मातृभाषा दिवस
मातृभाषा हमें है प्यारी ,लगती जैसे फूलों की क्यारी
इस क्यारी के बनकर फूल हमने महकाई बगिया सारी
बचपन से ही इसमें अब भाव व्यक्त किए हमने
सुख- दुःख के मीठे कड़वे नीर पिए हमने
भावों की अभिव्यक्ति का साधन इससे बेहतर न कोई
मौलिक रचनात्मकता तो केवल मातृभाषा में ही होई
मातृभाषा के इस दिवस पर मातृभाषा का सम्मान करें
इसके सम्मान व विकास हेतु अपना सहयोग प्रदान करें
वैसे तो सब भाषाओं का महत्त्व है एक समान
तो न करें किसी भी भाषा का अपमान
ये तो हैं अभिव्यक्ति के साधन
पर मातृभाषा में लगता है अपनापन
इसी अपनेपन का मैं बयान करता हूँ
अपनी कलम से इसे प्रणाम करता हूँ ।।

सुखविंद्र
रा० आ० सं० व० मा० विद्यालय
शहजादपुर, अंबाला

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