब, बस एक वीडियो काल ही तो लगाना है
यहाँ साथ बिताए अच्छे – बुरे खट्टे- मीठे पलों को अपने साथ ले जाना है
अपनी कही , उनकी सुनी , बुरी बातों पर आज पर्दा पाना है
हम हैं ही क्या? मुसाफ़िर चंद पलों के ,
एक दिन तो सबने लंबे सफ़र पर चले ही जाना है
चलो छेड़ें कोई नया तार, क्योंकि इस महफ़िल को रंगीन बनाना है
आज बहा दो अपने दिल के अरमानों को फिर कब यहाँ आपने इन्हें बहाना है
कल तक थे जो साथ, जिनके बारे करते थे दूर खड़े हो बात
कल से उन चेहरों को न देखने का साहस भी जुटाना है
दुआ है मेरी आप सब के लिए, कभी दुबारा मिलना तो ख़ुशी व गर्मजोशी से मिलना हमें
वरना नाक सिकोड़कर, मुँह मोड़कर देखने से बेहतर तो भूल जाना हमें
कोई गलती की हो माफ़ करके , अपना बड़प्पन आपको दिखाना है
नहीं तो चलो भूल जाओ गिलवे- शिकवों को,
ज़रा मुस्कुराकर , सुनहरी यादों को शाहज़ादपुर से समेटकर ले जाना है
शिक्षण के इस पेशे में आना और जाना है
यहाँ कहाँ किसी का कोई पक्का ठिकाना है ।।

द्वारा
सुखविंद्र
GMSSSS SHAHZADPUR
AMBALA

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