शब्द= वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं |
शब्दों का वर्गीकरण
- स्रोत के आधार पर =
- तत्सम ( संस्कृत के समान ) अंग, उपकार, साधु
- तद्भव ( संस्कृत से थोड़े बदलकर) उच्च= ऊँचा धूम्र= धुँआ
- देशज ( देशी बोलियों से ) खर्राटा, हिनहिनाना
- विदेशज ( विदेशी भाषाओँ से ) UGC NET
- फारसी= नापसंद, चश्मा, कुश्ती, सीता, सरकार, हजार, उम्मीद
- तुर्की = कालीन, कैंची, बेगम, टॉप, बहादुर
- अरबी= अजीब, अदालत, शराब, दुकान, दुनिया
- अंग्रेजी= कलक्टर, पेंशन, आपरेशन , साइकिल,स्कूटर
- फ्रेंच= कूपन, कारतूस
- पुर्तगाली= गमला, चाबी, नीलाम, बाल्टी, पादरी
- जापानी=रिक्शा
- चीनी= चाय, लोची
- संकर शब्द = फैशनपरस्त ( अंग्रेजी+फारसी), मोटरगाड़ी ( अंग्रेजी+तद्भव) थानेदार (तद्भव + फारसी) लाजशर्म (तद्भव+फारसी) एकेडमी (अंग्रेजी)= अकादमी ( हिंदी)
- निर्माण या गठन की दृष्टि से
- रूढ़= जिन ध्वनियों को अलग करके कोई अर्थ न निकाला जा सके या जिनकी व्युत्पत्ति न बताई जा सके | हाथ, पेट, किताब
- यौगिक=जो दो या दो से अधिक रूढ़ शब्दों से मिलकर बने, जिनका अर्थ दोनों के जुड़ने से निर्धारित होता है| पुस्तकालय
- योगरूढ़ = जो सरंचना की दृष्टि से यौगिक परन्तु अर्थ एक विशेष रूप में रूढ़ हो चुका है | जैसे=पंकज ( कीचड़ में जन्म लेने वाला) प्रसिद्द अर्थ=कमल
- प्रयोग की दृष्टि से शब्द=
- सामान्य शब्द=एक शब्द का बहुआयामी प्रयोग (राम अच्छा लड़का है)( अच्छा, मैं जाता हूँ )(मैं अच्छा हूँ, आप कैसे हो?)
- पारिभाषिक शब्द= जिनका अर्थ और सन्दर्भ पूर्णतः परिभाषित होता है | अर्थशास्त्र=सम्पत्ति, आपूर्ति , इतिहास= राष्ट्रवाद , मनसबदारी
- अर्द्ध-पारिभाषिक शब्द=वे शब्द जो किसी संदर्भ में पारिभाषिक और किसी संदर्भ में सामान्य शब्द की तरह व्यवहार करते हैं | जैसे=बल, मांग ( मेरी मांग पूरी करो, मेरी मांग पूरी भरो )
- परिवर्तन दृष्टि से
- विकारी=जिनमें लिंग, वचन, कारक , काल के कारण परिवर्तन होता है जैसे- लड़का
- अविकारी=जिनमें लिंग, वचन, कारक , काल के कारण परिवर्तन नहीं होता है जैसे- यदि
- क्रियाविशेषण= वे अविकारी जो क्रिया की विशेषता बताते हैं | जैसे- धीरे-धीरे
- योजक/समुच्चयबोधक= जो दो शब्दों, वाक्यों या उपवाक्यों को जोड़ें | जैसे-और, तथा
- संबंधबोधक=जो वस्तुओं या व्यक्तियों में संबंध बताते हैं| जैसे- के लिए, के बिना
- विस्मयादि बोधक =जो विस्मय को प्रकट करते हैं | जैसे- अरे, उफ़, वाह
- शब्द निर्माण की प्रमुख युक्तियाँ
- उपसर्ग=वे शब्दांश जो किसी शब्द के आगे लगाकर उसके अर्थ में परिवर्तन करते हैं | हिंदी में उपसर्ग=संस्कृत से ( सम+उचित), फारसी से (हम+राही), हिंदी में स्वतः विकसित ( स+पूत)
- प्रत्यय=वे शब्दांश जो किसी शब्द के पीछे लगाकर उसके अर्थ में परिवर्तन करते हैं | संस्कृत में प्रत्यय = कृदंत ( किसी क्रिया या धातु के अंत में) जैसे- क , एरा, आक |, तद्धित ( जो क्रिया के अतिरिक्त संज्ञा, विशेषण आदि में जुड़ते हैं | जैसे- पा , आ, पन