प्रेमचंद जी द्वारा रचित पहली हिंदी की यह पहली कहानी है |इससे पहले वह उर्दू में नवाबराय के नाम से लिखते थे | यह कहानी सामाजिक पृष्ठभूमि पर आधारित है | इस कहानी की नायिका आनंदी है जो की एक उच्च संस्कारी घर की बेटी ( सात लड़कियों में) है जिसके पिता जी (भूप सिंह) एक छोटी सी रियासत के ताल्लुकदार थे | और वह एक अच्छे परिवार की कुलवधू है | वह अपने संस्कार, शालीनता, संयम, सहनशीलता तथा व्यवहार कुशलता से अपने विघटित होते परिवार को बचा लेती है | इस कहानी का कथ्य बहुत ही सीमित है | इस कहानी में तीन पात्र हैं – बेनीमाधव ( पिता ) श्रीकांत(पुत्र) लाल बिहारी ( छोटा पुत्र) | आनंदी श्रीकांत की पत्नी है | बेनीमाधव गौरीपुर के जमींदार और नम्बरदार थे | श्रीकांत रामलीला में कोई पात्र अवश्य बनते थे | कहानी में लाल बिहारी दाल में घी न होने पर गुस्सा होकर अपनी भाभी आनंदी पर खडाऊं फैंक देते हैं |जिसे आनंदी अपने हाथ से रोक लेती है, परन्तु उसके हाथ में चोट आ जाती है | इससे उसके अभिमान को बड़ी ठेस पहुंचती है | जैसे ही शनिवार को श्रीकांत अपनी नौकरी से घर लौटते हैं तो आंदी उन्हें सारी बात बता देती है| इसके कारण श्रीकांत अपने भाई से काफी गुस्सा हो जात है और अपने पिता जी से श्रीकांत और ला बिहारी में से एक को चुनने की बात कह देता है | उधर दरवाजे पर खडा लाल बिहारी भी सारी बातें सुन रहा होता है | श्रीकांत और ला में काफी गहरा प्यार था लेकिन आज श्रीकांत ने उसका कभी भी उसका मुँह न देखने का फैसला कर लिया था | ला बिहारी इस बात से काफी आहात हो जाता है | वह अपनी भाभी आनंदी से अपने बुरे बर्याव के लिए क्षमा माँगता है और घर छोड़कर जाने लगता है तब आनंदी उसे हाथ पकड़कर वापिस ले आती है और दोनों भाई आपस में गले मिलकर रोने लगते है | तबी उनके पिता जी भी घर में प्रवेश करते हैं और दोनों को एक दूसरे के गले लगे देखकर कहते हैं की आनंदी एक बड़े घर की बेटी है जिसने एक टूटते हुए परिवार को बचा लिया है | हर घर में छोटी-छोटी बातों पर होने वाले झगड़े ही अलगाव का कारण बन जाया करते हैं |

कहानी की संवाद योजना सरल और स्वभाविक है | इस कहानी आ उद्देश्य पारिवारिक विघटन को रोकना है |कहानी अपने हर एक बिंदु की दृष्टि से प्रासंगिक है |कहानी में भाषा सहज-सरल, उर्दू, अंग्रेजी शब्दों से युक्त कड़ी बोली का प्रयोग किया गया है |

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