यह गद्य पद्य की मिश्रित चम्पूकाव्य प्राचीनतम हिंदी कृति है |इसकी रचयिता रोड़ा नामक कवि को माना जाता है| रचनाकाल 10 वीं शताब्दी मन गया है | इसमें राउल नायिका के नखशिख का वर्णन किया गया है| शुरू में नायिका के सौन्दर्य का वर्णन पद्य में फिर गद्य में किया गया है| यहीं से हिंदी साहित्य में नखशिख वन्न की परंपरा की शुरुआत मानी जाती है | इसमें हिंदी की सात प्रमुख बोलियों के शब्द मिलते हैं जिनमें राजस्थानी प्रमुख है|

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