गुण गुणी लोगों में ही गुण होते हैं / कहलाते हैं। वे निर्गुण व्यक्ति के पास पहुँच कर दोष हो जाते हैं।

नदियाँ शुरू में तो स्वादिष्ट पानी उत्पन्न करती  हैं, परन्तु समुद्र को मिलकर वे नदियाँ पीने के लिए योग्य नहीं रह जाती हैं||1||

 

साहित्य संगीत तथा कला से विहीन व्यक्ति बगैर पूंछ और सींगों  वाला साक्षात जानवर ही है।

ह मनुष्य घास न खाते हुए भी जीता है, यह तो पशुओं का बहुत बड़ा भाग्य ही है ||2||

 

किसी लालची व्यक्ति का यश, किसी चुगलखोर की दोस्ती, किसी कर्महीन व्यक्ति का कुल और जो व्यक्ति लालची होता है, उसका धर्म नष्ट हो जाता है वैसे ही अन्य बुरी आदतों वाले का विद्याफल, कंजूस आदमी का सुख नष्ट हो जाता है ||3||

 

जिस प्रकार मधुमक्खी मीठे और कड़वे दोनों प्रकार के रस को पीकर मिठास ही उत्पन्न करती है, ठीक उसी प्रकार सन्त लोग भी सज्जन और दुर्जन दोनों प्रकार के लोगों की बातों को एक समान सुनकर सुंदर वचन का ही सृजन करते हैं अर्थात् सुंदर वचन बोलते हैं ||4||

 

जो व्यक्ति निश्चय से पुरुषार्थ छोड़कर भाग्य का ही सहारा लेते हैं। महल के द्वारा पर बने हुए नकली सिंह (शेर) की तरह उनके सिर पर कौए बैठते हैं ||5||

 

फूल-पत्ते-फल-छाया-जड़-छाल और लकड़ियों से युक्त वृक्ष धन्य होते हैं | जिनसे माँगने वाले कभी भी निराश नहीं होते अर्थात वृक्ष उन्हें सहर्ष अपना सर्वस्व दे देते हैं ||6||
घर में आग लगने पर कुआ खोदना उचित नहीं होता है, संकट आने के पहले ही उसके प्रतिकार का इलाज सोचना चाहिए ||7||
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