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- अमेठी के निकट जायस में रहते थे |
- पिता का नाम= मलिक शेख ममरेज या मलिक राजे अशरफ
- बचपन में माता-पिता की मृत्यु
- देखने में कुरूप थे , एक आँख व कान से रहित
- इसलिए शेर शाह ने इनका मजाक उड़ाया
- मृत्यु=अमेठी में तीर से, वहीँ समाधि
- प्रसिद्द सूफी फ़क़ीर=शेख मोहिदी (मुहीउद्दीन) के शिष्य
- शेरशाह के समकालीन
- इनकी 21 रचनाओं का उल्लेख मिलता है परन्तु प्रकाशित सिर्फ तीन=पद्मावत, अखरावट और आखिरी कलाम |
- प्रमुख रचना=पद्मावत 1540
- कुल खंड=57
- नायक=चितौड़ का राजा रत्नसेन
- नायिका= सिंहलद्वीप की राजकुमारी पद्मावती
- कथावस्तु दो भागों में विभक्त
- पहले भाग में =रत्नसेन और पद्मावती का विवाह
- दूसरे भाग में=अलाउद्दीन की चितौड़ पर चढ़ाई
- विद्वानों के अनुसार पहला भाग काल्पनिक और दूसरा ऐतिहासिक
- ड़ा० हरदेव बाहरी के अनुसार इस पर चन्द्रशेखर (प्राकृत भाषा में रचित) का प्रभाव है |
- यह अवधी में रचित हिंदी का महाकाव्य है |
- प्रिय अलंकार=उत्प्रेक्षा
- इसके पात्र प्रतीक और पूरा काव्य ग्रन्थ एक रूपक काव्य भी माना गया है |
- रत्नसेन जीवात्मा और पद्मावती परमात्मा का प्रतीक है |
- जायसी ने चार पूर्व प्रेमाख्यानों का जिक्र किया है=मधुमालती, मृगावती, मुग्धावती और प्रेमावती