• रैदास का जन्म 1388 में काशी में हुआ |
  • मध्यकालीन साधकों में विशेष स्थान
  • इनी पत्नी का नाम लोना माना जाता है
  • इन्होनें प्रयाग,मथुरा, वृन्दावन, भरतपुर, जयपुर, पुष्कर, और चितौड़ आदि स्थानों का भ्रमण किया
  • सिकंदर लोधी के निमंत्रण पर दिल्ली भी आए थे |
  • इन्हें मीराबाई और उदय का गुरु माना जाता है |
  • आभ्यांतरिक साधना पर बल दिया
  • भाषा- अवधी, राजस्थानी, खड़ी बोली और उर्दू-फारसी व व्य्वाहिर्क ब्रज भाषा का प्रयोग
  • उपमा, रूपक विशेष प्रिय अलंकार
  • इनके 40 शब्द “गुरु ग्रन्थ साहिब” में दर्ज हैं |

वाणी के कुछ उदाहरण

जाके कुटुंब सब ढोर ढोवंत , फिरहि अजहूँ बानारसी आसपासा || आचार सहित विप्र करहि डंडउती, तिन तिने रविदास दासानुदासा ||

ऐसी मेरी जाति विख्यात चमार |

माधव क्या कहिए प्रभु ऐसा, जैसा जानिए होई न तैसा | नरपति एक सिंहासन सोइया, सपने भया भिखारी ||

अछत राज बिछुरत दुखु पाइया, सो गति भई हमारी ||

अब कैसे छूटे राम, नाम रट लागी | प्रभु जी तुम चन्दन हम पानी, जाके अंग-अंग बास समानी |

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