फेसबुक पर आई दोस्तों की बहार है
कुछ जाने पहचाने कुछ अनजाने चेहरों की बहार है
कुछ से सिखने को मिलता है बहुत कुछ
कुछ के पास चंद फोटो और शेयर इट का जुगाड़ है
कुछ रच रहे हैं इतिहास ज्ञान के संग्रह का
कुछ अकेले ही पड़े सूखे पत्तों से निराश हैं
किसी ग्रुप में विद्वान जुड़ बैठे हैं ऐसे
विश्वजित राजा के मुकुट की मणि हो जैसे
कहीं विचारों और सोच का अभाव है
कहीं पल दो पल मन बहलाने की बात है
कुछ सिखने सिखाने में मशगुल हैं
कुछ मोहब्ब्ती शेयरों के बरसा रहे फूल हैं
कुछ समय पैसे और मां की कर रहे हानि हैं
किसी ने सिर्फ नाम बदलकर चैट करने की ठानी है
जो समय है अपनों का उसे फेसबुक पर मत लुटाओ
मां बाप की सेवा में अपना शीश झुकाओ
कहीं वो तरस ना जाएं आपकी आवाज सुनने को
कोई लगा है अपने पुराने नए फोटो दिखाने में
किसी ने अपनी सोच शब्दों में पिरोकर रख दी है
किसी को ये विचार बेकार व किसी को खूब मन भाते हैं
किसी को सिर्फ अपने फ्रेंड्स के प्रोफाइल पिक्चर ही नजर आते हैं
फेसबुक जरुरत के हिसाब से किसी को कम तो किसी को खूब भाती है
समय सीमा संयम संवाद के महत्त्व में अच्छी चीजें हमेशा समाती हैं
बाटना है तो किसी का दुःख अपना अनुभव बांटो
शेयर करने ही हैं तो सद्विचार शेयर करो
क्योंकि ये कॉपी पेस्ट की संस्कृति हमें अन्दर से कमजोर बनाती है
सच्चाई और इमानदारी विवेक की मूर्त धुंधली हो जाती है
हो सके तो अच्छी बातों पर कमेंट जरुर करें
बुरी बातों को विरोध भी जरूर करें
gm ge में अपना समय न बर्बाद करे
अच्छे लोगों से हमेशा संवाद करें
कोई फोटो चिपकाता रहता है यहाँ वहां से
कोई सालों पहले की खबर को ब्रेकिंग न्यूज़ बताता है
कई भिड़ते देखे फेसबुक के संग्राम में
कोई मोहब्बत के नए नए गुल खिलाता है
कहीं पनपता विशवास दिखता है
कहीं टूटते अरमानों का सैलाब है
दुनिया के सारे रंग बिखरे हैं यहाँ
क्योंकि यह फेसबुक का फैलाव है ……………
द्वारा- सुखविन्द्र